अखिलेश यादव : सपा प्रमुख अखिलेश यादव यूपी में दिल्ली और लखनऊ के बीच चल रही राजनीतिक उथल-पुथल की आपदा में अवसर तलाश रहे हैं। अब उन्हें यह अहसास हो गया है कि जिस तरह से दिल्ली और लखनऊ के बीच उथल-पुथल चल रही है, उसमें विकास के मुद्दे, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी, बर्बाद कानून व्यवस्था को दोष देने से काम नहीं चलेगा। इसलिए जनहित के इन सभी मुद्दों को किनारे रखकर जाति और धर्म की राजनीति करके ही भारतीय जनता पार्टी को हराया जा सकता है। अखिलेश इसी रणनीति पर आगे बढ़ते नजर आ रहे हैं।
इसी रणनीति के तहत वह आगरा में आयोजित ठाकुर समाज के तलवार लहराने वाले सम्मेलन में रामजी लाल सुमन को गोली मारने और उनकी जीभ काटने के बयानों को मुद्दा बनाकर आक्रामक राजनीति करने के मूड में नजर आ रहे हैं। इसीलिए उन्होंने फूलन देवी का मुद्दा उठाया है। फूलन देवी का अपमान किसने किया और उनका सम्मान किसने किया? यह सवाल जनता से पूछा जा रहा है। मेरा मानना है कि फूलन देवी का यह मुद्दा उठाकर अखिलेश यादव उनके समाज को पूरी तरह से अपने पक्ष में करना चाहते हैं। ताकि 2027 के विधानसभा चुनाव में सफलता हासिल की जा सके।
बहरहाल, यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि किसी राजनीतिक दल को कितनी सफलता मिलती है, लेकिन एक बात तो साफ है कि आज प्रदेश में जनहित के सभी मुद्दे गौण हो गए हैं और जातिवाद के मुद्दे हावी हो रहे हैं। जहां पहले सिर्फ हिंदू-मुस्लिम को बांटकर राजनीति की जाती थी, वहीं अब धर्म को किनारे करके जातियों की राजनीतिक लड़ाई शुरू हो गई है। अब देखना यह है कि यह लड़ाई कब और कहां जाकर रुकेगी और किसे फायदा होगा और किसे नुकसान।