बदायूं : बदायूं के नीलकंठ महादेव मंदिर बनाम जामा मस्जिद मामले में मंगलवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। इंतेजामिया कमेटी की ओर से दलील दी गई। मस्जिद पक्ष के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए दलील दी कि इस मामले में सुनवाई नहीं होनी चाहिए। कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर-मस्जिद विवाद में कोई भी आदेश देने पर रोक लगा दी है। इस पर वादी पक्ष के अधिवक्ता ने अपनी दलीलें रखीं। अब मामले में अगली सुनवाई 24 दिसंबर को होगी। सुनवाई के दौरान कोर्ट परिसर में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रही।

अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पटेल ने 2022 में याचिका दायर कर दावा किया था कि जामा मस्जिद में नीलकंठ महादेव मंदिर है। दावा किया गया था कि शहर की जामा मस्जिद नीलकंठ महादेव मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। इस पर कोर्ट में सुनवाई चल रही है। सुनवाई में सबसे पहले सरकारी पक्ष की ओर से बहस शुरू की गई। अब इंतेजामिया कमेटी की ओर से बहस चल रही है।
पूरा मामला सुनने के बाद कोर्ट अपना फैसला देगा कि यह केस चलने लायक है या नहीं। पुरातत्व विभाग ने इसे राष्ट्रीय धरोहर बताया था मुकेश पटेल ने 8 अगस्त 2022 को कोर्ट में वाद दायर कर कहा था कि शहर की जामा मस्जिद जहां स्थित है, वहां पहले नीलकंठ महादेव का मंदिर हुआ करता था। इसके बाद से कोर्ट में इस मामले में सुनवाई शुरू हुई। सबसे पहले सरकार की ओर से पक्ष रखा गया। पुरातत्व विभाग ने इसे राष्ट्रीय धरोहर बताया।
साथ ही यह भी कहा कि राष्ट्रीय धरोहर से 200 मीटर तक सरकार की जमीन है। वादी पक्ष का दावा है कि मस्जिद मंदिर को तोड़कर बनाई गई थी। दोनों पक्षों के अपने-अपने दावे हैं। यह मामला सुनवाई लायक है या नहीं, इसका फैसला अदालत सबूतों और साक्ष्यों के आधार पर करेगी। Badaun News
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