लखनऊ : यूपी में भाजपा संगठन में चल रही चुनाव प्रक्रिया में जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। इस बार भाजपा ने संगठन के चुनाव में खास जातियों का ख्याल रखा है। पिछड़ों और दलितों के समर्थन से विधानसभा उपचुनाव में मिली जीत से उत्साहित भाजपा ने संगठन के चुनाव में भी इन दोनों समुदायों को खास तरजीह दी है।
आपको बता दें कि संगठन चुनाव के तहत पार्टी के प्रदेश नेतृत्व ने सोमवार को 1819 मंडलों में 751 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी कर दी। इसमें पिछड़ी और दलित जातियों की भागीदारी पर खास फोकस किया गया है। हालांकि इस बार कई जिलों में जातिगत समीकरण के लिहाज से सामान्य जाति को भी जगह दी गई है। हालांकि आधी आबादी की संख्या कुछ कम है। अगले दो-तीन दिन में बाकी मंडल अध्यक्षों की सूची भी जारी कर दी जाएगी। इसके बाद जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
बीजेपी सूत्रों के अनुसार कई जिलों में मंडल अध्यक्ष के चुनाव में आपसी सहमति न बन पाने के कारण सूची को अंतिम रूप नहीं दिया जा सका। बता दें कि मंडल अध्यक्षों के चुनाव की अंतिम तिथि 15 दिसंबर और जिला अध्यक्षों के चुनाव की अंतिम तिथि 31 दिसंबर तय की गई थी, लेकिन कई जिलों में मंडल अध्यक्ष पद के लिए भाजपा कार्यकर्ताओं में आपसी खींचतान के कारण चुनाव समय पर पूरे नहीं हो सके। पार्टी सूत्रों के अनुसार प्रदेश नेतृत्व को अभी तक सिर्फ 1023 मंडलों से अध्यक्षों के नामों के पैनल मिले हैं। इनका परीक्षण करने के बाद ही 751 मंडल अध्यक्षों की सूची जारी की गई है।
मंडल अध्यक्ष की घोषणा के साथ ही अब प्रदेश में जिला अध्यक्षों के चुनाव हो जाएंगे। सूत्रों का कहना है कि मंडल अध्यक्ष के चुनाव में देरी के कारण अब जिला अध्यक्षों के चुनाव 15 जनवरी तक होने की संभावना है। नए प्रदेश के चुनाव को लेकर भी मंथन सूत्रों का कहना है कि मंडल और जिला अध्यक्षों के चुनाव की प्रक्रिया के बीच नए प्रदेश अध्यक्ष के चुनाव को लेकर भी मंथन शुरू हो गया है। हालांकि इस पद के लिए चुनाव इसी महीने के अंत तक होने की संभावना है।
विश्वसनीय पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार शीर्ष स्तर पर प्रदेश अध्यक्ष के लिए पिछड़े और दलित के साथ ही ब्राह्मण चेहरे पर भी चर्चा हुई है। दलित चेहरों में पूर्व एमएलसी विद्यासागर सोनकर का नाम सबसे ऊपर है। उनके अलावा सांसद रामशंकर कठेरिया और विनोद सोनकर के नाम भी चर्चा में हैं। जबकि पिछड़े चेहरे के तौर पर अमरपाल मौर्य, बीएल वर्मा, बाबूराम निषाद और ब्राह्मण चेहरे के तौर पर राज्यसभा सदस्य दिनेश शर्मा और हरीश द्विवेदी के नाम आगे आ रहे हैं।
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