Saharanpur : चमत्कारी घटनाओं और हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक है मनकेश्वर महादेव मंदिर, मुस्लिम किसान ने दान कर दी थी 17 बीघा जमीन

जलाभिषेक

सहारनपुर : कावड़ मार्ग पर चल रहे प्रतिष्ठानों पर नेमप्लेट को लेकर सियासी गलियारों में हल-चल मची हुई है योगी सरकार के निर्दशों का असर लखनऊ से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक देखने को मिला। वहीं सहारनपुर के गांव मानकी का मनकेश्वर महादेव मंदिर न सिर्फ दोनों धर्मों के बीच सद्भाव, सहयोग और भाईचारे की अनोखी मिशाल कायम कर रहा है। 800 साल पुराना यह मंदिर एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल के रूप में जाना जाता है। मुस्लिम किसान द्वारा अपनी जमीन मंदिर को दान में देने से धर्मों के बीच सद्भाव और एकता का संदेश दे रहा है। खेत की जुताई करते वक्त हल के आगे शिवलिंग के प्रकट होने और दूध की धार बहने की घटनाएं इस मंदिर को पवित्र और चमत्कारी बनाती हैं। जिसके चलते यह मंदिर अब दोनों समुदायों के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बन गया है। मनकेश्वर महादेव मंदिर में स्वयंभू शिव है।

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 आपको बता दें कि श्री मनकेश्वर महादेव मंदिर फतवों की नगरी देवबंद से महज पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह मंदिर न केवल प्रदेश बल्कि देश के विभिन्न कोनों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है। इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है और इसमें अनेक चमत्कारी घटनाएं घटित हुई हैं। प्रतिवर्ष श्रावण की चतुर्दशी को यहां विशाल मेला आयोजित किया जाता है। इस मेले में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु और कांवड़िए भगवान शिव का जलाभिषेक करने आते हैं। श्री मनकेश्वर महादेव मंदिर अपनी अद्भुत कहानियों और चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। यह मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक है।

दरअसल मनकेश्वर महादेव मंदिर की स्थापना वाली भूमि गाड़ा बिरादरी के एक मुस्लिम परिवार की थी। एक दिन जब मुस्लिम किसान अपने खेत में जुताई कर रहा था, तो उसका हल एक पत्थर से टकरा गया। पत्थर टूटने पर उसमें से खून और दूध की धारा बहने लगी। अचानक खेत में ऐसा दृश्य देख किसान डरकर पत्थर पर मिट्टी डालकर चला गया। अगले दिन जब किसान ने अपने परिवार के लोगों के साथ वापस खेत में आकर देखा तो पत्थर ऊपर उठा हुआ था। किसान ने पत्थर के आसपास की मिट्टी हटानी शुरू की तो पत्थर वापस जमीन में धंसने लगा। इस चमत्कार के बाद किसान ने अपनी जमीन मंदिर के लिए दान कर दी।

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जिसके बाद इस जमीन पर भव्य मंदिर का निर्माण किया गया। मंदिर में स्वयंभू शिवलिंग होने के चलते यह आस पास के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बनता चला गया। तभी से यह मंदिर न केवल एक सिद्धपीठ है बल्कि हिंदू-मुस्लिम एकता का भी प्रतीक माना जाता है। मंदिर के महंत और पुजारी के अनुसार, भगवान शिव ने मंथन के दौरान इसी स्थान पर आसन लगाया था और यहीं से स्वयंभू ज्योर्तिलिंग प्रकट हुए थे। 36 साल पहले गांव के प्रधान अल्लादिया ने भी मंदिर को तीन बीघा जमीन दान दी थी, जिससे आपसी सौहार्द और बढ़ गया। मंदिर को जमीन दान करने वाला मुस्लिम त्यौहार के मौके पर दर्शन करने जरूर आता है। ग्रामीणों के मुताबिक़ जब से यह मंदिर बना है इस इलाके में कभी हिन्दू-मुस्लिम विवाद नहीं हुआ।

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श्री मनकेश्वर महादेव मंदिर एक ऐसा स्थान है जहां धर्म और आस्था का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इस मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना है और यह अपनी चमत्कारिक घटनाओं के लिए प्रसिद्ध है। नाथो के नाथ भोले नाथ का यह मंदिर एक सिद्धपीठ माना जाता है और यहां भगवान शिव ने नीलकंठ महादेव मंदिर पर आसन लगाया था। दूर-दूर से लोग यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं। इस मंदिर से जुड़ी कई चमत्कारी घटनाएं हैं, जिनके कारण यहां लोगों की आस्था और बढ़ती है। कभी-कभी कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं जिन्हें हम चमत्कार कहते हैं। यह कहानी भी ऐसी ही एक चमत्कारी घटना है। दान करना एक पुण्य का काम है और यह कहानी हमें दान का महत्व सिखाती है। श्री मनकेश्वर महादेव मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक स्थल भी है। यह हमें सिखाता है कि धर्म और आस्था हमें एकजुट कर सकते हैं।

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श्री मनकेश्वर महादेव मंदिर का मुस्लिम किसान की जमीन में होने के साथ इसकी कहानी भी अद्भुत है और जिसका महत्व केवल स्थानीय ही नहीं, बल्कि देश के अन्य हिस्सों में भी है। यह मंदिर न केवल अपनी प्राचीनता के लिए जाना जाता है बल्कि यहां होने वाली चमत्कारी घटनाओं और हिंदू-मुस्लिम एकता का प्रतीक होने के कारण भी प्रसिद्ध है। मंदिर का इतिहास हजारों साल पुराना बताया जाता है। मान्यता है कि भगवान शिव ने मंथन के दौरान इस स्थान पर आसन लगाया था। एक मुस्लिम किसान के खेत में जुताई करते समय शिवलिंग का प्रकट होना और उसके बाद मंदिर का निर्माण होना, हिंदू-मुस्लिम एकता का एक अनूठा उदाहरण है।

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सहारनपुर की हरी-भरी हरियाली के बीच स्थित, मनकेश्वर महादेव मंदिर सदियों की भक्ति और सद्भाव के प्रमाण के रूप में खड़ा है। फतवो की नगरी देवबंद से महज पांच किलोमीटर दूर स्थित मनकेश्वर महादेव मंदिर, केवल एक पूजा स्थल से कहीं अधिक है। यह भक्ति की स्थायी भावना और विभिन्न धर्मों के सामंजस्यपूर्ण सह-अस्तित्व का एक जीवंत प्रमाण है।

किंवदंती है कि स्वयं-प्रकट शिवलिंग, मंदिर का केंद्रबिंदु, पृथ्वी से उभरा, एक दिव्य संकेत था जिसने दूर-दूर से लोगों को आकर्षित करता है। मंदिर की वास्तुकला, पारंपरिक हिंदू शैलियों का मिश्रण, क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाती है। सदियों से, मंदिर समुदाय के लिए एक केंद्र बिंदु बन गया है, जो अपनेपन और आध्यात्मिकता की भावना को बढ़ावा देता है। श्रावण के दौरान आयोजित होने वाला वार्षिक मेला एक जीवंत उत्सव है जो देश भर से भक्तों को आकर्षित करता है। मंदिर का अनोखा इतिहास, इसके शांत वातावरण के साथ मिलकर, इसे आध्यात्मिक साधकों के लिए एक अवश्य देखने लायक स्थान बनाता है।

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