लखनऊ : जिस भारतीय जनता पार्टी को नैतिकता और सिद्धांतवाद की पार्टी माना जाता था और कहा जाता था कि भाजपा का पन्ना प्रमुख से लेकर राष्ट्रीय अध्यक्ष तक का एक जबरदस्त नेटवर्क रहता है और उसी के माध्यम से भारतीय जनता पार्टी चुनाव जीतती रही है। लेकिन अगर हाल ही में हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में इस तरह का तालमेल दिखाई नहीं दिया।
जाहिर है कि भाजपा का समन्वय संघ और अन्य सहयोगी संगठनों के अलावा भाजपा के कार्यकर्ता भी इस चुनाव से दूरी बनाए हुए दिखे।

दूसरा सबसे बड़ा सवाल उठता है कि अगर मोदी की गारंटी दूसरे राज्यों उडीसा मध्य प्रदेश गुजरात राजस्थान आदि में है तो मोदी की गारंटी उत्तर प्रदेश में क्यों नहीं? हार की जिम्मेदारी योगी को क्यों दी जाए? मोदी जी को क्यों न दी जाए? अगर सफलता का सेहरा मोदी के सिर बंधता है तो हार का ठीकरा योगी के सर पर फोड़ा जाना कहां तक ठीक है? UP Politics
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भारतीय जनता पार्टी को यह समझना होगा कि जिस प्रकार पहली बार संघ प्रमुख मोहन भागवत को कहना पड़ा है कि पार्टी को अभिमान से दूर रहना चाहिए और नेताओं के अभिमान की वजह से ही 2024 के लोकसभा चुनाव में नुकसान हुआ है। उससे कहीं ना कहीं पार्टी को एक सीख लेते हुए आगामी चुनावों में एक रणनीति बनानी चाहिए। UP Politics
भारतीय जनता पार्टी में जिस प्रकार दिल्ली और लखनऊ का महासंग्राम चल रहा है उससे साफ दिखाई देता है उत्तर प्रदेश की 10 विधानसभा के उपचुनाव में इस का खामियाजा भुगतना पड़ेगा। इसके अलावा आगामी तीन राज्यों महाराष्ट्र हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी को इसका नुकसान होगा। UP Politics
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