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Farmers Yearning for MSP : सरकार के सारे दावे फ़ैल, गन्ना भुगतान और वाजिब दाम को तरस रहे किसान

Farmers Yearning for MSP : सरकार के सारे दावे फ़ैल, गन्ना भुगतान और वाजिब दाम को तरस रहे किसान

Published By Roshan Lal Saini

Farmers Yearning for MSP : साल 2023-24 के लिए गन्ना पेराई सत्र शुरू हो चुका है, लेकिन सरकार के लाख वादों और दावों के बावजूद पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का पुराना बकाया अभी तक नहीं मिल सका है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों का गन्ना मिलों पर साल 2022-23 का ही करीब 4 हजार 200 करोड़ रुपए बकाया है। उत्तर प्रदेश गन्ना विकास विभाग के ताजा आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल और उससे पिछले साल के कुल बकाया में से किसानों को 29 सितंबर 2023 तक कुल 33 हजार 826 करोड़ 53 लाख रुपए का ही भुगतान किया गया। सरकारी आंकड़ों की मानें तो साल 2022-23 का तो बकाया है ही, पेराई सत्र 2021-22 का भी अभी बकाया है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश की मुजफ्फरनगर वेल्ट में शामली, ऊन, जो कि शामली में ही है, मलकपुर (बागपत), सिंभावली, मोदी और इसी तरह की करीब दर्जन भर चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया है।

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सहारनपुर मंडल के किसान तत्कालीन गन्ना मंत्री लक्ष्मीनारायण चौधरी से खासे नाराज नजर आते हैं, उनका कहना है कि हमारे क्षेत्रिय विधायक और पूर्व गन्ना मंत्री सुरेश राणा कम से कम हमारा फोन तो उठाते थे और मुलाकात भी करते थे भले ही वह आश्वासन देने के बावजूद काम ना करें। लेकिन वह संपर्क में रहते थे। तत्कालीन गन्ना मंत्री ना ख़ुद फोन उठाते हैं ना उनके कोई प्रतिनिधि फोन उठाते हैं। मंत्री का किसानों के प्रति व्यवहार अच्छा नहीं है। पश्चिमी यूपी के किसानों का कहना है कि गन्ना मंत्री किसानों की कसौटी पर नकारा साबित हो रहे हैं। जिला मुजफ्फरनगर के कस्बा सिसौली के गन्ना किसान राजवीर सिंह का कहना है कि अगर यही हाल रहा तो गाना मंत्री चौधरी लक्ष्मी नारायण को आने वाले चुनाव में वोट की चोट से जबरदस्त सबक सिखाया जाएगा। Farmers Yearning for MSP

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बहरहाल कुछ क्षेत्रीय किसानों का मानना है कि अब।प्रदेश सरकार गन्ना किसानों का बकाया न दिलाकर उन्हें कोरा आश्वासन और गन्ना मूल्य बढ़ाने का वादा करने की तैयारी में है। कहा तो यह जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार गन्ना किसानों की नाराजगी को आगामी साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव में अपनी जीत में इसे रोड़ा मानकर चल रही है और इसी के चलते वो जल्द ही किसानों को गन्ने का कुछ भाव बढ़ा भी सकती है। सूत्रों का कहना है कि योगी की सरकार गन्ने का मूल्य बढ़ाने की तैयारी में जुट गई है। हालांकि किसानों का यह आरोप है कि जब से योगी सरकार बनी है उसने गन्ने का बाजिव भाव आज तक नहीं दिया। किसानों की आमदनी दुगुनी करने का ढोल पीटने वाली सरकार ने महंगाई के लगातार बढ़ने और लागत के हिसाब से गन्ना मूल्य भाव आज तक नहीं बढ़ाया। Farmers Yearning for MSP

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पिछले साल भी गन्ना भाव में एक रुपया नहीं बढ़ा। इससे पहले योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव से पहले ही गन्ना किसानों की याद आई थी, लेकिन उन्होंने जिस तरह गन्ना का भाव बढ़ाया, उससे किसानों को कोई खास फायदा नहीं हुआ था। अब देखते हैं कि भाजपा की योगी सरकार आगामी लोकसभा चुनावों के मद्देनजर गन्ना किसानों को नए रेट क्या देती है? दरअसल, पिछले दिनों प्रदेश के गन्ना किसानों का एक प्रतिनिधिमंडल मुख्यमंत्री योगी से मिला था और इस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री से 11 सूत्री मांग एक मांग पत्र सौंपकर की थी, जिसमें गन्ने का उचित भाव देने की मांग भी शामिल थी। कहा जा रहा है कि महंगाई, ढुलाई और लागत को देखते हुए इस प्रतिनिधिमंडल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गन्ना पेराई सत्र 2023-24 के लिए राज्य परामर्शी मूल्य कम से कम 450 रुपये प्रति कुंटल करने की मांग की है। Farmers Yearning for MSP

