
यूपी में कितनी चीनी मिलें: उत्तर प्रदेश में कुल 122 चीनी मिलें हैं। चीनी मिलों ने इस पेराई सत्र में 35000 करोड़ का गन्ना खरीदा है। अगर भुगतान की बात करें तो अब तक 88.38% भुगतान हो चुका है। इसके बाद इस पेराई सत्र का 4000 करोड़ रुपये का भुगतान लंबित है। यह एक सत्र की लंबित राशि है। अगर पिछले अन्य सत्रों की बात करें तो उनका भी भुगतान लंबित है। इन लंबित आंकड़ों को जोड़ दिया जाए तो यह राशि कितनी होगी, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है।
आपको बता दें कि किसानों का सबसे ज्यादा भुगतान निजी चीनी मिलों पर लंबित है। ताजा सत्र की बात करें तो निजी चीनी मिलों द्वारा 87.58% भुगतान किया जा चुका है। यानी करीब 12.5% भुगतान अभी भी लंबित है। इसी तरह निगम की चीनी मिलों ने 97.54 फीसदी भुगतान कर दिया है, यानी करीब 2.5 फीसदी भुगतान लंबित है। सहकारी चीनी मिलों ने 92.86 फीसदी भुगतान कर दिया है। यानी करीब 7 फीसदी भुगतान लंबित है. निजी चीनी मिलों में सबसे ज्यादा बकाया बजाज ग्रुप पर है, जिसकी प्रदेश में 14 चीनी मिलें हैं। इन पर करीब 2300 करोड़ रुपये गन्ना भुगतान बकाया है। वहीं केसर ग्रुप, मोदी, ओसवाल और यदु ग्रुप की चीनी मिलों का गन्ना भुगतान भी अभी लंबित है।
किसान नेता रोहित जाखड़ का कहना है कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। प्रदेश में गन्ना किसानों की सुध लेने वाला कोई नहीं है। 2017 में जब भाजपा सत्ता में आई थी तो उसने किसानों से 14 दिन के अंदर गन्ने का भुगतान करने का वादा किया था। लेकिन, भुगतान समय पर नहीं हो रहा है। गन्ना राज्य मंत्री खुद लखीमपुर खीरी से आते हैं, लेकिन वहां भी किसानों की कोई सुध नहीं ले रहा है। वहां भी चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया है। यूपी में गन्ना किसानों का 10 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा बकाया है।
गन्ना आयुक्त प्रमोद कुमार उपाध्याय ने बताया कि प्रदेश की 9 निजी चीनी मिलों की आरसी जारी की गई है। इसमें बजाज की 6 चीनी मिलें शामिल हैं। एक (कुंदुरकी गोंडा चीनी मिल) के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज कराई गई है। केसर ग्रुप, ओसवाल और मोदी की एक-एक चीनी मिल की आरसी जारी की गई है। 77 चीनी मिलों का काफी भुगतान हो चुका है। 17 चीनी मिलों का 80 से 99% भुगतान हो चुका है। जबकि 20 चीनी मिलों का 70% भुगतान हो चुका है। बजाज ग्रुप की ज्यादातर चीनी मिलों का भुगतान 50% से भी कम हुआ है।