धर्मांतरण बिल : हाल ही में आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने गुजरात के वलसाड में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि लोगों को लालच या डर के बहकावे में आकर धर्मांतरण नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि हम एकजुट होना जानते हैं और एकजुट होना चाहते हैं, लेकिन हमें खुद को बचाना होगा क्योंकि आज भी ऐसी ताकतें हैं जो चाहती हैं कि हम बदल जाएं यानी धर्मांतरण कर लें। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि जब हमारे दैनिक जीवन में ऐसी कोई ताकत नहीं होती है, तब भी लालच और प्रलोभन की घटनाएं सामने आती हैं। इसलिए हमें नियमित रूप से धार्मिक क्रियाएं करनी चाहिए। ऐसा नहीं होना चाहिए कि लालच या डर हमें अपनी आस्था से दूर कर दे।

दरअसल, आरएसएस प्रमुख का इशारा सद्गुरु धाम की ओर था, जहां आदिवासियों के उत्थान के लिए काम किया जाता है। सवाल यह है कि ऐसे समय में जब केंद्र से लेकर देश के ज्यादातर राज्यों में बीजेपी की सरकारें हैं और हिंदू धर्म को बचाने के नाम पर पूरे देश में तलवारें, भाले और दूसरे हथियार लहराए जा रहे हैं, क्या आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत धर्मांतरण की ओर इशारा कर रहे हैं और क्या उनका इशारा धर्मांतरण के मुद्दे को उठाना है? और अगर ऐसा है तो क्या अगले संसद सत्र में धर्मांतरण पर विधेयक लाने की तैयारी की जा रही है? क्योंकि वक्फ संशोधन अधिनियम-2025 बनने के बाद केंद्र की मोदी सरकार का मनोबल बढ़ता हुआ नजर आ रहा है और यह सब ऐसे समय में हो रहा है जब हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली जीतने के बाद वह बिहार और यहां तक कि पश्चिम बंगाल को भी जीतने की जिद पर अड़ी है, भले ही वहां उसे मिल रहा जनसमर्थन कम हो।
लेकिन राज्यों में लगातार जीत के बाद अगर भाजपा संघ के एजेंडे के तहत आने वाले धर्मांतरण विधेयक को पारित करने जा रही है तो कोई माने या न माने यह देश को हिंदू राष्ट्र बनाने की दिशा में एक और कदम होगा। हालांकि यह इतना आसान नहीं लगता, क्योंकि जिस तरह से देश में वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध हो रहा है और जिस तरह से कई याचिकाएं दायर कर इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है, उसके लिए यह राह भी आसान नहीं होगी। लेकिन फिर भी केंद्र की मोदी सरकार ने अपने फायदे के लिए जो भी विधेयक बनाए हैं और संसद में पेश किए हैं, उनमें से ज्यादातर को विपक्ष के विरोध के बावजूद पारित कर दिया है। वैसे भी अगर धर्मांतरण विधेयक जिसे जबरन धर्म परिवर्तन विरोधी विधेयक भी कहा जा रहा है, एक ऐसा विधेयक है जो किसी व्यक्ति को धोखे से या लालच देकर या जबरन उसका धर्म छुड़वाकर दूसरे धर्म में परिवर्तित करने के मामलों को रोकेगा।
अगर यह विधेयक सही तरीके से लागू हो जाता है तो घर वापसी का रास्ता भी बंद हो जाएगा, लेकिन ऐसा नहीं होगा, क्योंकि इसके तहत अगर लोग अपनी मर्जी से दूसरे धर्म में जाना चाहते हैं तो वे ऐसा कर सकेंगे। इसके लिए 60 दिन पहले जिला मजिस्ट्रेट को धर्म बदलने वाले व्यक्ति या लोगों को यह सूचना देनी होगी कि वे बिना किसी दबाव के, बिना किसी लालच के और बिना किसी डर के अपना धर्म बदल रहे हैं। लेकिन अगर बाद में पता भी चलता है कि किसी ने दूसरे धर्म के व्यक्ति या समूह को जबरन अपने धर्म में परिवर्तित किया है तो उसे सजा और जुर्माना दिया जाएगा।
साल 2024 में उत्तर प्रदेश में गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण (संशोधन) विधेयक, 2024 पारित किया गया। इस विधेयक के पारित होने से यह माना जा रहा था कि अब प्रदेश में लव जिहाद के मामले नहीं होंगे, लेकिन ये मामले नहीं रुके और न ही दूसरे धर्मों ने धर्म परिवर्तन का धंधा बंद किया। आज भी उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में बड़ी संख्या में हिंदू अपना धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, जिसमें लालच के साथ-साथ सम्मान का भी मामला है। क्योंकि हिंदू धर्म में निम्न वर्ग के लोग जिन्हें सम्मान नहीं मिलता या वे गरीबी से ग्रसित हैं या दोनों ही चीजें उनके सामने हैं, तो वे धर्म परिवर्तन करने में देरी नहीं करते।
इसी तरह दूसरे धर्मों के लोग भी हिंदू धर्म अपना रहे हैं, जिसमें कई बार जबरन धर्म परिवर्तन के कथित आरोप भी लगे हैं। हालांकि धर्म परिवर्तन विधेयक एक पेचीदा मुद्दा है, जो इसके पारित होने के समय और उसके बाद भी कई विवादों को जन्म देगा। इसलिए भाजपा और केंद्र की मोदी सरकार को ही नहीं, बल्कि संघ को भी यह समझना होगा कि देश को अभी विकास, सामाजिक एकता और सामाजिक न्याय की जरूरत है, ताकि देश के साथ-साथ देश के हर वर्ग का अंतिम व्यक्ति भी विकसित हो सके और हम बेरोजगारी, महंगाई, गरीबी और अन्य आंतरिक व बाह्य समस्याओं से निपट सकें। क्योंकि जब तक देश समृद्ध नहीं होगा, तब तक चाहे आप कितने भी विधेयक पारित कर दें और कितने भी कानून बना लें, कोई लाभ नहीं होगा। Conversation Bill
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