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इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के बकाया गन्ना मूल्य का बिना देरी के भुगतान करने और गन्ना चीनी मिल को मिलने के 14 दिन के अंदर किसानों को उसका भुगतान करने की मांग भी की थी। प्रतिनिधिमंडल ने मांग की है कि ऐसा न होने पर जितने दिन गन्ने के भुगतान में देरी हो, उसका ब्याज किसानों को दिया जाए। जो कि उत्तर प्रदेश गन्ना (पूर्ति एवं खरीद विनियमन) अधिनियम, 1953 एवं तत्संबंधी नियमावली, 1954 में व्यवस्था के मुताबिक ही है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने से पहले और लोकसभा में भाजपा के केंद्र की सरकार में आने से पहले ये वायदा पार्टी अपने चुनावी घोषणा पत्र में भी कर चुकी है। गन्ने का समय से भुगतान यानि 14 दिन में भुगतान देने का वायदा भी भाजपा कर चुकी है, लेकिन उसे अभी तक अमल में नहीं लाया गया। Farmers Yearning for MSP

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बहरहाल, अभी सवाल गन्ने का उचित मूल्य और बकाया मिलने का है। पेराई सत्र 2022-23 में गन्ने का भाव बिलकुल नहीं बढ़ा, इसलिए किसानों को दोनों साल और पिछले जितने साल गन्ना भाव में बढ़ोतरी नहीं हुई, उसके हिसाब से भी इस बार बढ़ोतरी की आशा है। हालांकि आंतरिक सूत्रों से अपुष्ट जानकारी मिल रही है कि सरकार 30 से 40 रुपए प्रति कुंटल गन्ने का भाव बढ़ाने के मूड में है। जबकि कुछ जानकार दावा कर रहे हैं कि योगी की सरकार पिछली बार की तरह महज 25 रुपए प्रति कुंटल ही गन्ने का भाव बढ़ाने के मूड में है। इस प्रकार से अगर सरकार 25 रुपए गन्ने का भाव बढ़ाती है, तो गन्ने का नया भाव 350 रुपए प्रति कुंटल ही हो सकेगा, जबकि किसान 450 रुपए प्रति कुंटल का भाव मांग रहे हैं। पिछले पेराई सत्र तक गन्ने का भाव 325 रुपए प्रति कुंटल ही था, जो वर्तमान में भी लागू है। अगर इस हिसाब से गन्ने का भाव बढ़ा, तो 450 का भाव पहुंचने में 8-10 साल और लग जाएंगे, और तब तक महंगाई और लागत डेढ़ गुना बढ़ जाएंगी, जिससे किसानों को नया भाव वही ऊंट के मुंह में जीरा साबित होगा। Farmers Yearning for MSP

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उत्तर प्रदेश में 15 लाख से ज्यादा किसान गन्ने की फसल करते हैं, जिनमें 60 फीसदी किसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हैं, और इन्हीं किसानों की बदौलत हिंदुस्तान चीनी उत्पादन में दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा चीनी उत्पादक देश है। हिंदुस्तान में उत्तर प्रदेश अग्रणी है और महाराष्ट्र से चीनी उत्पादन में उत्तर प्रदेश का एक प्रकार का कंप्टीशन रहता है। इसलिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को समझना होगा कि अगर उत्तर प्रदेश को चीनी उत्पादन में देश में अव्वल बनाना है तो योगी की सरकार को किसानों को गन्ने का सही भाव देना होगा। Farmers Yearning for MSP

गन्ना किसानों को समय पर भुगतान न मिलने की वजह से वो अपनी आगामी फसलों के लिए कर्ज लेने पर मजबूर होते हैं, जिसका ब्याज उन पर बहुत ज्यादा पड़ता है और चीनी मिलें जो पैसा किसानों का रोककर सालोंसाल रखती हैं, वो उस पैसे से पैसा कमाती रहती हैं। इस प्रकार से किसानों के पास अपना पैसा होते हुए भी उन पर कर्ज और ब्याज की मार पड़ती रहती है, जबकि चीनी मिलें उन्हें सालोंसाल पैसा रोकने के एवज में एक फूटी कौड़ी भी ब्याज के रूप में नहीं देती हैं। यह समस्या महज उत्तर प्रदेश के ही गन्ना किसानों की नहीं है, बल्कि पूरे देश के गन्ना किसानों की ही है, जिस पर गौर किया जाना चाहिए और किसानों को गन्ने का बकाया भुगतान दिए जाने के साथ-साथ उन्हें समय पर गन्ने का बाजिव भाव भी मिलना चाहिए। Farmers Yearning for MSP

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(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)

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