कांवड़ यात्रा : कांवड़ मार्गों की खाने-पीने की दुकान पर संचालकों का नाम और पहचान अनिवार्य कर दिए जाने से जहां दुकानदारों में बेचैनी बढ़ गई है वहीं सियासी गलियारों में हलचल मची हुई है। जिसके चलते कांवड़ यात्रा सम्पन्न होने तक कावड़ मार्ग पर चल रही कईं दुकानें बंद करने का भी फैसला लिया गया। मुस्लिम समाज के लोगों ने अपनी दुकानें न सिर्फ हिन्दू समुदाय के लोगों को दुकान किराए पर दे दी बल्कि कई दुकानदारों ने हिन्दू साथी से साझेदारी कर ली है।
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उत्तर प्रदेश की सीमा से गुजरने वाले सहारनपुर-शामली समेत करीब 400 किमी के कांवड़ मार्ग पर दुकानदारों के बीच ऊहापोह की स्थिति देखने को मिल रही है। जबकि सरकार के इस फैसले को ज्यादातर दुकानदार सही मान रहे हैं बावजूद इसके सियासतदान इस मसले पर राजनितिक रोटियां सेकने में जुटे हैं।
आपको बता दें कि सावन महीना आते ही शिव भक्त कावड़ियों का भेष कर उत्तराखंड की ओर कूच कर जाते हैं। हर की पौड़ी हरिद्वार से कावड़ में गंगाजल लेकर कांवडिये उत्तर प्रदेश में प्रवेश करते हैं। काली नदी भगवानपुर के पास से सहारनपुर के रास्ते हरियाणा पंजाब के कावड़िये प्रवेश करते है तो वहीं थाना पुरकाजी के भूराहेडी चेकपोस्ट से मुज़फ्फरनगर से होकर गुजरने वाले कावड़ियों की एंट्री होती है। सबसे ज्यादा कावड़िये मुज़फ्फरनगर जिले से होकर ही अपने गंतव्य को जाते हैं। इस बार सरकार के नए आदेश का असर पुरकाजी में हाईवे, छपार, रामपुर तिराहा, सिसोना, कच्ची सड़क, मुज़फ्फरनगर शहर, शिव चौंक से मंसूरपुर, खतौली तक दिल्ली देहरादून हाइवे पर खूब दिखा।
News 14 Today की टीम ने कावड़ मार्ग ग्राउंड जीरो पर जाकर लोगों से बात की तो अलग अलग तर्क सामने आये है। इस दौरान पुरकाजी के रहने वाले सलीम ने बताया कि वे छपार टोल प्लाजा के पास कई सालों से चाय की दुकान चलाते आ रहे हैं। योगी सरकार के फरमान के बाद उन्होंने कांवड़ यात्रा संपन्न होने तक अपनी दुकान बंद रखने का मन बनाया है। आगामी 15 दिनों तक उन्हें थोड़ी परेशानी जरूर होगी। लेकिन वे धार्मिक यात्रा के दौरान किसी तरह के विवाद में नहीं पड़ना चाहते। उन्होंने अपनी दूकान को बंद कर पर्दा लगा डाल दिया है।
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थाना छपार इलाके के गांव बहेड़ी निवासी वसीम गांव के पास ही एक ढाबा चलाते हैं। सरकार द्वारा जारी नए नियम आने के बाद उन्होंने अपना ढाबा छपार निवासी मनोज पाल को एक महीने के लिए किराए पर दे दिया है। उनका कहना है कि हमें सरकार या जिला प्रशासन के नियमों से कोई परेशानी नहीं है। कांवड़ यात्रा के बाद फिर से अपना काम शुरू कर दिया जाएगा। फिलहाल उन्होंने अपना ढाबा हिन्दू भाई को किराए पर दे दिया है। ताकि कावड़ यात्रा के दौरान किसी तरह की कोई परेशानी का सामना ना करना पड़े।
शहर के कच्ची सड़क पर मिठाई की दुकान चलाने वाले शराफत का कहना है कि सरकार के फैसले से उन्हें किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन ये नियम समान भाव से लागू किये जाने चाहिए। उनका परिवार पिछले करीब 50 सालों से दुकान चलाते आ रहा है। कांवड़ यात्रा में उनका परिवार भी हर संभव सहयोग करते हैं। कानून सबके लिए बराबर है इसलिए नियम भी सबके लिए बनने चाहिए। हम सबको मिल जुलकर ही रहना है। बाकी इस मसले पर राजनीती नहीं करनी चाहिए।
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पूरे प्रदेश के लिए लागू हुए नियम के बाद कांवड़ मार्ग पर दुकानें चलाने वालों की बेचैनी बढ़ गई है। पुरकाजी से छपार के बीच ढाबा और दुकान चला रहे कईं मुस्लिम समाज के लोगों ने हिंदू समाज के अपने परिचितों को साझीदार किया है। इसके अलावा किराए पर भी दुकानें दी गई हैं। फल विक्रेता सद्दाम कहते हैं कि अगर मामला बढ़ा तो कांवड़ यात्रा खत्म होने तक ठैली नहीं लगाएंगे।
मुजफ्फरनगर में इन मार्गेां से गुजरते हैं कांवड़िये
– गंगनहर पटरी मार्ग-मंगलौर से भोपा, खतौली, मेरठ।
– गंगनहर जौली पुल-जटवाड़ा, कुतुबपुर, मेरठ।
– भूराहेड़ी, पुरकाजी, छपार, रामपुर तिराहा, शिव चौक।
– सिसौना, बझेड़ी फाटक, केवलपुरी, सरवट, शिव चौक।
– शिव चौक से वाया बुढ़ाना मोड़ से शामली।
– शिव चौक से शाहपुर, बुढ़ाना, बागपत।
– शिव चौक से वहलना, मंसूरपुर, नावला कोठी।
– नावला कट, खेड़ी तगान, भूपखेड़ी, मेरठ।
– नावला कोठी, रायपुर नंगली, सिकंदरपुर, मेरठ।
– नावला कोठी, खतौली, भंगेला, मेरठ।
– पानीपत-खटीमा बाईपास, सिसौना, पीनना।