Loksabha Result 2024 : लोकसभा चुनाव 2024 के जो नतीजे आये हैं उनसे हर कोई हैरत में हैं। एक बार फिर सभी एजेंसियों के एक्जिट पोल खोखले साबित हुए हैं। भाजपा के 400 पार का नारा हवा में उड़ गया है। वो बात अलग है कि बीजेपी सहयोगी दलों के साथ मिल कर सरकार बनाने में कामयाब हो रही है। पुरे चुनाव में सबको हैरान करने वाली बात तो ये है कि भगवान श्रीराम का नाम जपने वाली, रामलला को घर दिलाने वाली भाजपा को अयोध्या में ही हार का सामना करना पड़ गया। अयोध्या में भाजपा को हराने में समाजवादी पार्टी की साइलेंट रणनीति कामयाब रही। जहां भाजपा नेता रोड़ शो और रैलियों के सहारे वोटों को साधने में जुटे थे वहीं सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद साइलेंट तरीके से वन-टू-वन जनसम्पर्क अभियान में जुटे रहे। जिसका परिणाम भी चौकाने वाला आया है।
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आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव में पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी के बाद देश की नजर राम नगरी अयोध्या पर टिकी थी। जहां 22 जनवरी को पीएम मोदी की अध्यक्षता में रामलला को नया घर दिया गया। साथ ही राम मंदिर का उद्धघाटन कर राम भगतो के लिए खोल दिया गया। भाजपा ने राम मंदिर के सहारे अयोध्या वासियों को रोजगार मिलने का दावा किया। भगवान राम के नाम के स्पेशल भक्ति गाने बनाये गए “जो राम को लाएं हैं, हम उनको लाएंगे” लेकिन अयोध्या की आवाम ने भाजपा को नकार दिया।
जिसके पीछे सपा की साइलेंट रणनीति मानी जा रही है। सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने साइलेंट मैनेजमेंट की ऐसी चाल चली कि सब हैरान रह गए है। पुरे चुनाव में अवधेश प्रसाद जुलुस और प्रदर्शन से बचते रहे और डोर-टू-डोर जनसम्पर्क अभियान जुटे रहे है। उन्होंने न तो कोई रोड-शो किया और ना ही किसी तरह ही सियासी बयानबाजी की। यही वजह रही भाजपा को उनकी किसी चाल का अंदाजा नहीं लग सका और बाजी मार ली।
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अगर हम सत्ताधारी भाजपा की बात करें तो चुनाव आते ही भाजपा ने आक्रामक रूप से प्रचार में जुट गई थी। प्रदेश और केंद्र के तमाम दिग्गज मंत्रियों ने अयोध्या में डेरा डाले रखा। बड़ी संख्या में रैलियां और जनसभाएं आयोजित की गई। भाजपा प्रत्याशी के नामांकन के दिन उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत प्रदेश सरकार के कई मंत्री मौजूद रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी, डिप्टी सीएम केशव मौर्या जैसे कई दिग्गजों ने रोड शो करके माहौल बनाया गया। लेकिन गठबंधन की ओर से चुनाव लड़ रहे सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद पुरे चुनाव साइलेंट रहे।
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हालांकि संगठन ने डिंपल यादव, प्रियंका गांधी, इकरा हसन के रोड-शो और शिवपाल यादव की जनसभा का प्लान तैयार करके प्रस्ताव भेजा। इस पर सहमति भी बन गई। लेकिन अवधेश प्रसाद ने प्रदर्शन करने से परहेज किया और सभी कार्यक्रम निरस्त करवा दिए। सपा से जुड़े अन्य नेता-पदाधिकारी उन्हें बीच-बीच में टोकते भी रहे, लेकिन अवधेश प्रसाद कछुए की चाल चलते गए। हर किसी से खुद की रिकॉर्ड जीत के दावे करते रहे। उन्होंने दो बार अखिलेश यादव की सभा जरूर कराई और साइलेंट मोड में अंदर ही अंदर मजबूत चुनाव खड़ा कर दिया। उनके इसी साइलेंट अटैक को समझने में भाजपा नाकाम रही और आखिर तक बाजी पलट गई।