Darul Uloom Farman : दारुल उलूम ने छात्रों के अंग्रेजी नहीं पढ़ने का सुनाया फरमान, जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने दी सफाई
Published By Roshan Lal Saini
Darul Uloom Farman सहारनपुर : फतवों की नगरी एवं विश्वविख्यात इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने संस्थान में पढ़ने वाले छात्रों के लिए अजीबो गरीब फरमान जारी किया है। दारुल उलूम प्रबंधन ने मदरसे के छात्रों को उर्दू एवं धार्मिक तालीम के साथ अंग्रेजी पढ़ने और आधुनिक शिक्षा के कोर्स नही करने की हिदायत दी है। दारुल उलूम ने साफ चेतवानी देते हुए कहा है कि अगर दारुल उलूम में कक्षा छोड़कर अंग्रेजी पढ़ता पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाएगी। इस फरमान को लेकर जमीयत-उलेमा-ए-हिन्द राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी का बयान भी मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है। जिसके बाद अब मौलाना अरशद मदनी ने सफाई दी है। उन्होंने कहा कि दारुल उलूम के छात्रों पर अंग्रेजी और आधुनिक शिक्षा पर कोई बैन नही लगाया है। देश की मीडिया उनके बयान और दारुल उलूम के निर्देश को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रही है। जो सरासर गलत है।

आपको बता दें कि दारुल उलूम देवबंद में मुस्लिम छात्रों को केवल इस्लाम धर्म की पढ़ाई कराई जाती है। यहां दुनिया भर के मुस्लिम देशों के छात्र धार्मिक तालीम लेने आते हैं। दारुल उलूम प्रबंधन ने मदरसे के छात्रों के लिए नोटिस जारी करते हुए कहा कि जब तक छात्र दारुल उलूम की पढ़ाई करेंगे तब तक अंग्रेजी और दूसरे विषयों की पढ़ाई नही करेंगे। दारुल उलूम के इस फरमान से जहां छात्रों में हाल चल मची हुई है वहीं जमीयत अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने पूरे मामले पर सफाई दी है।
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इन दिनों देश भर में मौलाना अरशद मदनी के हवाले से दिया गया बयान और दारुल उलूम का फरमान मीडिया की सुर्खियां बना हुआ है। फरमान में कहा गया कि दारूल उलूम के छात्र अंग्रेज़ी कतई नही पढ़ेंगे और अगर ऐसा करते पाए गए तो उनका दारुल उलूम से निष्कासन कर दिया जाएगा और सख्त कार्यवाही अमल में लाई जाएगी। मौलाना अरशद मदनी ने भी बयान दिया था कि जो छात्र यहां पर दीनी तालीम सीखने के लिये आते हैं अरबी पढ़ने, आलिम बनने के लिए आते हैं उनकी पढ़ाई बहुत सख्त होती है। अगर ऐसे छात्र अलग से कोचिंग कर अंग्रेज़ी या दूसरी तालीम हासिल करने की कोशिश करते हैं तो वो कामयाबी हासिल नही कर पाते। Darul Uloom Farman
उन्होंने कहा कि हमारे यहां तालीम का निज़ाम बहुत सख्त है। जो छात्र मदरसे की पढ़ाई के साथ अंग्रेजी की ओर ध्यान देते हैं यानि ऐसे छात्र जो दो नाव की की सवारी करते हैं। वे न सिर्फ हमारे तालीमी निज़ाम को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि खुद के भविष्य को भी बिगाड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम अंग्रेज़ी तालीम के बिल्कुल भी ख़िलाफ़ नही हैं। जबकि दारुल उलूम में अंग्रेज़ी और कम्प्यूटर की आधुनिक पढ़ाई भी दी जाती है। जिसको वो पढ़ना है शौक से पढ़ सकते है। मौलाना के मुताबिक दीन की तालीम पूरी करने के बाद यहां का छात्र इंजीनियरिंग, मेडिकल और अन्य विषयों की पढाई कर सकते हैं। दारुल उलूम ने इसकी उन्हें हमेशा पूरी इजाजत है। मौलाना अरशद के मुताबिक ये फैंसला सिर्फ और सिर्फ़ इसलिए है कि छात्र जो भी पढ़ना चाहते हैं वो दिमाग और ज़हन एकतरफ़ा कर अपनी मनपसंद तालीम को पूरी तवज्जो के साथ पढ़ सकें। उन्होंने मीडिया पर आरोप लगाते हुए कहा कि तमाम मीडिया उनके बयान को गलत पेश कर रही है। Darul Uloom Farman
मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि भारत भर में बहुत से गुरुकुल भी चलाये जा रहे हैं जहां पर उनको धार्मिक शिक्षा दी जाती है और वहां पर वही छात्र एडमिशन लेते हैं जिनको धर्म की जानकारी और धार्मिक शिक्षा चाहिये। बावजूद इसके मदरसे और उनके छात्रों को ही टारगेट क्यों बनाया जाता है।गुरुकुल की तरह मदरसे में जो छात्र एडमिशन लेते हैं वो वहां धार्मिक शिक्षा, अरबी शिक्षा और मौलवी आलिम मुफ़्ती बनने के लिए ही आते हैं। Darul Uloom Farman
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