Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues : 14 दिन में गन्ना भुगतान के दावे फ़ैल, योगी सरकार में नहीं हुआ किसानो के गन्ने का बकाया भुगतान
Published By Roshan LaL Saini
Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues : देश में त्यौहारी सीजन की शुरुआत के चलते चीनी के दामों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है जाहिर है कि चीनी मिलों की आमदनी भी बढ़ रही है तो गन्ना किसानों को उनके भुगतान में देरी का क्या कारण है? दूसरे भारतीय जनता पार्टी किसी भी हाल में पांच राज्यों के आगामी विधानसभा चुनाव तो जीतना ही चाहती है और साथ ही उससे ज्यादा साल 2024 में होने जा रहे लोकसभा चुनाव भी हर हाल में बड़े बहुमत से जीतना चाहती है। केंद्र की सत्ता में तीसरी बार आने के लिए उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव की सभी 80 सीटें जीतना भाजपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं, लेकिन पार्टी के नेताओं को अच्छी तरह मालूम है कि किसान भारतीय जनता पार्टी की सरकारों की नीतियों से नाखुश हैं, खासतौर पर फसलों का सही भाव यानि न्यूनतम समर्थन मूल्य नहीं मिलने के चलते।
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ऐसे में भाजपा की योगी सरकार 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर प्रदेश के किसानों को गन्ने का समर्थन मूल्य बढ़ाकर खुश करने की कोशिश कर सकती है। जबकि दो दिन पहले मुजफ्फरनगर के बुढ़ाना में बकाया भुगतान को लेकर चीनी मिल, प्रशासनिक अधिकारी और किसानों के बीच हुई वार्ता विफल रहने से नाराज किसानों ने मिल गेट को वेल्ड कर बंद कर दिया। अब इस मुद्दे पर 23 अक्तूबर को जिला गन्ना अधिकारी कार्यालय पर किसानों की पंचायत होगी। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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इतना ही नहीं पिछले दिनों पश्चिम उत्तर प्रदेश के किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल बकाया भुगतान और गन्ने के कम समर्थन मूल्य को लेकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में उनके सरकारी आवास पर मिला था। इस दौरान किसान नेता धर्मेंद्र मलिक व हरिनाम सिंह वर्मा के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने 11 सूत्रीय मांग पत्र मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सौंपा था। जिसमें गन्ने के मूल्य को महंगाई और फसल की बढ़ी हुई लागत के आधार पर बढ़ाने की मांग की गई थी, जिस पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपनी सहमति जताई थी। माना जा रहा है कि किसानों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार से गन्ना पेराई सत्र 2023-24 का राज्य परामर्शी मूल्य कम से कम 450 रुपये प्रति कुंटल घोषित करने की मांग से की है। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
इसके साथ ही किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से प्रदेश के बकाया गन्ना मूल्य का अविलम्ब भुगतान कराने की भी मांग की और कहा कि सरकार गन्ने के भुगतान को लेकर अपने 14 दिन के अंदर भुगतान करने के वादे को निभाते हुए चीनी मिलों से भुगतान कराए। अगर चीनी मिलें ऐसा नहीं करती हैं, तो भुगतान पर गन्ना मूल्य एवं कमीशन भुगतान हेतु उप्र गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम 1953 एवं तत्संबंधी नियमावली 1954 में व्यवस्था के अनुसार विलम्बित भुगतान पर सरकार को ब्याज दिलाने की पहल करनी चाहिए, जिससे किसानों को उनके आर्थिक नुकसान से बचाया जा सके। