प्रयागराज : यौन उत्पीड़न की शिकार युवती के अनचाहे गर्भ को 3 दिन में समाप्त करने का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आदेश दिया। कोर्ट ने कानपुर नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को पीड़िता के भ्रूण के ऊतक और रक्त को साक्ष्य के तौर पर सुरक्षित रखने का भी निर्देश दिया। यह आदेश जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्रा और जस्टिस डोंडी रमेश की कोर्ट ने दिया।

याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि पीड़िता यौन उत्पीड़न की शिकार हुई है। इस वजह से वह गर्भवती हो गई है। एफआईआर दर्ज कराई गई है। पीड़िता सामाजिक शर्म के कारण गर्भ को समाप्त करना चाहती है। अपने साथ हुए अत्याचारों से वह काफी परेशान है। ऐसे में उसे गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए।अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि सरकारी आदेश के मुताबिक 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है। बशर्ते मामला यौन उत्पीड़न से जुड़ा हो। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार के सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट ने पीड़िता का गर्भ तीन दिन में गिराने की इजाजत दे दी। इससे पहले कोर्ट ने कानपुर नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मेडिकल बोर्ड गठित कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद रिपोर्ट में पीड़िता 15 हफ्ते 2 दिन की गर्भवती पाई गई। High Court News

याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि पीड़िता यौन उत्पीड़न की शिकार हुई है। इस वजह से वह गर्भवती हो गई है। एफआईआर दर्ज कराई गई है। पीड़िता सामाजिक शर्म के कारण गर्भ को समाप्त करना चाहती है। अपने साथ हुए अत्याचारों से वह काफी परेशान है। ऐसे में उसे गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए।अधिवक्ता ने कोर्ट में दलील दी कि सरकारी आदेश के मुताबिक 20 सप्ताह तक के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति दी जा सकती है। बशर्ते मामला यौन उत्पीड़न से जुड़ा हो। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट और राज्य सरकार के सरकारी आदेश का हवाला देते हुए कोर्ट ने पीड़िता का गर्भ तीन दिन में गिराने की इजाजत दे दी। इससे पहले कोर्ट ने कानपुर नगर के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को मेडिकल बोर्ड गठित कर रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था। इसके बाद रिपोर्ट में पीड़िता 15 हफ्ते 2 दिन की गर्भवती पाई गई। High Court News
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