सहारनपुर : उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में एक बार फिर NEWS 14 TODAY की खबर का जोरदार असर हुआ है। जिला प्रशासन ने NEWS 14 TODAY की खबर का संज्ञान लिया है। टायर जलाकर प्रदूषण फैलाने वाली अवैध फैक्ट्रियों पर कार्यवाई की गई है। प्रदूषण विभाग ने एक फैक्टरी को सील कर दिया है। जबकि कई फैक्टरियों को हिदायत देकर छोड़ दिया। हालाँकि जिस वक्त प्रदूषण विभाग की टीम ने फैक्टरियों में छापेमारी की उस वक्त फैक्टरी में बड़े पैमाने पर पुराने टायर जलाये जा रहे थे। जिससे आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण फ़ैल रहा था। लेकिन एक फैक्टरी पर कार्यवाई करना प्रदूषण विभाग की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रहा है।
आपको बता दें कि दिल्ली-एनसीआर में NGT के निर्देश पर प्रदूषण फैलाने वाली फैक्ट्रियों को बंद कर दिया गया है। इनमें से ज्यादातर फैक्टरियां वे हैं जिनमें टायरों से तेल निकालने और कार्बन पाउडर बनाने का काम किया जाता है। NCR में फैक्टरियां बंद होने पर फैक्ट्री संचालकों ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साम्राज्य स्थापित कर लिया है। NCR से बाहर जनपद सहारनपुर में 10 से ज्यादा फैक्ट्रियां पुराने टायरों से तेल निकालकर प्रदूषण फैलाया जा है। टायरों से निकलने वाली गैस से वातावरण में जहर घोला जा रहा है। आलम यह है कि फैक्टरी संचालक बेखौफ होकर रात के अँधेरे में पुराने टायरों को जलाकर जहां कीमती तेल निकाल रहे हैं वहीं सहारनपुर की हवा में जहरीली गैस छोड़कर वातावरण को प्रदूषित कर रहे हैं।
थाना देहात कोतवाली इलाके के गांव शंकलापुरी के जंगल में रात भर टायर जलाने वाली फैक्ट्रियां चलाई जा रही हैं। चौकाने वाली बात तो ये है कि जो फैक्टरियां प्रदूषण विभाग द्वारा सील की गई हैं वे भी रात के अंधेरे में जहरीला धुआं उगल रही हैं। रात को घरों में सोने वाले ग्रामीणों को जाग कर रात गुजारनी पड़ती है। जहरीली गैस से फ़ैल रही बीमारियों के कारण ग्रामीणों की नींद उडी हुई है। जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर बसे गांव शंकलापुरी, खुबनपुर, शाहपुर कदीम, सरकड़ी खुमार, कोलकी और मनसापुर गांव में इन फैक्टरियों से निकलने वाले धुंए ने जीना दुश्वार किया हुआ है। इन गांवों के आसपास सात से अधिक टायर फैक्ट्रियां जहर उगल रही हैं। फैक्ट्रियों से निकलने वाला जहरीला धुआं ग्रामीणों को बीमार कर रहा है। ग्रामीण कैंसर, दमा, टीबी और हृदय रोग से पीड़ित हो चुके हैं। News Impact
NEWS 14 TODAY ने फैक्टरियों में टायर जलाने की खबर को प्रमुखता से प्रसारित करने के बाद प्रदूषण विभाग हरकत में आया। आनन फानन में क्षेत्रीय अधिकारी योगेंद्र कुमार ने टीम के साथ पहुँच कर न सिर्फ फैक्टरियों में छापेमारी की बल्कि एके इंटरप्राइजेज नाम की फैक्टरी को सील कर दिया। जबकि कई दूसरी फैक्टरियों को क्लीन चिट देकर छोड़ दिया। प्रदूषण विभाग ने फैक्टरी में चल रहे बॉयलर और कई मशीनों को बंद करा कर सील करने की कार्यवाई की है। प्रदूषण अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि टायर जलाने के मानक तय किये गए हैं। ETV भारत पर खबर प्रसारित किये जाने के बाद प्रदूषण विभाग ने बीती रात को फैक्टरियों में छापेमारी की है। यूनिक टॉयर पैरालिसिस नाम की फैक्टरी को चोरी छिपे चला रहे थे। जहां मानकों को ताक पर रख कर टायर जलाये जा रहे थे। जिसको मौके पर सील कर दिया गया है। जबकि अन्य दो फैक्टरियों में में भी कमियां पाई गई हैं। जिनकी रिपोर्ट तैयार कर मुख्यलाय भेजी जा रही है।
NEWS 14 TODAY के सवालों का जवाब देते हुए प्रदूषण अधिकारी योगेंद्र कुमार ने बताया कि एयर पॉलुशन का मानक APCS होना चाहिए है और 30 मीटर ऊँची चिमनी होनी चाहिए। जबकि SPM 100 होना चाहिए। टायर जलाने से विभिन्न प्रकार की गैस निकलती हैं। उन्होंने बताया कि कार्बन मोनोऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (वीओसी), पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), ब्यूटाडीन, स्टाइरीन, जहरीले रसायन, बेंजीन, पारा जैसी जहरीली गैसें निकलती हैं। ये भारी होती हैं, इसलिए बहुत ऊपर नहीं जातीं। अगर कोई उस हवा में सांस लेगा, तो उसे फेफड़ों की बीमारी के साथ-साथ कैंसर, टीबी, अस्थमा और आंखों की क्षति होगी। हालांकि इसके लिए फैक्टरियों में वाटर स्कवायवर लगाया जाता है जिसका रेगुलर संचालन और मेंटिनेंस की जिम्मेदारी फैक्टरी मालिक की बनती है। इसके आलावा प्रदूषण विभाग भी समय समय पर निरिक्षण करता रहता है और डिफाटलर पाए जाने पर कार्यवाई की जाती है। News Impact
दरअसल शहर से सटे होने के कारण इन फैक्ट्रियों का धुआं शहर के लोगों को भी प्रभावित कर रहा है। इतना ही नहीं इन गांवों में बीमारियों से मौतों का सिलसिला थम नहीं रहा है। 15 दिन पहले एक 5 वर्षीय बच्ची की भी सांस की बीमारी से मौत हो गई थी। लोग सांस नहीं ले पा रहे हैं और गांव में रहते हुए घुटन महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों ने बताया कि फैक्ट्रियों के आसपास खेत हैं। वहां उनकी फसलें हैं, जो फैक्ट्रियों के धुएं से काली पड़ गई हैं। फैक्ट्रियों से निकलने वाले जानलेवा धुएं से फसलें जहरीली हो गई हैं। पशु भी इस चारे को नहीं खाते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार मंडलायुक्त और डीएम को लिखित शिकायत दी गई। विरोध प्रदर्शन भी किए गए। लेकिन कोई संज्ञान नहीं ले रहा है। इन सभी गांवों की आबादी 20 हजार से अधिक है। News Impact