सहारनपुर : एक ओर जहां सीएम योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश को भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश बनाने के दावे कर रहे हैं वहीं सीएम योगी के विधायक ही उनके दावों को पलीता लगाने में लगे हैं। ताज़ा मामला जनपद सहारनपुर का है जहां रामपुर मनिहारान से बीजेपी विधायक देवेंद्र निम पर स्वास्थ्य विभाग में निर्माण कार्यों में भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं। प्रयागराज हाईकोर्ट ने जनहित याचिका का संज्ञान लेकर स्वास्थ्य विभाग में निर्माण कार्य करने वाली फर्म के भुगतान पर रोक दी है। कार्यदायी यह फर्म बीजेपी के विधायक देवेंद्र निम की मां के नाम पर है। बीजेपी विधायक की इस फर्म पर निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा के फर्जी हस्ताक्षर करने का भी आरोप लगा है। हाईकोर्ट में 4 नवंबर को इस मामले की सुनवाई होगी।
आपको बता दें कि सहारनपुर की रामपुर मनिहारान सीट से बीजेपी विधायक देवेंद्र निम ने अपनी मां के नाम से “मैमर्स पदमलता निम” फर्म चलाई हुई है। स्वास्थ्य विभाग के निर्माण कार्यों के लिए बीजेपी विधायक ने “मैमर्स पदमलता निम” फर्म को पंजीकृत कराया हुआ है। फर्म भले ही मां के नाम से पंजीकृत हो लेकिन संचालित स्वंम विधायक जी करते हैं। सत्ता की हनक के चलते मां के नाम से संचालित फर्म “मैमर्स पदमलता निम” के लिए स्वाथ्य विभाग से मनचाहे कार्यों का ठेका ले रहे हैं। हैरत की बात ये है कि विधायकी का रसूख दिखाकर मनचाहे बिल पास करा लेते हैं। आरोप तो यह भी है कि फर्म संचालक निदेशक स्वास्थ्य विभाग के फर्जी हस्ताक्षर करके बिलों का भुगतान भी करा लेते हैं। जिससे सरकार और विभाग को लाखों रूपये का चुना लगाया जा रहा है। Saharanpur News
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विधायक देवेंद्र निम की मनमानी इतनी बढ़ गई थी कि स्वास्थ्य विभाग अधिकारियों पर भी अनावश्यक दबाव बनाने लगे थे। लेकिन विधायक सत्तारूढ़ पार्टी से थे तो विरोध करने और मना करने की किसी अधिकारी ने हिम्मत नहीं की थी। इसी बीच सहारनपुर निवासी अशोक पुंडीर ने मामले को लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका डाल दी। हाईकोर्ट ने याचिका का संज्ञान लेते हुए स्वास्थ्य विभाग में निर्माण कार्यों की कार्यदायी संस्था ‘मैमर्स पदमलता निम’ को लेकर सुनवाई की है। हाईकोर्ट ने ‘मैमर्स पदमलता निम’ कान्ट्रेक्टर और इनके पार्टनर द्वारा कराये निर्माण कार्यों के भुगतान पर रोक लगाने का फैसला लिया है। हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरुण भंसाली और विकास बुधवार ने फर्म की भुगतान रोकने के आदेश प्रिंसिपल सेक्रेटरी को दिए हैं। Saharanpur News
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हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि फर्म को ई-टेंडरिंग प्रणाली लागू नहीं की गई। बिना अनुबंध के टेंडर दिया गया है। जो 12 मई 2017 के आदेश के अनुसार अनिवार्य है। अदालत ने उत्तर प्रदेश के प्रिंसिपल सेक्रेटरी, प्रमुख सचिव, जिलाधिकारी सहारनपुर, निदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं, सीएमओ और एसबीडी अस्पताल के सीएमएस को सभी भुगतान तत्काल प्रभाव से रोकने के आदेश दिए हैं। वहीं प्रिंसिपल सेक्रेटरी को पूरी मामले की जांच कराने के आदेश भी दिए है। हाईकोर्ट ने मामले को लेकर 4 नवंबर 2024 को कोर्ट में पेश होने को कहा है। Saharanpur News
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हाईकोर्ट ने याचिका के आधार पर जहां ‘मैमर्स पदमलता निम’ कान्ट्रेक्टर को दिए गए टेंडर को गलत करार दिया है वहीं मामले की जांच कराने के आदेश प्रिंसिपल सेक्रेटरी को दिए है। याचिकाकर्ता ने फर्म निदेशक पर चिकित्सा स्वास्थ्य विभाग के फर्जी हस्ताक्षर करने का आरोप लगाया है। कोर्ट ने याचिका दायर होने के बाद विशेष सचिव द्वारा महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य सेवाएं को याचिका में लगाए गए आरोपों की जांच के लिए 10 सितंबर को आदेश दिए हैं। जांच रिपोर्ट अगली तारीख में कोर्ट के सामने पेश की जायेगी। हाईकोर्ट ने आरोपित फर्म को भी नोटिस भेजा है। जिसका जवाब 4 नवंबर 2024 तक देना होगा और सूचीबद्ध किया जाएगा। Saharanpur News
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याचिकाकर्ता अशोक पुंडीर ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ‘मैमर्स पदमलता निम’ कान्ट्रेक्टर द्वारा निर्माण कार्य कराए गए है। ये निर्माण कार्य 2017-18 से अब तक कराए गए है। जिसमें करोड़ों रुपए का भुगतान हो गया है। तत्कालीन मंडलीय सहायक अभियंता सुरेंद्र कुमार इनका कार्य देखते थे। लेकिन वो रिटायरमेंट के बाद पार्टनर बन गए। आरोप है कि 2017-18 से 2024 तक कराए गए सुधार, विस्तार, नवीनीकरण, टूट-फूट और मरम्मत के कार्यों में लापरवाही बरती गई। आरोप है कि फर्म टेंडर प्रक्रिया में भारी अनियमितता बरती गई है। अधिकारियों के भी साजिश के तहत फर्जी हस्ताक्षर बिलों पर किए गए और भुगतान लिया गया। आरोप है कि भाजपा के रामपुर मनिहारान से विधायक देवेंद्र निम अपनी मां की फर्म के लिए स्वास्थ्य अधिकारियों पर दबाव बनाते हैं। नियम के विरुद्ध काम कराते हैं और फर्जी बिलों से भुगतान लेते हैं। Saharanpur News
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