Everyones Eye Mayawati Stance : बसपा सुप्रीमो मायावती के रुख पर सबकी नज़र, यूपी की 80 सीटों को गुणा भाग में जुटे दल
Published By Roshan Lal Saini
Everyones Eye Mayawati Stance : लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सभी राजनीतिक दलों ने बिसात बिछाने और चुनावी रणनीति का गुणा भाग शुरू कर दिया है। भाजपा, कांग्रेस और सपा ने तो गठबंधन के साथी भी तलाशने शुरू कर दिए हैं। सभी पार्टियां जनता के बीच जाने के लिए नए नए मुद्दे ढूंढ रही हैं। हालांकि सत्तारूढ़ भाजपा फिर से राम मंदिर निर्माण और उद्घाटन को नया मुद्दा बना सकती है।
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आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए बहुजन समाज पार्टी ( BSP ) ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। बसपा सुप्रीमो मायावती ने लगातार राजनीतिक दलों की होने वाली हर हलचल पर पैनी निगाहें गड़ा रखी हैं। वह काफी मजबूती के साथ समीकरण बनाने में जुटी हैं। इस बार बसपा दलित मुस्लिम गठजोड़ पर जोर दे रही हैं। लेकिन कई बड़े नेताओं के पार्टी से निष्कासन के बाद बसपा की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। Everyones Eye Mayawati Stance
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राजनितिक विश्लेष्क बताते हैं कि 2022 के विधानसभा चुनाव में मिली करारी शिकस्त के बाद मायावती मजबूती और सियासी पैतरेबाजी के साथ अपने पत्ते फेटने में जुटी हुई है। लेकिन बसपा सुप्रीमो की निष्कासन प्रणाली कहीं ना कहीं आगामी चुनाव में बसपा को नुकसान पहुंचा सकती है। बावजूद इसके बसपा से बड़े नेताओं का निष्कासन बदस्तूर जारी है। Everyones Eye Mayawati Stance
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गौरतलब है कि पिछले दिनों मायावती ने एक प्रेस रिलीज़ के ज़रिए ये कह दिया था कि वो चुनाव में अकेले मैदान में उतरेंगी। लेकिन इंडिया गठबंधन की मुंबई में हुई तीसरी बैठक से पहले ये अटकलें भी तेज़ हो गई थी कि वो इस गठबंधन का हिस्सा हो सकती हैं। भले ही मायावती कह रही हों कि वो आगामी चुनाव अकेले लड़ेंगी लेकिन मेरा मानना है कि वो अपने पत्ते तब खोलेंगी जब चुनाव और क़रीब होगा। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद मायावती गठबंधन को लेकर ठोस विचार करेगी। जिससे दलित-मुस्लिम का उत्थान सुनिश्चित किया जा सके। क्योंकि मायावती की यही रणनीति 2019 के लोकसभा चुनाव में दिखाई दी थी, जिससे उनको भाजपा के बाद सर्वाधिक 10 लोकसभा सीटें प्राप्त हुई थी। Everyones Eye Mayawati Stance
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बसपा के विश्वसनीय सूत्रों की माने तो बसपा सुप्रीमो के नजदीकी बताने वाले नेता न सिर्फ मायावती को गुमराह कर रहे हैं बल्कि उनके नाम पर कार्यकर्ताओं और नेताओं से मोटी रकम वसूलने में लगे हैं। बसपा छोड़कर आये नेताओं का तो यह तक कहना है कि पश्चमी यूपी के कोर्डिनेटर और पदाधिकारी टिकट देने के नाम पर करोडो रूपये की मांग कर रहे हैं। जिससे बसपा दलितों पिछडो की पार्टी ना होकर दौलत की पार्टी बन गई है। बसपा के शीर्ष नेताओं की सूटकेस शैली का ही परिणाम 2022 के विधानसभा चुनाव में देखने को मिल चुका है। बावजूद इसके बसपा प्रमुख मायावती समझने को तैयार नहीं है। Everyones Eye Mayawati Stance