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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उल्लेखनीय है कि भारतीय जनता पार्टी हर बार अपने चुनावी घोषणा-पत्र में इस बात का वायदा भी कर चुकी है कि गन्ना किसानों को चीनी मिलों में गन्ना खरीदे जाने के 14 दिन के भीतर भुगतान किया जाएगा। लेकिन आज तक ऐसा नहीं हो सका है और अगर मैं सिर्फ पश्चिमी उत्तर प्रदेश की बात करूं, तो यहीं के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर तकरीबन चार हजार करोड़ रुपए बकाया हैं, जो कि पेराई सत्र 2022-23 और पेराई सत्र 2021-22 की बकाया राशि है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर साल 2022-23 का ही गन्ने का करीब 4 हजार करोड़ रुपए बकाया है। उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल और उससे पिछले साल के कुल बकाया में से किसानों को 29 सितंबर 2023 तक करीब 34 हजार करोड़ रुपए का ही भुगतान किया गया है। सरकारी आंकड़ों की मानें तो साल 2022-23 का तो बकाया है ही, पेराई सत्र 2021-22 का भी अभी बकाया है। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर, शामली, ऊन, मलकपुर (बागपत), सिंभावली, मोदी और इसी तरह की दर्जन भर चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया है। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दूसरी बार प्रदेश में सरकार है, लेकिन गन्ने का समर्थन मूल्य हर साल बढ़ने के बजाय सिर्फ एक बार बढ़ा है और वो भी बहुत मामूली सिर्फ 25 रुपए। अब सरकार दोबारा गन्ना का समर्थन मूल्य बढ़ाने की सोच रही है। कुछ जानकार कह रहे हैं कि योगी सरकार गन्ना का समर्थन मूल्य 25 से 35 रुपए ही बढ़ाने पर विचार कर रही है। अगर यह बात सही है, तो इतना कम समर्थन मूल्य किसानों की लागत और मेहनत के हिसाब से बहुत कम होगा और जाहिर है कि इससे किसान खुश तो नहीं होंगे, लेकिन संतोष ज़रूर कर सकते हैं। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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वहीं दूसरी और टिहरी सीजन शुरू होने से चीनी के दामों में बढ़ोतरी को देखते हुए केंद्र सरकार चीनी के निर्यात पर रोक लगाने पर भी विचार कर रही है जिससे कि चीनी की कालाबाजारी को रोका जा सके। इससे साफ जाहिर है कि चीनी मिल मालिक चीनी और अन्य उत्पादों को बेचकर मोटा मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन वह किसानों का भुगतान नहीं करना चाहते। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा गन्ना उत्पादक राज्य है। वाबजूद इसके गन्ना किसानों को अपने ही पैसे के लिए सबसे ज्यादा परेशान होना पड़ता है। अगर हम उत्तर प्रदेश के मुकाबले सीमावर्ती राज्य हरियाणा और पंजाब की बात करें, तो वहां गन्ना किसानों को इतनी दिक्कत नहीं होती है। उत्तर प्रदेश में इस समय गन्ने का समर्थन मूल्य 325 रुपए है, जबकि हरियाणा में गन्ना का समर्थन मूल्य 372 रुपए प्रति कुंटल और पंजाब में गन्ना का समर्थन मूल्य 380 रुपए प्रति कुंटल है। उत्तर प्रदेश के ये दोनों पड़ोसी राज्यों की सरकारें इस पेराई सत्र में भी गन्ना का समर्थन मूल्य बढ़ाने पर विचार कर रही हैं। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने भास्कर से बात करते हुए कहा कि वर्ष 2022-23 में गन्ने के मूल्य में किसी भी तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई है। ऐसे में किसानों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से हम किसानों को बड़ी आस है। इससे पहले किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा था कि किसानों की मांगें न मानी गईं, तो इस बार आरपार की लड़ाई होगी और आने वाले चुनाव में किसान के साथ आम जनता सबक सिखाने का काम भी करेगी। केंद्र सरकार ने वादा किया था कि किसानों को मुफ्त बिजली देंगे, सरकार ने बिजली तो मुफ़्त नही दी उल्टे आज किसानों के ट्यूबवेल पर बिजली मीटर जबरन लगाए जा रहे हैं। गन्ना सीजन शुरू होने को है लेकिन गन्ना मूल्य अब तक घोषित नहीं किया गया। अब गन्ना मूल्य नहीं बढ़ेगा तो कब बढ़ेगा। आज गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर करीब 5 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया है। उसका ब्याज पहले से बकाया चल रहा है। राकेश टिकैत ने कहा कि किसानों की मांगें न मानी गईं तो इस बार आर-पार की लड़ाई होगी और आने वाले लोक सभा चुनाव में किसान भाजपा को सबक सिखाने का काम करेगा। