पीएम मोदी : प्रयागराज में 45 दिनों तक चले भव्य महाकुंभ मेले का समापन हो गया है। उन्होंने इस मौके पर एक ब्लॉग लिखा, जिसमें उन्होंने महाकुंभ को ‘एकता का महायज्ञ’ बताया। पीएम मोदी ने महाकुंभ के सफल आयोजन की तारीफ करते हुए आयोजनों में कुछ व्यवस्थाओं की कमी पर खेद जताया और जनता से माफी मांगी। उन्होंने ब्लॉग में लिखा, “मैं जानता हूं, इतना बड़ा आयोजन आसान नहीं था। मैं मां गंगा, मां यमुना, मां सरस्वती से प्रार्थना करता हूं। हे मां, हमारी पूजा में कुछ कमी रह गई हो तो कृपया मुझे क्षमा करें।
पीएम मोदी के इस बयान से साफ है कि उन्होंने महाकुंभ मेले की व्यवस्थाओं को हरसंभव बेहतर बनाने की कोशिश की, लेकिन इतने बड़े आयोजन में कुछ छोटी-मोटी कमियां रह सकती हैं। साथ ही उन्होंने इस आयोजन के जरिए समाज में एकता और भाईचारे की भावना को बढ़ावा देने की बात भी कही। महाकुंभ मेले के समापन पर पीएम मोदी ने सभी श्रद्धालुओं का आभार जताया और इस आयोजन को एकता, समृद्धि और धार्मिक सद्भाव का प्रतीक बताया।
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एकता के महाकुंभ को सफल बनाने के लिए देशवासियों की कड़ी मेहनत, प्रयास और दृढ़ संकल्प से मैं अभिभूत हूं और मैं बारह ज्योतिर्लिंगों में से प्रथम ज्योतिर्लिंग श्री सोमनाथ के दर्शन करूंगा। मैं भक्ति के रूप में अपना संकल्प पुष्प अर्पित करूंगा और हर भारतीय के लिए प्रार्थना करूंगा। मेरी कामना है कि देशवासियों में एकता की यह अविरल धारा ऐसे ही बहती रहे।
प्रयागराज का महाकुंभ आज दुनिया भर के प्रबंधन पेशेवरों के साथ-साथ नियोजन और नीति विशेषज्ञों के लिए शोध का विषय बन गया है। आज पूरे विश्व में इतने बड़े आयोजन की कोई तुलना नहीं है। आज यह अपनी महिमा के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिसमें उन्होंने काशी चुनाव के दौरान अपनी भावनाओं को याद किया। उन्होंने कहा, “जब मैं चुनाव के लिए काशी गया था, तो मेरे भीतर की भावनाएं शब्दों में व्यक्त हुईं और मैंने कहा – ‘माँ गंगा ने मुझे बुलाया है।’ इसमें गहरी जिम्मेदारी की भावना थी, खासकर हमारी माँ नदियों की पवित्रता और निर्मलता को लेकर।”
प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर उनका संकल्प और मजबूत हो गया है। उन्होंने इस अवसर पर यह भी कहा, “गंगा जी, यमुना जी, हमारी नदियों की निर्मलता हमारी जीवन यात्रा से जुड़ी हुई है।” प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट किया कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम हर नदी को जीवनदायिनी मां के रूप में सम्मान दें और उनकी स्वच्छता सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करें। Mahakumbh 2025
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