Emergency Became Like Amrit-Kaal : आपात-काल जैसा हुआ अमृत-काल, ईडी और सीबीआई का हो रहा गलत इस्तेमाल
Published By Roshan Lal Saini
Emergency Became Like Amrit-Kaal : भारतीय जनता पार्टी के तमाम नेता खासतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इंदिरा गांधी के द्वारा साल 1975 में लगाए गए आपातकाल का गाहे बगाहे जिक्र करते रहते हैं। इसमें कोई दो राय नहीं कि उस समय तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का ये कदम देश और केंद्र की इंदिरा सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलने वालों के हित में नहीं था, लेकिन वो एक खुला और घोषित आपातकाल था। आज सवाल ये है कि अब जब आपातकाल नहीं है, फिर भी हालात इंदिरा गांधी के घोषित आपातकाल से मिलते जुलते क्यों हैं? जहां विरोधी इसे अघोषित आपातकाल कह रहे हैं। वहीं सरकार इसे अमृतकाल कह रही है और जश्न मना रही है। अमृतकाल भी विरोधियों को जेल में ठूंसकर, मनमानी करके और लोगों की तकलीफों को अनसुना करके मनाया जा रहा है।
राजनीति के जानकारों का मानना है कि आम आदमी पार्टी के संजय सिंह की गिरफ्तारी किसी को समझ नहीं आ रही है कि आखिर किस आधार पर हुई है? किसी भी आदमी के नाम लेने भर से विपक्षी पार्टियों के नेताओं को जेल में जिस तरह से डाला जा रहा है और 2024 से पहले जितनों को जेल में डाला जाएगा, उस पर कोई कुछ बोलने को तैयार नहीं है। जो बोलेगा, जेल उसका ठिकाना हो सकता है। इससे पहले मनीष सिसोदिया को भी आरोपों के आधार पर ही गिरफ्तार किया गया। उनकी संपत्ति भी अटेच कर ली गई। मनीष सिसोदिया को जेल में लगभग साढ़े सात महीने पूरे हो चुके हैं। हाल ही में कोर्ट ने सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर ईडी को कड़ी फटकार लगाई है कि जब सिसोदिया के खिलाफ ईडी के पास पुख्ता सबूत नहीं हैं, तो उन्हें गिरफ्तार करके क्यों रखा है? Emergency Became Like Amrit-Kaal
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बहरहाल, सवाल ये है कि अगर कोई भी किसी का नाम ले ले, तो क्या उसे बिना ठोस सबूतों के आधार पर गिरफ्तार किया जा सकता है? अगर गिरफ्तारी और सजा का यही मापदंड है, तो फिर उन नेताओं को गिरफ्तार क्यों नहीं किया जा रहा है, जिन पर गंभीर आरोप लगे हुए हैं और जिनके खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हैं? ऐसे दागी नेता, मंत्री, सांसद और विधायक ही क्यों, अगर इस तरह गिरफ्तारी करने पर सरकारी एजेंसियां आ जाएं, तब तो जिस-जिस के खिलाफ आरोप लगते हैं, उसे-उसे गिरफ्तार कर ही लिया जाना चाहिए। फिर राजनीति में बचेगा कौन? आंकड़ों के मुताबिक़ संसद में क़रीब 45 फीसदी से ज्यादा सांसद दागी हैं और 95 फीसदी सांसदों की संपत्ति आय से अधिक है। उन्हें किस आधार पर छोड़ा हुआ है? अब तक जो भी गिरफ्तारियां हुईं, वहां तक उतने सवाल नहीं उठे, जितने सवाल ईडी की कार्रवाही पर आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद उठ रहे हैं। Emergency Became Like Amrit-Kaal
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इंडिया गठबंधन के नेताओं का आरोप है कि विपक्ष के बड़े नेताओं को लोकसभा चुनाव से पहले जान बूझकर निशाना बनाया जा रहा है, ताकि चुनाव में इसका फायदा लिया जा सके। लेकिन यहां मैं याद दिलाना चाहूंगा कि जब इंदिरा गांधी ने प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए उन सभी विपक्षी नेताओं को जेल में डाला, जो ताकतवर थे और सरकार की नीतियों के खिलाफ मुखर थे। ऐसे लगभग 80 फीसदी से ज्यादा नेताओं ने जेल से ही चुनाव लड़ा और उनमें से ज्यादातर जीतकर बाहर आए थे। अब ऐसे में सवाल उठता है कि अगर अब 2024 के लोकसभा चुनाव में ऐसा ही हुआ, तो केंद्र की मोदी सरकार क्या करेगी और खासतौर पर ईडी और सीबीआई के वो अधिकारी क्या करेंगे, जो बदले की भावना या फिर सरकार के इशारे पर काम कर रहे हैं? Emergency Became Like Amrit-Kaal
