अंबेडकर प्रकरण : बाबा साहब को लेकर दिए ब्यान से साफ है कि अमित शाह ने अंबेडकर के मुद्दे पर विपक्ष को एक बड़ा हथियार दे दिया है, जिस पर सभी राजनीतिक दल राजनीतिक लाभ उठाते नजर आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश में भाजपा की इस दुर्गति में मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस एक बड़ा अवसर तलाश रही है। उसे लगता है कि बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए दलितों की एक बड़ी संख्या अंबेडकर के मुद्दे पर कांग्रेस के साथ आ सकती है।
दरअसल, कांग्रेस उत्तर प्रदेश में जिस तरह से बसपा की हालत लगातार खराब हो रही है, उसका फायदा उठाना चाहती है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी समझती है कि अगर इस मुद्दे का श्रेय कांग्रेस को जाता है तो भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है। इसलिए बसपा के जिला मुख्यालयों पर कल हुए प्रदर्शन और बसपा सुप्रीमो मायावती के इस बयान को देखते हुए कि अमित शाह को माफी मांगनी चाहिए और पश्चाताप करना चाहिए।
दलित समुदाय द्वारा उन्हें माफ किया जा सकता है। मायावती के इस बयान को इस तरह से समझा जा सकता है कि जल्द ही अमित शाह अपने शब्द वापस लेकर माफी मांग सकते हैं और मायावती को उनके बयान का श्रेय मिल सकता है।
बहरहाल, जहां कांग्रेस अडानी और ‘एक देश एक चुनाव’ के मुद्दे पर भाजपा को संसद में घेर नहीं पाई वहीं अंबेडकर का मुद्दा कांग्रेस के लिए एक ऐसा हथियार बन गया जिसका वह भरपूर फायदा उठाना चाहती है क्योंकि कांग्रेस जानती है कि यह मुद्दा उसके लिए आपदा में अवसर बन सकता है। जिससे उत्तर प्रदेश में उसकी बंजर जमीन फिर से उपजाऊ हो सकती है जिस पर पार्टी अपनी राजनीतिक फसल उगा सकती है।
आज तक केवल कुछ ही राजनीतिक दल अंबेडकर के अनुयायी थे। लेकिन आज कई राजनीतिक दल अंबेडकर को भगवान से भी बड़ा दर्जा दे रहे हैं, जो दर्शाता है कि राजनीतिक दल वोट बैंक के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। अगर उन्हें राजनीति करनी है तो उन्हें ये सारे हथकंडे अपनाने होंगे, यही आज की राजनीति है। Amit Shah