अखिलेश यादव : मंगलवार को सपा प्रमुख पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने सहारनपुर में भाजपा पर अपनी भड़ास निकाली। जहां अखिलेश यादव ने भाजपा पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि भाजपा के लोग यूपी विधानसभा में तो 420C कर सकते हैं, लेकिन अगर 403 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव हो जाएं तो भाजपा की 420C नहीं चलेगी। आज से सत्र शुरू हो रहा है। आपने दिल्ली का सत्र भी देखा होगा, जो बजट आया था। वो निराशाजनक बजट था। अगर आप किसी से व्यक्तिगत तौर पर पूछेंगे कि बजट में उनके लिए क्या है, तो शायद वो बता न पाए? देश के बजट से लोगों को काफी उम्मीदें थीं। वो उम्मीद पूरी नहीं हुई। निराशा का भाव था। इस बजट में प्रदेश को क्या नया देंगे?
सपा प्रमुख ने कहा कि जब प्रदेश सरकार सारा पैसा कुंभ में खर्च कर देगी। तो किसान का क्या होगा? अर्थव्यवस्था को मजबूत करने के लिए कृषि, किसान और उनकी मदद से जुड़ी योजनाएं बनेंगी, तो हमारा देश भी समृद्ध होगा। भाजपा सरकार में किसान को क्या मिला? क्या गन्ने का दाम बढ़ा है? क्या उनकी कीटनाशक दवा सस्ती हुई है? क्या किसानों को खाद, डीएपी या दूसरी जरूरी चीजें मिल रही हैं? ये वही सरकार है जिसने कहा था कि हम किसानों की आय दोगुनी करेंगे। बीजेपी पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि हमें खेती को जानवरों से बचाना है।
सरकार ने कोई जगह नहीं बताई है जहां आय दोगुनी होगी। हमारे किसानों की हालत किसी से छिपी नहीं है। इस तरह से हमारे युवा भी बड़े पैमाने पर बेरोजगार हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि जो लोग कहते थे कि हम 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाएंगे। हम विश्व गुरु बन गए हैं। हम बहुत जल्द तीसरे नंबर की अर्थव्यवस्था बन जाएंगे। अमेरिका से भेजे गए लोगों के मामले में अखिलेश यादव ने कहा कि आज दुनिया में भारत की तारीफ हो रही है। क्या आपने अपने नागरिकों को किसी देश में देखा है। आप बेड़ियां और हथकड़ी लगाकर आए हैं। उन्हें कितने घंटे वॉशरूम का इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं है।
अखिलेश यादव ने कहा कि युवा बेड़ियां नहीं खोल सकते। महिलाओं के साथ क्या व्यवहार किया गया है? अगर हम कोई चीज धार्मिक रूप से अपनाते हैं। या फिर हमारा पहनावा है, तो उस पर भी धर्म के हिसाब से छेड़छाड़ की जा रही है। हमें अपने धर्म के हिसाब से काम नहीं करने दिया जा रहा है। दुनिया का सबसे ताकतवर देश, जिसे ये सरकार अपना दोस्त कहती थी। क्या उस ताकतवर देश ने हमारे देश के लोगों को अपमानित नहीं किया? क्या दुनिया ने बेड़ियां और हथकड़ी के बारे में नहीं सुना? मैंने सदन में कहा था कि पिछली बार हीरे ले गए थे। इस बार हथकड़ी, बेड़ियां या जंजीर ले लेनी चाहिए थी। ताकि सरकार को याद रहे कि ये सरकार हमारे नागरिकों के साथ कैसा व्यवहार कर रही है?
उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ हमारे देश के लोगों को अपमानित किया जा रहा है और दूसरी तरफ हम पूरा बाजार उन्हें दे रहे हैं। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि हमारे मोबाइल भी उनके हैं, लगता है चीन के हैं। जब हम मैन्युफैक्चरिंग पर ध्यान नहीं देंगे। जो सपना दिखाया गया था कि हमारा भारत मेक इन इंडिया होगा आज पूरा नहीं हुआ। हर चीज बाजार में आ रही है। कभी न कभी कोई ये जरूर सोचेगा कि हमारा देश मजबूत कैसे हो सकता है? हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी कैसे हो सकती है? हमारे किसान समृद्ध कैसे हो सकते हैं। युवाओं को नौकरी और रोजगार कैसे मिल सकता है? लेकिन भाजपा को लोगों की भावनाओं से खेलना आता है? हाल ही में मैंने देखा कि उन्होंने प्रचार किया कि यह कुंभ 144 साल बाद हो रहा है। महाकुंभ, महा आयोजन हो रहा है। लेकिन अगर हम वैज्ञानिक रूप से, किसी खगोल विज्ञान के माध्यम से जानना चाहें, तो क्या यह पहली बार हो रहा है? जितने भी कुंभ होते हैं, वे 144 साल बाद ही होते हैं।
