Lest The Baby Get Sick : कहीं बीमार ना हो जाए नौनिहाल, शिक्षा के मंदिर का बुरा हाल
Published By Roshan Lal Saini
Lest The Baby Get Sick सहारनपुर : एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बेहतर शिक्षा देने के दावे कर रही है वहीं सहारनपुर के अंतिम गांव सोंधेबास का प्राथमिक विद्यालय बदहाली के आंसू बहा रहा है। जहां स्कूली बच्चों को न सिर्फ गंदगी से दो चार होना पड़ रहा है बल्कि शिक्षा विभाग की अनदेखी भी झेलनी पड़ रही है। आलम यह है कि मिड डे मील बनाने वाली रसोइया को भी ईंधन में लकड़ी और उपले जलाने पड़ रहे हैं। जबकि प्रदेश सरकार स्कूलों में बनने वाले मिड डे मील के लिए गैस सिलेंडर की सुविधा दे रही है। स्वच्छता की बात करें तो लाखो की लागत से बने स्कूल परिसर में चारों ओर कूड़ा और गंदगी देखने को मिल रही है। शौचालयों की बात करें तो शौचालयों में जाने के लिए इन मासूम बच्चो को जान जोखिम में डालकर जाना पड़ता है। कीचड़ में हुई फिसलन में अगर किसी बच्चे का पैर फिसल जाए तो उसको गंभीर चोट आ सकती है। शायद शिक्षा विभाग और प्रशासन भी किसी बड़े हादसे के इन्तजार में हैं।
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आपको बता दें कि यह तस्वीरें जनपद सहारनपुर के अंतिम गांव सोंधेबास की हैं। नकुड़ विधान सभा क्षेत्र का यह गांव यमुना पार हरियाणा की ओर जिला मुख्यालय से करीब 60 किलोमीटर की दुरी पर बसा हुआ है। बीच में यमुना नदी होने के चलते गांव सोंधेबास न सिर्फ जिला प्रशासन और अधिकारियों पहुंच से दूर है वहीं स्थानीय विधायक भी वहां जाने से बचते हैं। यमुना पार हरियाणा की ओर बसे सोंधेबास गांव में सरकारी योजनाए तो पहुंच रही है लेकिन ग्राम सचिव और जिम्मेदार लोग उन योजनाओं कैश कर लेते हैं। यही हाल प्राथमिक स्कूल में देखने को मिला। Lest The Baby Get Sick
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सोंधेबास के करोडो रूपये खर्च कर प्राथमिक विद्यालय और माध्यमिक विद्यालय बना हुआ है। गांव के सैकड़ों बच्चे इस विद्यालय में कक्षा आठ तक पढाई कर रहे हैं। विद्यालय में मिड डे मील बनाने के लिए रसोइया भी तैनात है। लेकिन बच्चो के लिए खाना बनाने के लिए रसोइया को गैस सिलेंडर की कोई व्यवस्था नहीं नहीं है। जिसके चलते ईंटो के चूल्हे में लकड़ियां जला कर मिड डे मील का खाना बनाने को मजबूर हैं। हैरत की बात तो ये है इन बच्चो को सरकारी मेन्यू के हिसाब से दूध और फल कभी कबाक ही मिल पाता है। इतना ही नहीं जो भी खाना बच्चों को दिया जा रहा है वो भी घटिया क़्वालिटी का है। अच्छे चावलों की बजाए राशन डिपो में दिया जाने वाला चावल परोसा जा रहा है। जिसके चलते स्कूल प्रधानाचार्य पर सवाल उठने लाज़मी है। Lest The Baby Get Sick
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दिसंबर का महीना शुरू होने के चलते सर्दी भी अपना असर दिखाने लगी है। कड़ाके की ठंड में ये स्कूली बच्चे बिना स्वेटर और जूतों के स्कूल आने को मजबूर हैं। इन बच्चो को अभी तक तो स्कूल ड्रेस मिली और ना ही जुराब जूते। ठिठुरती ठंड में ये मासूम बच्चे बिना ड्रेस के टूटी फूटी चप्पल पहन कर स्कूल आ रहे हैं। सोंधेबास गांव के इस विद्यालय में बच्चो के बैठने के लिए पर्याप्त बैंचे भी नहीं हैं। जिसके चलते इन मासूम बच्चो को ठंड के मौसम में टाट पट्टी बिछाकर ठंडे फर्स पर बैठकर पढ़ाई करनी पड़ रही है। जबकि सरकार सभी सरकारी स्कूलों में बैंच और बच्चो के लिए ड्रेस, जुराब-जूते और किताबे निशुल्क मुहैया कराती है। बावजूद इसके ये बच्चे सरकार द्वारा भेजी गई ड्रेस और जुराब-जूतों से वंचित हैं। ऐसे में यह कहना भी गलत नहीं होगा कि इन बच्चों को मिलने वाली सरकारी सुविधाएं कहीं ना कहीं भ्र्ष्टाचार की भेंट चढ़ गई है। Lest The Baby Get Sick
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अब हम आपको विद्यालय में बने शौचालय की बदहाली के बारे में बताते हैं। यहां लाखो की लागत से बच्चो के लिए शौचालय बनाये गए हैं। लेकिन शौचालय और पेशाब घर के बाहर की हालत देखकर हर कोई हैरान है। बच्चों द्वारा पेशाब घर में किया गया मूत्र दरवाजे से बाहर तक बह रहा है। जिससे मूत्रालय के बाहर कीचड़ जैसे हालत बने हुए हैं और इसी कीचड़ से होकर इन बच्चों को शौचालय और पेशाब घर तक जाना पड़ता है। वहीं नलके का पानी भी शौचालय के बाहर बह रहा है। जिसके चलते काई जमने से फिसलन हो जाती है इसी फिसलन से होकर इन बच्चों को जान जोखिम डालकर पेशाब घर तक जाना पड़ रहा है। ऐसे में किसी स्कूली बच्चे के साथ कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। क्योंकि इसी तरह बचते बचाते इन बच्चों को पानी पीने नल तक जाना पड़ता है। Lest The Baby Get Sick
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अगर हम विद्यालय परिसर की बात करें तो यहाँ स्वच्छ भारत मिशन अभियान को भी ठेंगा दिखाया जा रहा है। विद्यालय परिसर में भवनों के चारों तरफ कूड़ा ही कूड़ा नजर आता है। साफ़ सफाई का कोई ध्यान नहीं रखा जाता है। जिससे विद्यालय में आने वाले बच्चों में बीमारियां फैलने का खतरा बना रहता है। ग्राम प्रधान मांगेराम का कहना है गांव के विद्यालय में सफाई कर्मचारी नहीं है। कई बार प्रशासन को पत्र लिख कर मांग की गई है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जबकि प्रधानचार्य ने बताया कि विद्यालय में लगे नलके से स्वत: ही पानी निकल रहा है। जो विद्यालय परिसर में फ़ैल जाता है इसके लिए कई बार प्रशासन को पत्र लिखे गए हैं। पानी निकासी ना होने की वजह से आसपास के खेतों में पानी छोड़ने पर किसान नाराजगी जताते हैं। Lest The Baby Get Sick