Kisan Andolan : सर्वाधिक अन्न उपजाने वाले पंजाब में फरवरी से किसान आंदोलन तीन महीनों से बदस्तूर जारी है। हर रोज़ अनेकों यात्री ट्रेनें और मालगाड़िया प्रभावित हो रही है। करीब 100 से अधिक ट्रेनों का रास्ता बदला गया और 69 ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। कहीं सरकार आंदोलन कर रहे किसानों को आम जनता की नजर में उसको गिराना तो नहीं चाह रही है। इस विषय पर भी आंदोलन कर रहे किसानों के नेताओं को विचार करना होगा।
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सरकारों के कानों पर जूं तक नहीं रेंग रही है सत्ताधारी पार्टी के अलावा विपक्ष भी चुनाव में व्यस्त हैं। किसान की सुध लेने वाला कोई नहीं है। आंदोलन के चलते कुछ किसानों की मौत की खबरें भी आई थी। पिछले 17 अप्रैल को आंदोलन के शुरू होने से आजतक यही हालात बने हुए हैं। उस समय किसानों ने शंभू बॉर्डर के करीब अंबाला में राजपुरा-अंबाला सेक्शन को ब्लॉक कर दिया था।
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किसानों के विरोध प्रदर्शन की वज़ह से रेलवे विभाग को अमृतसर, जम्मू-कटरा, पठानकोट, उधमपुर और फिरोजपुर को कनेक्ट करने वाली ट्रेनों का रास्ता बदलना पड़ा। इस वजह से लंबी दूरी की पैसेंजर ट्रेनें प्रभावित हो रही है। जिन ट्रेनों का रास्ता बदला है, इनमें नई दिल्ली, पुरानी दिल्ली, जयनगर, कोलकाता, मुंबई, हावड़ा, डिब्रूगढ़, टाटा नगर, पूर्णिया, विशाखापट्टनम, इंदौर, सहरसा, कटिहार और नांदेड़ साहिब जाने वाली ट्रेनें शामिल हैं।
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इसके अलावा फिरोजपुर से देवघर झारखंड जाने वाली ट्रेन और उधमपुर से दुर्गापुर और दौलतपुर चौक से पुरानी दिल्ली जाने वाली ट्रेन को मोहाली-चंडीगढ़-घाग्गर के रास्ते अंबाला पहुंचाया जा रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं रेलवे प्रशासन को इस स्थिति को संभालने के लिए ओवरटाइम करना पड़ रहा है। कटरा-जम्मू के बीच चलने वाली 55 ट्रेनों का रास्ता बदला गया और इन्हें सानेहवाल-मोरिंदा-चंडीगढ़ के रास्ते निकाला जा रहा है।