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम है कि इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियों में से कम से कम 8 पार्टियों के बड़े नेताओं को ईडी अभी गिरफ्तार करने के लिए उनकी फाइलें तैयार कर चुकी है। यह बात कितनी सही है, कितनी नहीं, इस बारे में कुछ कहना तो उचित नहीं है, लेकिन इस बीच ईडी की कार्रवाही पर जो सवाल उठे हैं, वो बड़े गंभीर और ईडी के लिए शर्मनाक हैं। मसलन, कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी, उनके बेटे राहुल गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा, शिवसेना नेता संजय राउत, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, बिहार के उप मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव, शरद पवार के करीबी और एनसीपी (शरद) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटील और कई दूसरे बड़े नेता ईडी के रडार पर हैं। ईडी के पूर्व प्रमुख संजय मिश्रा, जिन्हें रिटायरमेंट के बावजूद कई बार एक्सटेंशन देकर ईडी के पद पर बरकरार रखा गया, उन्होंने जिस तरह काम किया सरकार उससे काफी खुश रही और सुप्रीम कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद न चाहते हुए भी सरकार को उन्हें रिटायरमेंट देना पड़ा। अब राहुल नवीन प्रमुख बने हैं और ऐसा कहा जा रहा है कि शायद वो भी अपनी वफादारी सरकार को आगे बढ़कर दिखाना चाहते हैं। Emergency Became Like Amrit-Kaal
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दरअसल, इसी साल अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में 16 पार्टियों के हवाले से एक याचिका दाखिल की थी, जिसमें ईडी की भूमिका को लेकर सवाल उठाए गए हैं। याचिका में कहा गया है कि ईडी और सीबीआई के 95 फ़ीसदी केस विपक्षी नेताओं के खिलाफ हैं, जो उसने पीएमएलए के तहत विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करने के लिए बनाए हैं, ताकि उन्हें आसानी से जमानत न मिल पाए। दरअसल, साल 2002 में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए पीएमएलए यानि धन शोधन निवारण अधिनियम पारित किया गया था। लेकिन पिछले कुछ सालों से, खास तौर पर हाल के तीन-चार सालों में ईडी ने जितने मामलों में विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार किया है या उन्हें समन जारी करके पूछताछ के लिए बुलाया है, उन मामलों में केवल 2 फीसदी मामले ही सही कार्रवाही करने का दावा किया जा रहा है। Emergency Became Like Amrit-Kaal
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हाल ही में सामने आई एक रिपोर्ट के मुताबिक, ईडी ने मौजूदा सांसदों, विधायकों, एमएलसी और पूर्व सांसदों, पूर्व विधायकों, पूर्व एमएलसी के खिलाफ कुल 176 प्रवर्तन मामलों में ईसीआईआर दर्ज की है, जो 2002 के बाद कानून के आने के बाद से दर्ज की गई कुल 5,906 शिकायतों का 2.98 प्रतिशत है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पीएमएलए के तहत ईडी ने कुल 1,142 शिकायतें दर्ज की हैं, जिनके आधार पर कुल 513 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें कई मजबूत नेता भी हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि करीब 96 फीसदी आरोपियों को ईडी ने सजा दिलाई है और इन दोषियों की करीब 36.23 करोड़ रुपए की संपत्ति जब्त की गई है, जबकि कोर्ट में दोषियों पर करीब 4.62 करोड़ रुपए का जुर्माना लगा है। ईडी पर सवाल उठ रहे हैं कि वो जिन लोगों को आरोपों के आधार पर गिरफ्तार कर लेती है, उन लोगों के खिलाफ पुख्ता सबूत भी समय से नहीं जुटा पाती है। Emergency Became Like Amrit-Kaal
