आज सीजेआई चंद्रचूड़ का कार्यकाल खत्म हो गया है, लेकिन अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने कई बड़े फैसले दिए हैं, जो भविष्य की न्यायिक कार्यवाही में मिसाल बनने जा रहे हैं। आइए जानते हैं वो फैसले कौन से हैं। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ राम मंदिर पर फैसला देने वाली संवैधानिक पीठ में थे। अयोध्या में राम जन्मभूमि पर मंदिर को लेकर चल रहे मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले में जस्टिस चंद्रचूड़ 5 जजों की संवैधानिक पीठ में भी जज थे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण शुरू हुआ, जहां इसी साल 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की गई।
इलेक्टोरल बॉन्ड का अंत
भारत सरकार ने राजनीतिक दलों को फंड देने के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की थी। इस सिस्टम के जरिए बीजेपी, कांग्रेस समेत सभी पार्टियों ने करोड़ों रुपए कमाए थे, लेकिन चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने इसे खारिज कर दिया था। बेंच ने कहा था कि यह सिस्टम पारदर्शी नहीं है। इस वजह से इलेक्टोरल बॉन्ड की व्यवस्था खत्म हो गई थी।
समलैंगिक विवाह पर बताया था स्टैंड
भारत में भी समलैंगिक विवाह की मांग उठती रही है। इस अहम मामले की सुनवाई भी चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने की थी। उनकी बेंच ने समलैंगिक विवाह को मंजूरी देने से इनकार करते हुए कहा था कि हम इस पर फैसला संसद पर छोड़ते हैं। अगर भविष्य में समाज को ऐसा करना जरूरी लगा तो वह फैसला लेगी।
अनुच्छेद 370 की मांग पर लंबी सुनवाई
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के खिलाफ दायर याचिकाओं पर भी चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने लंबी सुनवाई की। कोर्ट ने अनुच्छेद 370 को हटाने को संविधान के तहत माना। इस मामले में चीफ जस्टिस ने कहा था कि जजों ने संविधान और कानून के दायरे में फैसला लिया है।
दिल्ली बनाम केंद्र सरकार पर बड़ा फैसला
दिल्ली सरकार के प्रशासन और अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग पर विवाद और किसका अंतिम फैसला मान्य होगा? इसे लेकर दिल्ली और केंद्र सरकार के बीच लंबे समय से टकराव चल रहा था। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में भी लंबी सुनवाई हुई थी। इस पर कोर्ट ने कहा था कि ऐसे मामलों में दिल्ली की चुनी हुई सरकार को ही यह तय करने का अधिकार है कि उसके दायरे में कौन-कौन लोग आते हैं।
धर्म बदलने को निजता का अधिकार बताया
केरल के चर्चित हादिया विवाह मामले में फैसला सुनाने वाली बेंच में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। बेंच ने कहा था कि अगर कोई लड़की बालिग है तो यह उसका अधिकार है कि वह तय करे कि उसे किससे शादी करनी है। इसके अलावा अगर उसने स्वेच्छा से अपना धर्म बदला है तो उस पर भी कोई आपत्ति नहीं कर सकता। कोर्ट ने धर्म बदलने को निजता का अधिकार बताया था।
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर फैसला
केरल के प्रतिष्ठित सबरीमाला मंदिर में मासिक धर्म वाली महिलाओं के प्रवेश पर रोक के खिलाफ फैसला देने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ भी शामिल थे। फैसला देते हुए चंद्रचूड़ ने अपनी राय दी थी कि ऐसा करना असंवैधानिक है। संविधान के कई अनुच्छेद इसकी मनाही करते हैं और इस तरह की प्रथा को जारी रखना गलत है।
कॉलेजियम पर चंद्रचूड़ की राय अहम थी
राष्ट्रीय न्यायिक आयोग बनाम कॉलेजियम की बहस को लेकर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा था कि कॉलेजियम की व्यवस्था पूरी तरह पारदर्शी है। उन्होंने कहा कि हमने ऐसे कदम उठाए हैं कि कॉलेजियम की व्यवस्था पारदर्शी बनी रहे। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट में किसी भी जज को अनुमति नहीं देंगे।
कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न पर क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न पर भी फैसला दिया था। बेंच ने कहा था कि ऐसी बात महिलाओं के मौलिक अधिकारों का हनन है। कोर्ट ने कहा था कि इससे महिलाओं को काम करने के लिए कैसे प्रोत्साहन मिलेगा।