नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में 50 साल पहले लगाए गए आपातकाल की निंदा की गई। 26 जून 1075 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में आपातकाल की घोषणा की गई थी। कैबिनेट की बैठक के बाद केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि कैबिनेट ने उन अनगिनत लोगों के बलिदान को याद करने और उनका सम्मान करने का संकल्प लिया, जिन्होंने आपातकाल और भारतीय संविधान की भावना को नष्ट करने के प्रयास का बहादुरी से विरोध किया था।
उन्होंने कहा कि 1974 में नव निर्माण आंदोलन और संपूर्ण क्रांति अभियान को कुचलने के कठोर प्रयास के साथ विध्वंस की शुरुआत हुई थी। इस अवसर को चिह्नित करने के लिए, केंद्रीय कैबिनेट की आज की बैठक में उन लोगों को श्रद्धांजलि देने के लिए दो मिनट का मौन रखा गया, जिनके संविधान प्रदत्त लोकतांत्रिक अधिकार छीन लिए गए थे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने उत्तर प्रदेश के आगरा के सिंगना में अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) के दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र की स्थापना को मंजूरी दी। इस निवेश का मुख्य उद्देश्य आलू और शकरकंद की उत्पादकता, उपज प्रबंधन और मूल्य संवर्धन में सुधार करके खाद्य और पोषण सुरक्षा, किसानों की आय और रोजगार सृजन को बढ़ाना है।
कैबिनेट के फैसलों की जानकारी देते हुए वैष्णव ने कहा, “आज कैबिनेट की बैठक में तीन बड़े फैसले लिए गए। पुणे मेट्रो विस्तार के लिए 3626 करोड़ रुपये की राशि मंजूर की गई। दूसरा, झारखंड के धनबाद में झरिया भूमिगत आग का एक बहुत पुराना मुद्दा है, जिसके लिए 5,940 करोड़ रुपये के संशोधित मास्टर प्लान को मंजूरी दी गई। तीसरा, आगरा में 111 करोड़ रुपये की लागत से एक अंतरराष्ट्रीय आलू हब स्थापित किया जाएगा।” भारत में आलू क्षेत्र में उत्पादन क्षेत्र, प्रसंस्करण क्षेत्र, पैकेजिंग, परिवहन, विपणन, मूल्य श्रृंखला आदि में महत्वपूर्ण रोजगार के अवसर पैदा करने की क्षमता है।
इसलिए, इस क्षेत्र में अपार संभावनाओं का दोहन और पता लगाने के लिए, अंतर्राष्ट्रीय आलू केंद्र (सीआईपी) का दक्षिण एशिया क्षेत्रीय केंद्र उत्तर प्रदेश के आगरा के सिंगना में स्थापित किया जा रहा है। सीएसएआरसी द्वारा विकसित आलू और शकरकंद की उच्च उपज देने वाली, पोषक तत्वों से भरपूर और जलवायु अनुकूल किस्में न केवल भारत में बल्कि विश्व स्तर पर दक्षिण एशिया क्षेत्र में विज्ञान और नवाचार के माध्यम से आलू और शकरकंद क्षेत्रों के सतत विकास को महत्वपूर्ण रूप से गति प्रदान करेंगी।
झारखंड के झरिया कोयला क्षेत्र में भूमिगत आग से निपटने और प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए 5,940 करोड़ रुपये का संशोधित झरिया मास्टर प्लान (जेएमपी) तैयार किया गया है। नए मास्टर प्लान में क्षेत्र के प्रभावित परिवारों के लिए सतत आजीविका सृजन पर विशेष जोर दिया गया है। इसके तहत लक्षित कौशल विकास कार्यक्रम चलाए जाएंगे और पुनर्वासित परिवारों की आर्थिक आत्मनिर्भरता सुनिश्चित करने के लिए आय और रोजगार के अवसर पैदा किए जाएंगे।
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