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देश में अगर राजनीतिक पार्टियों की बात करें, तो ईडी ने अब तक सबसे ज्यादा नेता आम आदमी पार्टी के गिरफ्तार किए हैं। इन नेताओं में सत्येंद्र जैन, मनीष सिसोदिया और संजय सिंह कद्दावर नेता हैं। संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का गुस्सा चरम पर है और वो धरना दे रहे हैं। संजय सिंह की गिरफ्तारी को लेकर आम आदमी पार्टी के दिल्ली अध्यक्ष गोपाल राय ने भारतीय जनता पार्टी, केंद्र की मोदी सरकार और खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुली चेतावनी देते हुए कहा है कि भाजपा चाहती है कि विपक्ष के बड़े नेताओं को चुनाव से पहले जेल में बंद करके चुनाव को जीत लिया जाए, लेकिन विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद करने से भी वे (भाजपा नेता) अपनी जमानत नहीं बचा पाएंगे। इस देश के हर सर्वे में बताया जा रहा है कि आगामी चुनावों में भाजपा हार रही है। उमोदी इसी बौखलाहट में कार्रवाई करवा रहे हैं। आप नेता ने खुले तौर पर कहा कि अब पूरे देश में मोदी हटाओ, देश बचाओ के पोस्टर लगाए जाएंगे। Emergency Became Like Amrit-Kaal
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पिछले दिनों हुई संजय सिंह की गिरफ्तारी के बाद वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दिवंगत जस्टिस कृष्णा अय्यर के एक कोट को सोशल मीडिया पर पोस्ट किया है, जिसमें लिखा हुआ है कि अब इस दौर में जमानत नहीं, जेल कानून है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भी केंद्र की मोदी सरकार की मंशा पर सवालिया निशान लगाते हुए, साल 2024 के लोकसभा चुनाव होने तक ताकतवर विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी की बात कहते हुए भाजपा पर तानाशाही का आरोप लगाया है। Emergency Became Like Amrit-Kaal
बहरहाल, अब ऐसा प्रतीत होता है कि हिंदुस्तान की राजनीति अब बदले की भावना से काम करने की दिशा में जा रही है, जो कि देश के भविष्य के लिए ही नहीं, बल्कि आम लोगों के भविष्य के लिए भी काफी खतरनाक साबित होने के संकेत हैं। जाहिर है कि आज की सरकार विपक्षी पार्टियों के नेताओं के खिलाफ अपनी ताकत का इस्तेमाल करेगी, तो कल जब दूसरी किसी पार्टी की सरकार बनेगी, वो भी विपक्षी पार्टियों, खास तौर पर दुश्मनी की तरह शिकंजा कसने वाली पार्टी के नेताओं के खिलाफ अपनी ताकतों का इस्तेमाल करेगी। इस प्रकार से देश में सभी पार्टियों का प्रमुख काम यही रह जाएगा कि किस तरह से वो विपक्षी पार्टियों के नेताओं से निपटे और इसके चक्कर में देश और देशवासियों की प्राथमिकताएं कहीं पीछे छूटती चली जाएंगी, जो देश के लिए बहुत घातक साबित होंगी। Emergency Became Like Amrit-Kaal
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इसके साथ-साथ सरकार बदलते ही जांच एजेंसियों के उन अधिकारियों पर भी गाज गिरेगी, जो बदले की भावना या सरकार के इशारे काम कर रहे हैं। इसलिए सरकार के अलावा जांच एजेंसियों के अधिकारियों को भी चाहिए जो नेता भ्रष्ट हैं, उन्हीं के खिलाफ कार्रवाही करें, चाहे वो विपक्षी पार्टियों के हों या फिर चारे सत्ताधारी पार्टी के ही क्यों न हों। इससे देश के लोगों के मन में भी जांच एजेंसियों के प्रति भरोसा पैदा होगा और जांच एजेंसियों पर सवाल भी नहीं उठेंगे। Emergency Became Like Amrit-Kaal