Saharanpur Politics : सहारनपुर में मतदान से पहले बसपा को बड़ा झटका, दलित नेता के भाजपा में शामिल होते ही बदल गए सियासी समीकरण
Published By Roshan Lal Saini
Saharanpur Politics : लोकसभा चुनाव में पहले चरण के मतदान से ठीक पहले सहारनपुर की सियासत में बड़ा खेला हो गया है। बसपा नेता एवं पूर्व विधायक रविंद्र कुमार मोल्हू ने बसपा का दामन छोड़ एक बार फिर भाजपा में शामिल हो गए हैं। बसपा नेता ने अपने समर्थकों के साथ जिला कार्यलय पर जिलाध्यक्ष महेंद्र सैनी और शहर विधायक राजीव गुंबर की मौजूदगी में भाजपा ज्वाइन कर ली है।
भाजपा में शामिल होने के बाद रवींद्र मोल्हू ने जहां पीएम मोदी और सीएम योगी की तारीफ़ की है वहीं बसपा की नीतियों से नाराजगी जताई है। रविंद्र मोल्हू के बसपा छोड़ने से बसपा सहारनपुर में चुनावी समीकरण बदल गए हैं। रविंद्र मोल्हू दलित समाज में खासी पकड़ रखते हैं।
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आपको बता दें कि रविंद्र कुमार मोल्हू रामपुर मनिहारान विधानसभा सीट पर बसपा के टिकट पर दो बार विधायक चुने गए जबकि 2017 और 22 का चुनाव भाजपा प्रत्याशी से हार का सामना करना पड़ा। रविंद्र मोल्हू 2019 के चुनाव के बाद भाजपा में शामिल हुए थे लेकिन 2022 विधानसभा चुनाव में भाजपा से टिकट नहीं मिलने पर बसपा में वापसी की थी। Saharanpur Politics
रविंद्र मोल्हू बसपा में शामिल होकर चौथी बार बसपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र निम ने महज 500 वोटों से पराजय कर दिया। अब 2024 का लोकसभा चुनाव आते ही चुनावी सरगर्मियां तेज हुई तो रविंद्र मोल्हू माजिद अली को टिकट दिलवाकर चुनाव लड़वा रहे थे। दलित बाहुल्य इलाकों में रविंद्र मोल्हू की अगुवाई में बसपा प्रत्याशी माजिद अली के पक्ष में जनसभाएं की जा रही थी। Saharanpur Politics
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सहारनपुर में पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होने जा रहा है। बुधवार को चुनाव प्रचार का माहिया थम जाएगा। मतदान से ठीक तीन दिन पहले बहुजन समाज पार्टी को तगड़ा झटका लगा है। बसपा के पूर्व विधायक रविंद्र मोल्हू ने मंगलवार को एक बार फिर पलटी मार दी। पूर्व बसपा विधायक बसपा छोड़ भाजपा में शामिल हो गए हैं। रविंद्र मोल्हू ने बसपा छोड़ने की वजह जहां बसपा सुप्रीमो की बदलती नीतियां बताई वहीँ स्थानीय बसपा सांसद की नाकामियां गिनाई हैं। Saharanpur Politics
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उन्होंने कहा कि 2019 में बसपा के हाजी फजलुर्रहमान को जीता कर सांसद बनाया था। लेकिन सांसद बनने के बाद हाजी फजलुर्रहमान द्वारा क्षेत्र में विकास कार्य कराना तो दूर क्षेत्र में जाना ही जरुरी नहीं समझा। जिसके उन्हें जनता का विरोध झेलना पड़ रहा है। पूर्व विधायक रविंद्र मोल्हू ने बताया कि लोकसभा चुनाव के लिए जब वे बसपा प्रत्याशी के लिए वोट मांगने जाते हैं तो लोग उनसे बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान के बारे पूछते हैं। बसपा संसद को लेकर दलित समाज में ही नहीं सर्वसमाज में खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। Saharanpur Politics
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दलित समाज पूरी तरह बसपा प्रत्याशी का विरोध कर रहे हैं। इस चुनाव में भी बसपा सुप्रीमो मायावती ने सिर्फ प्रत्याशी का चेहरा बदला है। बहन जी की नीतियों में बदलाव आया हुआ है। मायावती गठबंधन को लाभ पहुंचाने के लिए टिकट वितरित किये हैं। ज्यादातर प्रत्याशियों का दलित समाज में विरोध हो रहा है। दलित बाहुल्य इलाकों में बसपा प्रत्याशी तो दूर बसपा नेताओं के कार्यक्रम तक होने दिए जा रहे। बसपा का अपना कैडर वोट कभी इतना नाराज नहीं हुआ जितना इस बार देखने को मिल रहा है। यही वजह है कि उन्होंने बसपा छोड़ पीएम मोदी और सीएम योगी की गारंटी के साथ चलने का फैसला लिया है। Saharanpur Politics
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गौरतलब है कि बसपा प्रत्याशी माजिद अली की पत्नी तस्मीम बानो सहारनपुर की जिला पंचायत अध्यक्ष रह चुकी हैं। पूर्व विधायक के मुताबिक जिला पंचायत अध्यक्ष रहते माजिद अली ने जनपद में कोई कार्य नहीं कराये। अगर माजिद अली जिला पंचायत अध्यक्ष के प्रतिनिधि रहते विकास करा देते तो आज उन्हें और बसपा नेताओं को किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ता। Saharanpur Politics
उन्होंने बताया कि माजिद अली ने पत्नी तस्मीम बानो के पद का केवल दुरूपयोग किया है। जिसका खामियाजा उसको लोकसभा चुनाव में भुगतना पडेगा। बसपा से भाजपा में आये पूर्व विधायक ने कहा कि भाजपा में सर्वसमाज सुरक्षित है। लोकसभा चुनाव में 400 से ज्यादा सीट जीतकर भाजपा की सरकार बनने जा रही है। सहारनपुर सीट पर राघव लखनपाल शर्मा को बड़ी संख्या में दलित वोट मिलने जा रहा है। Saharanpur Politics
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