नई दिल्ली : महामहिम उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव सदन में आते ही क्या महाशय को एहसास हुआ कि वे जाट हैं और किसान के बेटे हैं? लेकिन 13 महीने तक दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के दौरान सड़कों पर कीलें लगाई गईं, पुलिस की लाठियां और आंसू गैस के गोले दागे गए। गर्मी, सर्दी और बरसात में 750 से ज्यादा किसान मर गए, तब क्या उन्हें किसान याद नहीं आए?
जब देश को गौरवान्वित करने वाली जाट समाज की महिला पहलवान बेटियां एक नर पिशाच व्यभिचारी के सामने बेबस होकर जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर रही थीं, जब दिल्ली पुलिस इन बेटियों को अपने बूटों से कुचल रही थी, तब क्या महाशय के मुंह में ऊंटनी के दूध का दही जम गया था? उस समय बेटियों और किसानों को नजरअंदाज करके वह अपना निजी लाभ, हित और निजी सम्मान देख रहे थे और अब जब जरूरत पड़ी तो उन्होंने जाट समुदाय और किसानों को अपनी ढाल बना लिया? आज उन्हें जाट समुदाय की याद आ रही है? इन मुद्दों पर कौन बोलेगा? Vice President
जाहिर है माननीय जगदीप धनखड़ हम सभी के लिए सम्मानीय हैं, क्योंकि वह देश के उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति हैं। हम उनसे गरिमा, निष्पक्षता और न्यायप्रियता की अपेक्षा करते हैं, जो सर्वोच्च संवैधानिक पद है। लेकिन 70 साल के इतिहास में मोदी राज में कई नए कीर्तिमानों के साथ-साथ एक नया कीर्तिमान यह भी बना है कि पहली बार इस संवैधानिक पद पर बैठे जाट उपराष्ट्रपति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया है। मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि भाजपा की विभाजनकारी रणनीति के तहत हमारे किसान और जाट समाज को भी कई गुटों में बांट दिया गया है। Vice President
समाज के कई लोग, जिनमें शायद मैं भी शामिल हूं, जाटों, किसानों, गांवों और खेतों आदि के मुद्दों पर भावनाओं में बहकर कई लोगों की आंखों की किरकिरी बन जाते हैं। वहीं दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समाज के नाम पर दलाली और चापलूसी करके अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते और सफेदपोश बनकर दूसरों को ज्ञान देते फिरते हैं। हालांकि, यह तो समय ही बताएगा कि हमारी आने वाली पीढ़ियां जाटों के इतिहास और आज की घटना को जांचने-परखने के लिए क्या दृष्टिकोण अपनाएंगी।
लेकिन जिस तरह से कृषि और ग्रामीण समाज में झूठ, छल और निरंतर गिरावट जारी है, उसके दूरगामी परिणाम होंगे, जिसका देश और खासकर किसान समुदाय पर गंभीर असर पड़ेगा। देश में लोगों को भाषा, धर्म, जातिवाद, क्षेत्रवाद की झूठी और फर्जी तस्वीर दिखाई जा रही है, जो आने वाले समय में बहुत घातक और देश के संविधान को चोट पहुंचाने वाली साबित हो सकती है। यह बहुत ही संवेदनशील और गंभीर मुद्दा है, जिस पर आज के सामाजिक, राजनीतिक और किसानों के तथाकथित ठेकेदारों को तुरंत सोचने की जरूरत है। Vice President and Farmer
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