UP Political News : दलितों-पिछड़ों को लुभाने में जुटे यूपी के सियासी दल, मिशन 2024 में किसको वोट करेगा दलित-पिछड़ा वर्ग ?
Published By Roshan Lal Saini
UP Political News : बिहार में जबसे जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने आए हैं, तबसे पूरे देश, खास तौर पर उत्तर प्रदेश में जातिगत रूप से ज्यादा लोगों को लुभाने की मुहिम शुरू हो चुकी है। उत्तर प्रदेश में जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी को दबाने के लिए अब लोग जातिगत आंकड़ों के आधार पर ज्यादा आबादी वाली जातियों पर डोरे डालकर राजनीतिक पार्टियां उनका वोट हासिल करने की कोशिश में लग गई हैं।
इस दौड़ में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी खास तौर पर लग गई हैं। भारतीय जनता पार्टी की बागडोर खुद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ संभाल रहे हैं और समाजवादी पार्टी की बागडोर खुद पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव ने संभाल रखी है। दोनों ही हर शहर में अपनी-अपनी ओर से कोशिश कर रहे हैं कि वहां के दलित और पिछड़े वोटरों को लुभाया जा सके। कहा जा रहा है कि ये मुहिम गांवों में भी चलाई जाएगी। अभी कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी ने इस तरह की कोई मुहिम शुरू नहीं की है। UP Political News
दरअसल, बिहार में हुई जातिगत जनगणना के सामने आने के बाद उत्तर प्रदेश में जातिगत धुरबंदी होने लगी है। बिहार की अगर बात करें, तो वहां हिंदू आबादी कुल 81.9986 फीसदी है, जिसमें से पिछड़ा वर्ग की कुल आबादी 63.13 और दलितों की कुल आबादी 19.65 फीसदी है। इसका मतलब यह हुआ कि बिहार में बचे हुए हिंदुओं की कुल आबादी का अगर आधा भी वोटर किसी पार्टी के साथ आ जाता है, तो उस पार्टी को सत्ता में आने से कोई नहीं रोक सकता। उत्तर प्रदेश में इसी कोशिश में भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी जैसी प्रमुख पार्टियां लगी हैं, ताकि 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़ी जीत हो। UP Political News
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हालांकि दोनों पार्टियों का सबसे ज्यादा ध्यान दलित और पिछड़ा वर्ग के वोटरों की ओर ही है, क्योंकि भारतीय जनता पार्टी को लगता है कि उसके पास स्वर्ण तो पक्के तौर पर हैं, पिछड़ा और दलित वर्गों के भी वोटरों का कुछ फीसद तो अभी भी बचा ही है, बस उसे रूठे हुए वोटरों को मनाना है, जो 2014 में उसके साथ खड़ा था। लेकिन वहीं समाजवादी पार्टी को लगता है कि उसके साथ यादव और मुस्लिम वोटर तो है ही, उसे बस पिछड़ा और दलित वर्गों के वोटरों को मनाना है। इसी उद्देश्य से दोनों ही पार्टियों ने मुहिम अभी से शुरू कर दी है। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ एक शहर से दूसरे शहर जाकर दलित सम्मेलन कर रहे हैं, जिसमें उनका साथ भारतीय जनता पार्टी के कई दिग्गज नेता दे रहे हैं और अखिलेश एक बार फिर साइकिल यात्रा शुरू कर चुके हैं। UP Political News
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हालांकि अगर हम कांग्रेस की बात करें, तो उसे लगता है कि मुस्लिम तो उसके साथ है ही, अब दलित, पिछड़ा और अन्य वर्गों का वोटर भी उसके साथ आएगा। वहीं समाजवादी पार्टी की मुखिया मायावती भी इस बात से निश्चिंत हैं कि उनके साथ कम से कम 12.5 फीसदी दलित तो पक्के तौर पर हैं ही। बाकी वोटर आ गए, तो अच्छा, नहीं तो उन्हें उत्तर प्रदेश की राजनीति में इतनी आसानी से नज़रअंदाज़ तो नहीं किया जा सकता, और यह सच भी है। हालांकि उनके दलित वोट बैंक में भीम आर्मी सुप्रीमों चंद्रशेखर आजाद सेंध लगा रहे हैं और मुझे लगता है कि युवा दलित वोटर उनके साथ बड़ी संख्या में जुड़ चुके हैं और उन्हें आगामी दलित नेता के तौर पर उत्तर प्रदेश की सत्ता में देखना चाहते हैं। UP Political News
बहरहाल, अगर हम गौर करें, तो देखेंगे कि उत्तर प्रदेश में पिछली कई बार चुनाव परिणाम उसी पार्टी के हक में आए हैं, जिसने दलित और पिछड़ा वर्गों को अपने से जोड़ लिया है। हालांकि पहले कहा जाता था कि जिधर स्वर्ण जाता है, उसी को जीत का सेहरा बंधता है, लेकिन वो बीते जमाने की बात हो चुकी है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि अब पिछड़ा और दलित वर्गों के लोग भी पढ़े-लिखे और जागरूक हो चुके हैं और वो अपना नेता अपने हिसाब से तय करते हैं। लेकिन मेरा मानना है कि यूपी में क्षेत्र के हिसाब से ही जीत और हार का रिजल्ट सामने आता है। UP Political News
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मसलन पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जाट वोटरों की संख्या ज्यादा है, तो वहां पर जाट निर्णायक भूमिका में होते हैं। इसी प्रकार से अखिलेश के क्षेत्र में यादव निर्णायक भूमिका निभाते हैं। इसी प्रकार से कुछ जगह पर दलित, कुछ जगह पर पिछड़े, तो कुछ जगह पर दूसरे वर्गों के लोग निर्णायक भूमिका में होते हैं। लेकिन इन सबमें कॉमन बात ये है कि पिछड़ा और दलित वर्गों के वोटर हर जगह अपनी अच्छी-खासी उपस्थिति रखते हैं और चुनावों को प्रभावित करने का माद्दा रखते हैं। इसीलिए आज न केवल समाजवादी पार्टी, बल्कि भारतीय जनता पार्टी भी दलितों और पिछड़ा वर्ग के लोगों को लुभाने में लगी है। UP Political News
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जाहिर है कि 2024 के आने वाले लोकसभा चुनाव देश में बहुत अहम और बड़े बदलाव वाले हो सकते हैं, और इन बदलावों के पीछे जिन वर्गों की अहम भूमिका होगी, वो दलित और पिछड़ा वर्ग हैं। जाहिर है कि बिहार और यूपी के जातिगत आंकड़ों में बहुत ज्यादा फर्क नहीं निकलेगा। कहने का मतलब ये हे कि प्रदेश में अकेला पिछड़ा वर्ग ही 50-55 फीसदी हो सकता है। वहीं दलित वर्ग भी 18-20 फीसदी नहीं, तो 16-17 फीसदी तो होगा ही। यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी इस बड़े वोट बैंक में सेंध लगाना चाहती हैं। UP Political News
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं) WWW.NEWS14TODAY.COM