प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम आदेश में कहा कि महिला के गुप्तांगों को छूना, उसके कपड़े फाड़ना और उसे पुलिया के नीचे खींचने का प्रयास करना बलात्कार या बलात्कार के प्रयास के अपराध के अंतर्गत नहीं आएगा। हाईकोर्ट कोर्ट ने कहा कि आरोपी पवन और आकाश के खिलाफ लगाए गए आरोप और मामले के तथ्य इस मामले में बलात्कार के प्रयास का अपराध नहीं बनाते हैं। बलात्कार के प्रयास का आरोप लगाने के लिए अभियोजन पक्ष को यह साबित करना होगा कि वह तैयारी के चरण से आगे निकल गया था। तैयारी और अपराध करने के वास्तविक प्रयास के बीच का अंतर मुख्य रूप से दृढ़ संकल्प की अधिक डिग्री में निहित है।
यह टिप्पणी न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने कासगंज के पटियाली थाने में दर्ज मामले में आकाश और दो अन्य आरोपियों की आपराधिक पुनरीक्षण याचिका को आंशिक रूप से स्वीकार करते हुए की। पुनरीक्षण याचिका में विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट कासगंज के आदेश को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने विशेष कोर्ट के समन आदेश में संशोधन करते हुए दो आरोपियों के खिलाफ आरोप बदल दिए हैं। उन्हें आईपीसी की धारा 376 और पॉक्सो एक्ट की धारा 18 के तहत मामले में तलब किया गया था।
मामले में अभियोजन पक्ष के अनुसार, आरोपियों (पवन और आकाश) ने 11 वर्षीय पीड़िता के निजी अंगों को छुआ और आकाश ने उसके पायजामे का नाड़ा तोड़ दिया और उसे पुलिया के नीचे खींचने की कोशिश की। हालांकि, राहगीरों/गवाहों के हस्तक्षेप के कारण, आरोपी पीड़िता को छोड़कर मौके से भाग गए। संबंधित ट्रायल कोर्ट ने इसे POCSO अधिनियम के दायरे में बलात्कार के प्रयास या यौन उत्पीड़न के प्रयास का मामला पाया और अधिनियम की धारा 18 (अपराध करने का प्रयास) के साथ IPC की धारा 376 को लागू किया और इन धाराओं के तहत समन आदेश पारित किया।