उन्होंने कहा- ऐसा कोई कुंभ नहीं है जो 144 साल बाद न हो। क्योंकि पृथ्वी और ग्रह कब अस्तित्व में आए। ब्रह्मांड कब अस्तित्व में आया। सम्राट हर्षवर्धन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा- उन्होंने कुंभ का आयोजन शुरू किया। वे इसे महाकुंभ कह रहे हैं। वे अपने पैसे की ताकत से, आयोजनों के जरिए दिखावा कर रहे हैं। वे पत्रकारों पर दबाव डालकर कुंभ का आयोजन कर रहे हैं और उन्होंने ही कुंभ की शुरुआत की। भाजपा वाले प्रचार कर रहे हैं कि कुंभ पहले नहीं हुआ। वे ही इसे शुरू कर रहे हैं। कुंभ में दुर्दशा और व्यवस्था बिगड़ गई है। क्या धार्मिक कार्यक्रम में ऐसा हो सकता है? सरकार सामाजिक कार्यक्रमों में लाभ देख रही है। वे कह रहे हैं कि हमने इतना पैसा खर्च किया है कि हमारी अर्थव्यवस्था को इतना फायदा होगा। इनका क्या गणित है? पता नहीं ये कहां से सीखा है। इनके पास क्या तरीका है? हम तो कह रहे हैं कि 70 करोड़ लोगों ने स्नान किया है।
सपा प्रमुख बोले कि बीजेपी का चुनाव लड़ने का तरीका बहुत अलग है। ये अधिकारियों और प्रेस पर दबाव डालते हैं। ये सारी हदें पार कर देते हैं। जब पड़ोसी राज्य में उपचुनाव हुआ तो इन्होंने वोटरों को बाहर नहीं निकलने दिया और उन्हें रोक दिया। इन्होंने पुलिस से प्राइवेट ड्रेस में वोट डलवाए। सुनने में आ रहा है कि पुलिस ईवीएम का बटन भी दबा रही थी। इन्होंने सारे चुनाव अधिकारी तय कर रखे थे। बीजेपी ने ये भी तय कर रखा था कि कितने इंस्पेक्टर प्राइवेट ड्रेस में रहेंगे। जब इन्होंने चुनाव आयोग से शिकायत की तो पुलिस ने कहा कि ये लोग प्राइवेट ड्रेस में रहेंगे।
सीएम योगी के भजन गाने वाले बयान पर कटाक्ष करते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि गोरखपुर जाना है तो जाइए। हम भी उनसे भजन सुनना चाहते हैं जो योगी हैं और भजन गाते हैं। क्योंकि हमारे मुख्यमंत्री को भजन नहीं आता। इसलिए उन्होंने ये लाइन ली। भैया आप कपड़े पहनकर नहाने चले गए। आप किसे सिखा रहे थे कि धार्मिक स्नान कपड़े पहनकर किया जाता है। कुंभ का राजनीतिकरण किसने किया? हर चीज का राजनीतिकरण करते हैं। बीजेपी खेल या सामाजिक कार्यक्रमों में भी फायदा उठाना चाहती है। उन्होंने कहा कि ये हमारा धार्मिक और हमारा था। कोई बुलाने से नहीं आता। लोग खुद ही चले जाते हैं। हजारों सालों से लोग वहां जाते हैं। किसी को बुलाते नहीं। नई परंपरा शुरू कर रहे हैं।
अगर उन्हें गोरखपुर जाना है तो जाएं। अखिलेश ने कहा- मौलाना होना अच्छा है और योगी होना भी अच्छा है। बुरा योगी होना ठीक नहीं है। शिक्षा का सवाल है, सपा ने बच्चों को पढ़ाई के लिए लैपटॉप दिए थे। मैं शर्त के साथ कह सकता हूं कि जिस वार्ड में मुख्यमंत्री रहते हैं। उस वार्ड में आपको समाजवादी पार्टी द्वारा दिए गए 100-200 लैपटॉप मिलेंगे। कितना पुराना है, जो आज भी काम कर रहा होगा। ये डायल-100 है, सपा ने इसे तकनीक के हिसाब से शुरू किया था। हम कन्या विद्याधन देने वाले लोग हैं। बेटियों को कैसे आगे बढ़ाया जाए, इसके लिए हम काम करते हैं। इस सरकार में उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वो कहां जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि कपड़े पहनकर स्नान नहीं किया जाता है। ये परंपरा कहां से शुरू हुई? 2027 के चुनाव को लेकर उन्होंने कहा- कांग्रेस से कोई टकराव नहीं है। हम समाजवादी हैं, हम भारत गठबंधन को मजबूत करना चाहते हैं और मजबूत करेंगे। आने वाले चुनाव में भारत गठबंधन रहेगा और कांग्रेस के साथ चुनाव लड़ेंगे। गठबंधन वैसा ही रहेगा जैसा कांग्रेस के साथ था। आने वाले समय में जो चुनाव होने वाले हैं, हम मिलकर तय करेंगे। जो पार्टी सीट जीतेगी, वो उस सीट पर चुनाव लड़ेगी। ये मूल भावना थी। नीतीश कुमार ने तय किया था कि जो पार्टी यहां मजबूत है, उसके नेतृत्व में चुनाव लड़ा जाएगा। हमें उम्मीद है कि हार के बाद हम बहुत कुछ सीखेंगे।