Illegal Mining in Saharanpur : NGT की रोक के बाद भी अवैध खनन का खेल जारी, खनन माफिया बिना पट्टों के अवैध खनन को दे रहे अंजाम 

Illegal Mining in Saharanpur

सहारनपुर : एक ओर जहां उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में NGT के निर्देश पर खनन पूरी तरह बंद है। वहीं कुछ खनन माफिया बेखौफ अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं। तहसील बेहट इलाके के रायपुर खनन जोन में जिला प्रशासन की सख्ती के बावजूद खनन माफिया स्टोन क्रेशर के आसपास की सरकारी जमीन में बिना अनुमति के खनन पट्टे चला जा रहे हैं। आलम यह है कि 30 से 50 फ़ीट तक खनिज उठा कर अपनी जेबें भर रहे हैं साथ ही राजस्व विभाग को करोड़ों रूपये का चुना भी लगा रहे हैं।

Illegal Mining in Saharanpur

बताया तो ये भी जा रहा है कि कई खनन माफिया उत्तराखंड के रवन्नों पर खनिज परिवहन कर रहे है। बावजूद इसके खनन विभाग कान में तेल डाल कर कुम्भकर्णी नींद सोया हुआ है। लेकिन खनन विभाग की नाक तले से बड़े स्तर पर खनिज खुदाई होना विभागीय कार्यशैली पर भी सवाल खड़े कर रहा है। हालांकि जिलाधिकारी अवैध खनन करने वाले स्टोन क्रेशर पर कार्यवाई की बात कर रहे हैं।

आपको बता दें कि यूपी सहारनपुर में NGT के आदेश पर खनन पट्टो पर रोक लगाई हुई है। जनपद में सरकारी पट्टे के अलावा किसी को भी निजी पट्टा आवंटित नहीं किया गया है। बावजूद इसके रायपुर खनन जोन में कुछ खनन माफिया बूढी यमुना नदी, ग्राम समाज की सरकारी जमीन और किसानी भूमि का सीना चीरकर खनन सामग्री अपने क्रशरों पर स्टॉक कर रहे हैं। कई स्टोन क्रेशर संचालक रात के अंधेरे में जेसीबी और पॉपलेंड मशीन से अवैध खनन खुदाई कर रहे हैं। कई जगहों पर 50 बीघा से ज्यादा जमीन में अवैध खनन किया जा चुका है।

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अवैध खनन की ये तस्वीरें तहसील प्रशासन और खनन विभाग की पोल खोलने के लिए काफी हैं। स्टोन क्रेशर संचालकों के काले कारनामे को तस्वीरों में साफ़ देखा जा सकता है। कई जगहों से खनन माफियाओं ने भारी मात्रा में अवैध खनन किया हुआ है। अवैध खनन से जहां पर्यावरण को नुकसान पहुंचाया गया है वहीं आसपास किसानों की फसलों को भी नुकसान हो रहा है। 50 फ़ीट गहराई तक खनन किये जाने से किसानों को अपने खेतों में भूमि कटाव होने का खतरा भी सताने लगा है। अवैध खनन से परेशान किसान कई बार प्रशासनिक अधिकारियों को शिकायत कर चुके हैं लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।

शिकायत कर्ताओं की माने तो इस जोन में निर्माण स्टोन क्रेशर, शिव स्टोन क्रेशर, सिंह ब्रदर्स, अभिसेना स्टोन क्रेशर समेत कई स्टोन क्रेशर चल रहे हैं। जहां ग्राम समाज की सरकारी जमीन से खनिज खुदाई कर स्टॉक लगाया जा रहा है। एक स्टोन क्रेशर पर तो यह भी आरोप लगा है कि वह उत्तराखंड के रवन्ने से फॉ‘र्म C‘ निकालकर खुलेआम अवैध खनन को वैध बताकर उसका परिवहन कर रहा है। बाहरी रवन्नों पर हो रहे खनन कारोबार से खनन विभाग जानकर भी अनजान बना हुआ है। ऐसे खनन माफियाओं पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही इस बात का भी कोई अधिकारी जवाब देने को तैयार नहीं है। हालांकि शिकायत के बाद खनन विभाग नोटिस जारी कर कार्यवाई के नाम पर लीपा पोती जरूर कर रहा है।

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ग्रामीणों का आरोप है कि खनन माफिया रात के अंधेरे में किसानों से साठगांठ कर हरे भरे पेड़ काट कर उपजाऊ भूमि से खनन सामग्री चुराते हैं। अगर कोई ग्रामीण उनके खिलाफ अवैध खनन की शिकायत करता है तो उन्हें झूठे मुकदमे में फंसाने की धमकी दी जाती है। शिकायत के बाद भी कार्यवाई ना होने से खनन माफियाओं के हौसले बुलंद हो रहे हैं। यही वजह है कि खनन माफिया उत्तराखंड के रवन्ने पर यूपी की खनन सामग्री की काला बाजारी कर रहे हैं।

Illegal Mining in Saharanpur

हैरत की बात तो ये भी है कि खनन विभाग और तहसील अधिकारी अवैध खनन की जानकारी छुपाकर उच्चाधिकारियों को गुमराह कर खनन माफियाओं बढ़ावा दे रहे हैं। हालांकि जिलाधिकारी मनीष बंसल ने एक स्टोन क्रेशर के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के भी आदेश दिए हैं और बाकी की जांच कराने की बात कही है। इसके आलावा हल्का लेखपाल ऐजाज अहमद के खिलाफ भी अधिकारियों को गुमराह करने पर कार्यवाई के निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं संयुक्त रूप से अवैध खनन करने वालों के खिलाफ गैंगस्टर की कार्यवाई के भी आदेश दिए हैं। खनिज वाहनों पर नंबर प्लेट न होने, स्पष्ट रूप से दिखाई न देने या गलत होने पर परमिट निरस्तीकरण की कार्यवाही कर संबंधित के विरूद्ध नियमानुसार कड़ी कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।

तहसील प्रशासन, पुलिस एवं खनन विभाग आपसी बेहतर समन्वय से अवैध खनन पर पूर्ण अंकुश लगाने के लिए खनन अधिकारी को निर्देश दिए कि सभी स्टोन क्रेशरों पर 360 डिग्री व्यूज के साथ सीसीटीवी कैमरे संचालित करने को कहा है। जनपद में अवैध खनन के काले कारोबार पर रोक लगाने के लिए जिला प्रशासन नाकाम साबित हो रहा है। यही वजह है कि खनन माफिया बिना पट्टों के अवैध खनन को खुलेआम अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में अगर खनन विभाग खनन माफियाओं के पिछले एक वर्ष की खरीद-बिक्री का रिकॉर्ड तलब कर जांच करें तो खनन के काले कारोबार का भंडाफोड़ किया जा सकता है।

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