
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि अगर यह अश्लीलता नहीं है, तो फिर अश्लीलता क्या है? ऐसे शब्द माता-पिता, बहनों और बेटियों को शर्मसार करेंगे। पूरा समाज इसे अभद्र मानेगा। उनके मन में कुछ बहुत गंदा था, जिसे उन्होंने इस शो में व्यक्त किया। जब किसी व्यक्ति के मन में इस हद तक गंदगी भर जाती है, तो उसे सभ्य और अशिष्ट में फर्क नहीं दिखता। वह सोचने-समझने की शक्ति खो देता है।
कुछ लोगों को कोर्ट की सलाह नापसंद जरूर हुई होगी। ऐसे लोगों को लगता है कि यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, इस पर सलाह क्यों दें। इसे हम खुद समझ लेंगे या समाज समझ जाएगा। लेकिन, यह भी जान लें कि ऐसे लोग यह नहीं जानते कि संविधान में दी गई स्वतंत्रता की भी एक सीमा होती है। आप मजाक के नाम पर समाज, देश या किसी व्यक्ति पर कीचड़ नहीं उछाल सकते। आपकी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमा दूसरे की नाक पर खत्म होती है
एक कहावत है कि आपकी स्वतंत्रता वहीं खत्म होती है, जहां मेरी नाक शुरू होती है। यानी स्वतंत्रता की भी एक सीमा होती है, यह बात समझनी होगी। हमारे संविधान में भारतीय नागरिकों को अनुच्छेद 19 से लेकर 22 तक कई तरह के मौलिक अधिकार दिए गए हैं। अनुच्छेद 19(1)(ए) के तहत देश के सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का अधिकार दिया गया है। अनुच्छेद 19 के ये अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को ही मिलते हैं। अगर कोई बाहर का है यानी विदेशी नागरिक है तो उसे ये अधिकार नहीं दिए जाते।
अगर हम अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सरल भाषा में समझें तो एक भारतीय नागरिक इस देश में लिखकर, बोलकर, छापकर, हाव-भाव से या किसी भी तरह से अपने विचार व्यक्त कर सकता है। वहीं अनुच्छेद 19(2) उन नियमों की भी जानकारी देता है जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाई जा सकती है। ऐसा कुछ भी नहीं कहा जाना चाहिए जिससे भारत की संप्रभुता और अखंडता को खतरा हो।
- राज्य की सुरक्षा को खतरा हो।
- पड़ोसी देशों या विदेशी देशों से मैत्रीपूर्ण संबंध खराब होने का खतरा हो।
- सार्वजनिक व्यवस्था के भंग होने का खतरा हो।
- शालीनता या नैतिकता के हितों को नुकसान पहुंचता है।
- किसी न्यायालय की अवमानना होती है।
- किसी की मानहानि होती है।
- अपराध को बढ़ावा मिलता है।
- यह बोलने की सीमा है, जिसे रणवीर समेत हम सभी को समझना होगा और अपनी आने वाली पीढ़ियों को भी सिखाना होगा।सुप्रीम कोर्ट ने कहा- अगर यह अश्लीलता नहीं है तो क्या है?
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि अंतरिम संरक्षण की शर्त के तौर पर रणवीर को जांच में सहयोग करना होगा और अपना पासपोर्ट जमा करना होगा। कोर्ट ने रणवीर और उनके साथियों को अगले आदेश तक कोई भी शो प्रसारित करने से भी रोक दिया। रणवीर के वकील के बचाव पर जस्टिस सूर्यकांत ने यहां तक कह दिया कि अगर यह अश्लीलता नहीं है तो फिर अश्लीलता क्या है? इससे पहले आलोचनाओं का सामना करने के बाद रणवीर ने सोशल मीडिया पर सार्वजनिक रूप से माफी मांगी थी।
समय रैना का ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो कई बार विवादों में रहा है। कॉमेडियन जेसी नबाम ने ‘इंडियाज गॉट लैटेंट’ शो में अरुणाचल प्रदेश के लोगों के कुत्ते का मांस खाने पर टिप्पणी की थी, जिस पर काफी विवाद हुआ था। इन टिप्पणियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए 31 जनवरी 2025 को अरुणाचल प्रदेश के पूर्वी कामेंग जिले के सेप्पा निवासी अरमान राम वेली बखा ने ईटानगर में एफआईआर दर्ज कराई थी। इससे पहले बॉलीवुड अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की प्रेग्नेंसी और डिप्रेशन का मजाक उड़ाया गया था।
रणवीर इलाहाबादिया और समय रैना को अगर थोड़ी भी शर्म आएगी तो सुप्रीम कोर्ट की यह नसीहत जिंदगी भर याद रखेंगे। उन्हें समझना चाहिए कि उन्होंने ऐसा क्या कह दिया कि सुप्रीम कोर्ट को टिप्पणी करनी पड़ी। हास्य कई तरह के हो सकते हैं, लेकिन किसी समाज या व्यक्ति के चरित्र का अपमान करके हास्य पैदा करना ठीक नहीं है। इसे समझना होगा। सोचिए- आप दोनों को खुद पर यह लागू करना चाहिए कि अगर कोई उनसे ऐसा सवाल पूछे तो क्या वे हंसेंगे या फिर सार्वजनिक तौर पर यह सुनना पसंद करेंगे। जाहिर तौर पर नहीं। उम्मीद है अगली बार आप कुछ भी कहने से पहले जरूर सोचेंगे। अपने अंदर झांककर देखिए। Supreme Court reprimanded Ranveer