सोशल मिडिया : आज युवा सोशल मीडिया के दुरुपयोग से कैसे बचें? यह सबसे बड़ा सवाल है क्योंकि डिजिटल युग में सोशल मीडिया युवा पीढ़ी का अभिन्न अंग बन चुका है। एक तरफ यह संचार, सूचना और अभिव्यक्ति का माध्यम है, वहीं दूसरी तरफ इसका अत्यधिक उपयोग और दुरुपयोग युवाओं को मानसिक, सामाजिक और नैतिक रूप से प्रभावित कर रहा है। इस संदर्भ में यह जानना बहुत जरूरी है कि युवाओं को सोशल मीडिया के दुरुपयोग से कैसे बचाया जाए, क्योंकि आज सोशल मीडिया हमारे लिए दोधारी तलवार बन चुका है, इसके बिना हमारा काम संभव नहीं है और यह बहुत हानिकारक भी है, इसलिए इस बारे में सोचने की जरूरत है कि संतुलन कैसे बनाया जाए, इससे कैसे बचा जाए।
दरअसल, सोशल मीडिया के दुरुपयोग को आम तौर पर कैसे रोका जाए! आजकल लोग बहुत ज्यादा समय बिताते हैं, घंटों स्क्रीन पर रहते हैं, उनकी नींद और दिनचर्या प्रभावित होती है। दूसरों की ‘परफेक्ट लाइफ’ देखकर खुद को हीन या उदास महसूस करना, सोशल मीडिया नेटवर्क पर फर्जी खबरें और अफवाहें फैलाना, बिना पुष्टि के जानकारी साझा करना, ऑनलाइन ट्रोलिंग, साइबर बुलिंग, दूसरों को नीचा दिखाना या खुद इसका शिकार होना जैसी झूठी तुलनाओं से भी बचना चाहिए। आजकल सोशल मीडिया को न केवल शहरों और महानगरों में बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी डिजिटल लत के रूप में देखा जा रहा है।
अपने सोशल अकाउंट पर लाइक, कमेंट और फॉलोअर्स पाने के लिए पागलपन की हद तक जा रहे युवा यह दिखाते हैं कि यह एक ऐसी लत है जो किसी भी अन्य लत से कम नहीं है। वैसे भी युवाओं को इस डिजिटल लत से कैसे बचाया जा सकता है? यह सबसे बड़ा सवाल है। मेरा मानना है कि युवाओं को डिजिटल अनुशासन अपनाना चाहिए और हर दिन सोशल मीडिया के लिए एक सीमित समय निर्धारित करना चाहिए। कम से कम एक दिन “डिजिटल डिटॉक्स” डे के रूप में रखें, जैसे सप्ताह में एक बार सोशल मीडिया से दूरी बनाए रखें, अपने परिवार के साथ समय बिताएं, पिकनिक पर जाएं, दोस्तों के साथ समय बिताएं और अपने दोस्तों को यह भी बताएं कि सोशल मीडिया के क्या फायदे और नुकसान हैं और हम इससे कैसे बच सकते हैं।
इसलिए सोच-समझकर कंटेंट शेयर करें, किसी भी जानकारी को शेयर करने से पहले उसकी प्रामाणिकता की जांच करें। अफवाहों से दूर रहें, तथा किसी समुदाय विशेष को नुकसान पहुंचाने वाली पोस्ट से बचें। स्वस्थ मानसिकता विकसित करें, सोशल मीडिया पर देखी जाने वाली जिंदगियों की तुलना अपनी वास्तविकता से न करें, खुद को रचनात्मक, सकारात्मक और प्रामाणिक बनाएं।
खैर, अंत में मैं यही कहना चाहूंगा कि अपनी और दूसरों की निजता का ख्याल रखें, अपनी निजी जानकारी और फोटो हर किसी के साथ साझा न करें। मजबूत पासवर्ड रखें और दो स्तरीय सुरक्षा (2FA) का इस्तेमाल करें। सोशल मीडिया के संदर्भ में अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है, इसलिए उन्हें छात्रों और बच्चों से संवाद करते रहना चाहिए और उन्हें हर बात पर बहुत अधिक प्रतिबंधित नहीं करना चाहिए। बच्चों को सोशल मीडिया का सही उपयोग उन्हें डराकर नहीं, बल्कि समझाकर सिखाएं।