सहारनपुर : 26 जून 1975 की तारीख को भले ही 50 साल पुरे हो चुके हों लेकिन इस दिन को याद कर हर कोई सिहर जाता है। 26 जून 1975 को तत्कालीन इंदिरा गाँधी की सरकार ने देश में इमरजेंसी घोषित की थी। आधी रात को राष्ट्रपति से इमरजेंसी लेटर पर हस्ताक्षर कराए गए थे। इमरजेंसी लागू होते ही भाजपा और आरएसएस कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी के आदेश दे दिए गए। सरकार के निर्देश पर पुलिस और प्रशासन ने ताबड़तोड़ दबिश देकर देश भर में 90 हजार से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार कर जेल में बंद कर दिया था। हैरत की बात तो ये है कि इन सभी लोगों पर बैंक लूट, डाकखाने जलाने और रेल की पटरियां उखाड़ने के आरोप लगाए गए थे। जेल में बंद कैदियों के साथ जानवरों जैसा सलूक किया गया था। बंदियों के नाख़ून खींचे गये तो कई जेलों में बंदियों के हाथ कुर्सी के निचे रख कर आदमी बैठा दिया इ जाते थे। यही वजह है कि पीड़ित 50 साल बाद भी आपातकाल को नहीं भूल पा रहे हैं।
आपातकाल का दंश झेल चुके सहारनपुर में लाज कृष्ण गांधी उस वक्त हुए अत्याचार के इकलौते गवाह बचे हैं। उनके सभी साथी स्वर्गवासी हो चुके हैं। लाज कृष्ण गांधी उस वक्त आरएसएस कार्यकर्ता हुआ करते थे। हालांकि उत्तर प्रदेश में जब कल्याण सिंह की सरकार बनी तो वे भाजपा से विधायक बने थे। लाज कृष्ण गांधी बताते हैं कि आपातकाल के समय को याद करना बहुत मुश्किल है। ऐसा लगता था मानो लोकतंत्र पूरी तरह खत्म हो गया हो। हमें सिर्फ वही बोलना था, वही लिखना था, वही चर्चा करनी थी जो लोकतंत्र की हत्यारी इंदिरा गांधी कहती थीं। यहां तक कि अखबार भी सिर्फ वही खबरें छापते थे जो इंदिरा गांधी कहती थीं। अखबारों पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया था। सभी अखबारों के संपादकीय पेज पर सिर्फ ‘आपदाकाल की भेंट’ लाइन छपने लगी थी। उन्होंने बताया कि उस वक्त जिस तरह सरकार का रवैया रहा उसकी कल्पना नहीं कर सकता। इंदिरा गांधी की तानाशाही सरकार में जहां अधिकारी मनमानी करने लगे थे वहीँ महामहिम राष्ट्रपति भी दबाव में आ गए थे। कुर्सी जाने के डर से महामहिम राष्ट्रपति ने रात को ही इमरजेंसी लागू करने के लिए हस्ताक्षर किये थे।
रात में इमरजेंसी लागू होते ही रातो रात गिरफ्तारियों का दौर शुरू हो गया था। सीआईडी और पुलिस विपक्षी नेताओं और आरएसएस कार्यकर्ताओं के घरों पर दबिश दे रही थी। इस दौरान देश भर से 90 हजार लोगों को गिरफ्तार कर जेलों में बंद किया गया था। अकेले मुज़फ्फरनगर में 80 लोगों की गिरफ्तारी की गई जबकि सहारनपुर से तीन आरएसएस कार्यकर्ता और तीन जमातियों की गिरफ्तारी हुई थी। हालांकि बाद में सहारनपुर में गिरफ्तारी की संख्या 9 हो गई थी। जिनमे लाज कृष्ण गांधी भी शामिल थे। लाज कृष्ण गांधी बताते हैं कि आपातकाल के दौरान बंदियों के हाथों और पैर के नाखून तक उखाड़े गए थे। उनकी हथेलियों को कुर्सियों के नीचे बांधकर लोगों की हथेलियों पर बैठाया गया था।
मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, मेरठ में बिना किसी अपराध के लोगों को गिरफ्तार किया गया, उन पर रेल की पटरियाँ उखाड़ने, बैंक लूटने, डाकघर जलाने के आरोप लगाए गए थे। बिना किसी वजह के देशद्रोह के मुकदमे दर्ज किए गए। देशभर से करीब 90,000 लोगों को जेल में डाल दिया गया। 1975 की इमरजेंसी के समय सरकार का व्यवहार बहुत ही भयानक था, लोगों की आजादी छीन ली गई थी। उस समय अधिकारी सरकार के इशारे पर काम करते थे और अधिकारियों को लगता था कि हमने कोई बड़ा अपराध कर दिया होगा। हमारे साथ अपराधियों जैसा व्यवहार किया गया, जेल में हमारे साथ बुरा व्यवहार किया गया, लेकिन बाहर आने के बाद भी हमारे साथ अच्छा व्यवहार नहीं किया गया।
जेल में सजा काट रहे लोगों को कई साल की सजा दी गई। किसी को रेल की पटरियाँ खोदने के लिए, किसी को बैंक लूटने के लिए, तो किसी को डाकघर में आग लगाने के लिए। यहाँ तक कि उन पर देशद्रोह के मुकदमे भी दर्ज किए गए, जबकि वहाँ किसी ने कोई अपराध नहीं किया था, सभी निर्दोष थे। लाज कृष्ण गांधी ने बताया कि “मुझे पुलिस विभाग से फोन आया, जब मैं उनसे मिलने गया तो मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। उस समय जगमोहन लाल सिंह हाईकोर्ट के जज थे, जिन्होंने इंदिरा गांधी को चुनाव के लिए अयोग्य घोषित कर दिया था। भड़की इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी मीटिंग बुलाई और रात में ही राष्ट्रपति के हस्ताक्षर करवाकर इमरजेंसी लगा दी। किसी को सोने का समय नहीं मिला। आपातकाल लगने के बाद आम आदमी को परेशान किया जाने लगा, उसकी हालत बहुत अच्छी नहीं थी। पुलिस आम आदमी का किसी भी बात पर चालान काट देती। उस वक्त सरकार के खिलाफ बोलना गुनाह हो गया था। एक समय ऐसा था कि अगर किसी पुलिसकर्मी से पुरानी दुश्मनी हो जाती थी तो उसे भी जेल में डाल दिया जाता था। हर कदम पर हमारी निगरानी होती थी, कौन किससे मिल रहा है, क्या चर्चा हो रही है।
आपातकाल के दौरान आम आदमी या किसी भी पार्टी के कार्यकर्ता ने क्या-क्या झेला, यह आज देश के सामने रखना बहुत जरूरी है। लोग भूल चुके हैं कि आपातकाल के दौरान क्या हुआ था। कुछ लोग 50 साल की लंबी अवधि के लिए इस दुनिया से चले गए और उस दौरान सरकार ने हमारे साथ जो व्यवहार किया और बाकी सभी लोगों के साथ सरकार ने क्या किया, सिर्फ आरएसएस और बीजेपी या दूसरी पार्टियों के कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि आम आदमी के साथ भी, जिसने भी उस समय आपातकाल का सामना किया, उसे देश के सामने पेश करना बहुत जरूरी है। सहारनपुर से आरएसएस के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया। आरएसएस के अलावा छह और लोगों को गिरफ्तार किया गया जिसके बाद सहारनपुर से सत्याग्रह शुरू हुआ। मुजफ्फरनगर में एक ही दिन में 80 लोगों की हत्या कर दी गई, जिसका कारण इंदिरा गांधी थीं। जगमोहन लाल ने इंदिरा गांधी को अयोग्य घोषित कर दिया था क्योंकि उन्होंने सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया था। इंदिरा गांधी ने उस समय संविधान में 18 संशोधन किए थे, जिसमें यहां तक लिख दिया गया था कि अब सरकार 5 साल की जगह 6 साल शासन करेगी। और देश में आपातकाल लगा दिया। Emergency Victim