फर्जी यूट्यूब : आज आम लोगों को चाहिए कि वें सिर्फ प्रमाणिक और विश्वसनीय समाचार स्रोतों पर ही भरोसा करे। पत्रकारिता की साख को बचाने के लिए सरकार और समाज को एकजुट होकर सामाजिक हितों और तमाम घोटाले कपड़ों का उजागर करने वाले यूट्यूब चैनलों को बढ़ावा और फर्जी यूट्यूब चैनलों और पत्रकारों के खिलाफ अभियान चलाना चाहिए।
ताकि पत्रकारिता के मूल उद्देश्य, अर्थात सत्य को उजागर करने और समाज को जागरूक करने के पथ पर अग्रसर रहा जा सके। हाल ही में केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस विषय पर राज्यों को निर्देश जारी किया है कि वह फर्जी यूट्यूब पत्रकारों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें। कुछ राज्यों में तो ऐसे कथित पत्रकारों को समाज में तनाव फैलाने के आरोप में गिरफ्तार भी किया गया है।
सरकारी सूत्रों के मुताबिक फर्जी यूट्यूब चैनलों के कई संचालक न केवल अवैध ढंग से पैसे ऐंठते हैं, बल्कि आम नागरिकों को धमकाकर अपना प्रभाव भी बढ़ाने का प्रयास करते हैं। ऐसे फर्जी पत्रकार कई बार प्रशासनिक अधिकारियों, व्यापारियों और यहां तक कि राजनेताओं को भी बदनाम करने के लिए झूठी खबरें प्रसारित करते हैं।
बहरहाल अब ऐसे में ईमानदार और सामाजिक हितों की रक्षा करने वाले पत्रकारों को इन फर्जी यूट्यूब चैनलों और पत्रकारों के कारण आने वाली समस्याओं से जूझते हुए खतरा मौल लेना पड़ता है। जिसमें उन्हें कई बार अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। इसके अलावा विश्वसनीय समाचार संस्थाओं पर भी अविश्वास का खतरा मंडराता है। आमजन को भ्रम से बचाने के लिए सरकार को जल्द ही ऐसे फर्जी पत्रकारों के खिलाफ ठोस कानून लाने की जरूरत है।