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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बहरहाल मेरा मानना है कि हमारे कृषि प्रधान देश भारत में सरकारों की गलत नीतियों के कारण अधिकांश किसान कर्जदार हो चुके हैं और बहुत से किसान तो इतने तंग हैं कि वो आत्महत्या करने को मजबूर हैं। हर साल सैंकड़ों किसान आत्महत्या कर रहे हैं। तमाम सियासी दलों के नेताओं और चीनी मिलों की रणनीति बनाने वाले अधिकारियों के लिए यह बहुत ही शर्म की बात है। इस में कोई दो राय नहीं है कि देश के किसानों के मजबूत होने से ही देश आर्थिक रूप से मजबूत होगा। लंबे समय से पश्चिम उत्तर प्रदेश की मांग कर रहे भगत सिंह वर्मा ने केंद्र सरकार से मांग की कि वो देश और किसानों को बचाने के लिए किसानों के सभी कर्ज माफ करें और उनकी फसलों का लाभकारी मूल्य दिलाने के अलावा राष्ट्रीय किसान आय आयोग का गठन करे। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
उन्होंने कहा कि सरकार देश के बुजुर्ग किसानों को कम से कम 5 हजार रुपए महीने की पेंशन दे। साथ ही मनरेगा योजना को सीधा खेती से जोड़कर किसानों को मजदूर उपलब्ध कराए। इसके अलावा सरकार देश के सभी किसानों का बीमा कराए और कम से कम प्रत्येक किसान को 10 लाख रुपए तक का हेल्थ कार्ड बनवाकर दे और खेती को लाभकारी बनाने की मांग की। लगातार गाना मूल्य में वृद्धि के लिए आवाज उठा रहे भगत सिंह वर्मा ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गन्ने की महंगी लागत और महंगाई को देखते हुए तत्काल गन्ने का लाभकारी मूल्य कम से कम 600 रुपए प्रति कुंटल घोषित करने की मांग की। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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साथ ही उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार तत्काल आदेश करे कि उत्तर प्रदेश की चीनी मिलें उन पर गन्ना किसानों की बकाया राशि 4 हजार करोड़ रुपए का भुगतान करें। उन्होंने कहा कि शुगर कंट्रोल ऑर्डर 1966 के अनुसार प्रदेश और देश की जो चीनी मील गन्ना किसानों को 14 दिन के अंदर भुगतान नहीं करती हैं, उन्हें 15 फीसदी वार्षिक ब्याज गन्ना किसानों को देना चाहिए। उत्तर प्रदेश की 121 चीनी मिलों पर पिछले वर्षों में देरी से किए गए गन्ना भुगतान पर लगा ब्याज 16 हजार 5 सौ करोड़ रुपए बकाया हैं, जिसे दिलाने के लिए सरकार गंभीर नहीं है, जबकि माननीय हाईकोर्ट में माननीय सुप्रीम कोर्ट ने भी चीनी मिलों को ब्याज देने के आदेश किए हुए हैं। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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उन्होंने सरकार को चीनी मिल मालिक गन्ना विभाग को कड़ी चेतावनी देते हुए कहा कि अगर जल्द ही गन्ने का समर्थन मूल्य 600 रुपए प्रति कुंटल नहीं किया गया और किसानों को गन्ने की बकाया राशि का भुगतान और उस पैसे का ब्याज नहीं दिलाया गया, तो किसान सड़कों पर उतरकर बड़ा आंदोलन करेंगे। ये जग ज़ाहिर है कि प्रदेश में 45 लाख से ज्यादा किसान गन्ने की खेती करते हैं, तब जाकर लोगों के जीवन में चीनी और गुड़ की मिठास आती है। अगर देश के दो सबसे बड़े गन्ना उत्पादक राज्य महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के किसान, उत्तर प्रदेश में भी पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान गन्ने की खेती करनी कम कर दें, तो हिंदुस्तान दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश नहीं रह जाएगा। इस बात को सरकार को समझना चाहिए और किसानों को कम से कम खेती पर लगने वाली लागत और मेहनत के हिसाब से गन्ना ही नहीं, बल्कि हर फसल का मूल्य देना चाहिए। Farmers Facing Financial Crisis Due Non Payment of Sugarcane Dues
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(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)