Published By Roshan Lal Saini
why sacrifice is given on eid सहारनपुर/देवबंद : 29 जून को बकरा ईद यानि ईद-उल-अजहा मनाने की तैयारियां जोर शोर से चल रही है। इस्लाम से जुड़े लोग बकरीद का त्यौहार पर कुर्बानी के लिए बकरे और भैंसे खरीद रहे हैं। वहीं फतवो की नगरी एवं विश्व विख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने बकरीद मनाने को लेकर तमाम मुसलमानो से एक अपील की है। दारुल उलूम ने अपील जारी करते हुए कहा है कि ईद-उल-अजहा का त्यौहार धूमधाम से मनाये लेकिन इस अवसर पर प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी हरगिज न करें। खुले में कुर्बानी न करें, साफ सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाये। दारुल उलूम देवबंद की ओर से यह भी कहा गया कि मुसलमानों को छाइये के बकरीद के दिन सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन का पालन करें और अपने त्यौहार को खुशियों के साथ मनाएं।
जानिये क्यों दी जाती है ईद पर कुर्बानी
दारुल उलूम देवबंद के मोहतमिम मौलाना अबुल नौमानी कासमी ने बताया कि बकरा ईद के त्यौहार को हर मुसलमान धूमधाम से मनाते हैं। कुर्बानी के इस त्यौहार को इस्लाम में इस लिए मनाया जाता है क्योंकि हमारे एक पैगंबर हजरत इब्राहिम से अल्लाह तबारक व ताला ने अपनी सबसे प्यारी चीज कुर्बान करने का हुकुम दिया था। जबकि पैगंबर हजरत इब्राहिम की सबसे प्यारी चीज उनका इकलौता बेटा था। अल्लाह ताला ने पैगंबर हजरत को यह बेटा उन्हें 80 साल की उम्र में प्राप्त हुआ था। जाहिर सी बात है कि उम्र के आखरी पड़ाव में प्राप्त हुआ बेटा उनके लिए सबसे महबूब और प्यारा था। बताया जाता ही कि पैगंबर साहब को लगातार तीन दिन ख्वाब आया कि वे अपने बेटे को कुर्बान कर रहे हैं। बेटे की कुर्बानी देने वाले सपने को देखने के बाद पैगंबर हजरत इब्राहिम के सामने ऐसी परिस्थिति आ गई कि उनके आगे कुआं पीछे खाई नजर आने लगी। पैगंबर साहब के सामने एक तरफ कलेजे का टुकड़ा उनका बेटा था दूसरी तरफ अल्लाह ताला का हुकुम। नवी हजरत इब्राहिम ने अपने ख़्वाब की बाबत बेटे इस्माइल को बताई तो बेटे इस्माइल ने भी हजरत इब्राहिम से को खा कि आपको अल्लाह ताला के हुकुम का पालन कीजिये। why sacrifice is given on eid
ये भी देखिये…..
जानिये अल्लाह ताला का हुकुम ?
जिसके बाद पैगंबर हजरत इस्माइल अपने बेटे को कुर्बान करने के लिए जंगल की तरफ ले जाते हैं। जहां पैगंबर हजरत इस्माइल बेटे की कुर्बानी देने के लिए छुरी चलाते हैं तो अल्लाह ताला उनकी यह बंदगी और अपने आदेश की पालन करता देख खुश होकर अल्लाह ताला ने हजरत इब्राहिम के बेटे की जगह छुरी के नीचे एक बकरे को लगा दिया। इसी आस्था के चलते हर मुसलमान बकरा ईद के दिन अल्लाह ताला के हुकुम के अनुसार बकरे की कुर्बानी देता है। उन्होंने बताया कि बकरे कुर्बानी सिर्फ प्रतीकात्मक रूप है असल में इस त्यौहार का महत्व अपने अंदर की बुराइयों को खत्म करना बताया गया है। इस दिन मुसलमान अपने माल की भी कुर्बानी देता है। बकरा ईद के दिन कुर्बानी के गोश के लिए भी हमें अल्लाह ताला का यह हुकुम है कि उसके भी तीन हिस्से किए जाए। जिसमें एक हिस्सा गरीब और जरूरतमंदों को और दूसरा हिस्सा अपने परिचितों मित्रों को और तीसरा हिस्सा अपने घर वालों को दिया जाता है। why sacrifice is given on eid
ये भी देखिये... बाल सुधार गृह के इस शोषण का जिम्मेदार कौन ?
ये भी पढ़िए … ठेकेदार की लापरवाही से गड्ढे में डूबे पांच बालक, दो की मौत, परिजनों में मचा कोहराम, जांच में जुटी पुलिस
दारुलुम देवबंद ने की यह अपील
दारुल उलूम देवबंद के वरिष्ठ उस्ताद मुफ्ती मुज़म्मिल मुजफ्फरनगरी ने सभी मुसलमानों को ईद उल अजहा की मुबारकबाद देते हुए कहा कि हमारे बुजुर्गों और बड़ों ने हमेशा से प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से मना किया है। इसलिए हर मुसलमान इसका ख्याल रखे और प्रतिबंधित जानवरों की कुर्बानी से हमेशा की तरह दूर रहे। उन्होंने यह भी कहा कि खुले में कुर्बानी न करें, सड़कों और रास्तों पर बिल्कुल कुर्बानी न करें, साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें, जानवरों के अवशेष को सड़कों या नालियों में न डालें बल्कि नगर पालिका द्वारा की गई व्यवस्था के अनुसार ही अवशेषों को गाड़ियों में डालें और इस बात का खास ध्यान रखें कि देश में रहने वाले अन्य धर्मों के लोगों को किसी भी तरह की इससे परेशानी न हो। मुफ्ती मुजम्मिल क़ासमी ने कहा कि मुसलमानों को इस बात का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए कि सड़कों और रास्ते पर नमाज पढ़ने पर पाबंदी है इसलिए उन्हें ईदगाह और मस्जिदों के परिसर के अंदर ही नमाज पढ़नी चाहिए। why sacrifice is given on eid