Lok Sabha Elections : SC से मतपत्रों पर वापस जाने की याचिका ख़ारिज, बोले- मतपत्रों पर वापस लौटने का कोई सवाल नहीं
Published By Special Desk News14Today
Lok Sabha Elections : सुप्रीम कोर्ट ने गुरूवार को मत पत्रों से मतदान कराने की याचिका को लेकर अहम् फैसले लिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद जहां इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों यानि EVM की सुरक्षा को कुछ निर्देश जारी किए हैं वहीं कागजी मतपत्रों पर वापस जाने की याचिका को भी खारिज कर दिया है। साथ ही चुनाव आयोग को EVM पर सम्पूर्ण जानकारी देने के आदेश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने है कि न्यायाधीश “अतीत को नहीं भूले हैं” और मतपत्रों पर वापस लौटने का कोई सवाल नहीं है।
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आपको बता दें कि 2014 के बाद लोकसभा चुनाव और कई राज्यों में विधानसभा चुनाव में हार का सामना कर रहे विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में जहां EVM के जगह मतपत्रों से मतदान कराने की अपील की थी बल्कि केंद्र सरकार पर EVM में गड़बड़ी करने का आरोप भी लगाया था। साथ ही VVPAT के साथ डाले गए सभी वोटों के मिलान (cross-verification) की मांग की गई थी।मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) प्रणाली पर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की। Lok Sabha Elections
दरसअल VVPAT एक ऐसी प्रणाली है जो मतदाताओं को उनके वोटों की सटीकता की पुष्टि करने के लिए एक कागज़ की पर्ची प्रदान करती है। यह पर्ची मतदाता को दिखाई देती है जिससे मतदाता को इस बात की पुष्टि हो जाती है कि उसका वोट सही जगह गया है। इसके आबाद VVPAT की पर्चियों को संभावित विवादों के लिए एक सीलबंद कवर में स्टोर किया जाता है। ताकि जरूरत पड़ने पर VVPAT की पर्चियों से मामले का निपटारा किया जा सके। Lok Sabha Elections
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याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजीव खन्ना ने कहा कि “हम 60 की उम्र के करीब हैं और हम सभी जानते हैं कि जब मतपत्र थे तो क्या हुआ था। आप भी जानते होंगे, लेकिन हम नहीं भूले हैं।” न्यायमूर्ति खन्ना ने वर्तमान कार्यवाही पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता पर बल देते हुए पिछली चुनावी प्रथाओं पर बहस में शामिल होने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वोटों की गिनती में मानवीय त्रुटियों की संभावना हमेशा बनी रहती है। हालांकि पीठ ने चुनावी प्रणाली की अखंडता में विश्वास बनाए रखने पर जोर दिया। Lok Sabha Elections
याचिका कर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायणन ने कहा कि “EVM से मतदान होने पर गलती की बहुत अधिक आशंका है। हम हमेशा हमारी न्यायिक प्रणाली में रुकावट डालने वाले मामलों की संख्या सहित हर चीज के लिए जनसंख्या को दोषी मानते हैं। हमें सिस्टम पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि एक भी मतदाता के मन में जरा भी संदेह न रहे।” Lok Sabha Elections
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अदालत ने मौजूद चुनाव आयोग के अधिकारियों को EVM की कार्यप्रणाली, स्टोरेज और सुरक्षा उपायों पर विस्तृत जानकारी प्रदान करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने EVM हेर-फेर के संभावित परिणामों पर स्पष्टीकरण मांगा है। साथ चुनाव आयोग से चुनावी प्रक्रिया में मतदाताओं का विश्वास बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) से जुड़ी पूरी प्रक्रिया, उनके असेंबलिंग से लेकर मतगणना के बाद स्टोरेज तक की विस्तृत जानकारी प्रदान करे। Lok Sabha Elections
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चुनाव आयोग का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह को पीठ से यह निर्देश मिला। चर्चा में विभिन्न वकीलों के इनपुट शामिल थे लेकिन समाप्त नहीं हुए। इसे 18 अप्रैल को जारी रखने की तैयारी है। ये चर्चाएं 19 अप्रैल से शुरू होने वाले सात चरण के लोकसभा चुनाव की शुरुआत से ठीक पहले हो रही हैं। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) यह सुनिश्चित करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की अधिक सावधानीपूर्वक जांच चाहता है कि चुनाव परिणाम सटीक और पारदर्शी हों। उनका सुझाव है कि इलेक्ट्रॉनिक रूप से रिकॉर्ड किए गए वोटों की पुष्टि के लिए वीवीपैट की पर्चियों की पूरी तरह से गिनती की जाए। Lok Sabha Elections