नई दिल्ली : सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय (MIB) ने बुधवार को OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए एक सख्त एडवाइजरी जारी की है। इसमें अवैध और प्रतिबंधित कंटेंट से बचने, उम्र-आधारित वर्गीकरण लागू करने और वयस्क सामग्री के लिए एक्सेस कंट्रोल मैकेनिज्म को अनिवार्य करने के निर्देश दिए गए हैं। यह एडवाइजरी ऐसे समय में आई है जब डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अश्लील और आपत्तिजनक कंटेंट को लेकर विवाद बढ़ रहे हैं, हाल ही में यूट्यूबर रणवीर अल्लाहबादिया की एक डिजिटल शो में की गई भद्दी टिप्पणी को लेकर भी काफी हंगामा हुआ था।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि OTT प्लेटफॉर्म्स को भारतीय कानूनों और IT नियम, 2021 (Intermediary Guidelines and Digital Media Ethics Code) के तहत बनाए गए ‘कोड ऑफ एथिक्स’ का सख्ती से पालन करना होगा। यदि कोई प्लेटफॉर्म इन नियमों का उल्लंघन करता है तो इन कानूनों के तहत कार्रवाई की जाएगी, यहां तक की जेल की रोटी भी तोड़नी पड़ सकती है…
महिला अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम, 1986
भारतीय न्याय संहिता (BNS), 2023
बाल यौन शोषण से सुरक्षा (POCSO) अधिनियम
सूचना प्रौद्योगिकी (IT) अधिनियम, 2000
ड्रग्स और साइकोट्रॉपिक पदार्थों के प्रचार पर रोक
OTT प्लेटफॉर्म्स को नशीले पदार्थों और साइकोट्रॉपिक ड्रग्स के उपयोग को बढ़ावा देने या उसे ग्लैमराइज़ करने से बचने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि मादक पदार्थों से जुड़े कंटेंट को कड़े वर्गीकरण नियमों के तहत रखा जाएगा, खासकर युवाओं के लिए।
OTT प्लेटफॉर्म्स के लिए मुख्य दिशा-निर्देश:
यदि किसी कंटेंट में नशीले पदार्थों या खतरनाक व्यवहार को दिखाया गया है, जिससे अपराध या आत्म-हानि को बढ़ावा मिल सकता है, तो उसे सख्त आयु वर्गीकरण में रखा जाएगा। किसी भी फिल्म, वेब सीरीज़ या शो में नशीले पदार्थों के सेवन को फैशन या सामाजिक रूप से स्वीकार्य व्यवहार के रूप में प्रस्तुत करने से बचना होगा।
OTT प्लेटफॉर्म्स को नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक सब्सटेंस (NDPS) अधिनियम, 1985 का पालन करना होगा, जिसमें गांजा, पोस्ता और कोकीन जैसे पदार्थों के उपयोग और प्रचार पर सख्त कानूनी प्रतिबंध हैं। यदि किसी शो में इन्हें ग्लैमराइज़ किया गया, तो इसे अपराध में सहयोग (abetment) माना जा सकता है और कानूनी कार्रवाई हो सकती है। यदि किसी शो में ड्रग्स का इस्तेमाल दिखाया जाता है, तो उसके दुष्प्रभावों को स्पष्ट रूप से दर्शाने वाले डिस्क्लेमर देना अनिवार्य होगा। साथ ही, OTT प्लेटफॉर्म्स को सार्वजनिक स्वास्थ्य अभियानों और नशे के खतरों पर जागरूकता फैलाने वाले शैक्षिक कंटेंट को भी बढ़ावा देने के लिए कहा गया है।
हाल ही में संसदीय स्थायी समिति (Parliamentary Standing Committee) ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय से डिजिटल मीडिया से जुड़े कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव मांगा था, ताकि नई तकनीकों और मीडिया प्लेटफॉर्म्स के विस्तार को ध्यान में रखते हुए सख्त नियम बनाए जा सके। मंत्रालय की इस एडवाइजरी से यह साफ हो गया है कि अब OTT प्लेटफॉर्म्स पर दिखाई जाने वाली सामग्री पर सरकार की पैनी नजर रहेगी।