UP Political News : रालोद में किसान दरकिनार, दलालों- व्यापारियों का बोलबाला
Published By Special Desk News14Today
UP Political News : किसान मसीहा चौधरी चरण सिंह के सपनों की राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) को किसानों की पार्टी के नाम से जाना जाता है। परंतु धीरे-धीरे लोकदल पर व्यापारी, किसान विरोधी मानसिकता रखने वाले और अपने आप को स्वर्ण जातियों का बताने वाले लोगों का पर कब्ज़ा हो चुका है। जिसमें किसान वर्ग और ख़ास तौर पर जाट समाज पीछे छूटता नजर आ रहा है।
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रालोद प्रमुख जयंत चौधरी तो कई मौकों पर कह ही चुके हैं कि रालोद जाटों की पार्टी नहीं है और उन्होंने जाटों का ठेका नहीं लिया है। भाजपा के साथ गठबंधन होने के बाद उन्होंने भाजपा की सारी विचारधारा को भी अंगीकार कर लिया है। किसानों की सबसे बड़ी मांग एमएसपी की गारंटी के विषय में उन्होंने बयान दिया था कि ऐसा करना संभव नहीं है, देश के बजट पर इसका बहुत ही नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। पीएम मोदी के अंदर उन्हें चौधरी चरण सिंह का अक्स नजर आने लगा है। इसीलिए भाजपा रालोद के सहयोग से व्यापारी वर्ग से आने वाले संजय सेठ को भेजती है। UP Political News
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इसके अलावा किसी भी सियासी दल का महत्व उसके प्रवक्ताओं से होता है जो उस दल की विचारधारा को दर्शाता है। यदि रालोद के प्रवक्ताओं की बात की जाए तो उनका भी खेती किसानी से कोई लेना देना नहीं है। विभिन्न टीवी चैनलों पर आने वाले रालोद के मुख्य प्रवक्ताओं में अब स्वर्ण समाज और व्यापारी वर्ग से ही आते हैं। जबकि व्यापारी वर्ग के एक ख़ास प्रवक्ता का नाम तो लखनऊ में रालोद के नाम पर दलाली करने के लिए विख्यात है। UP Political News
खैर हास्यास्पद है कि जिन्होंने अपने जीवन में कभी खेत की मेड नहीं देखी वें किसानों की पार्टी का प्रतिनिधित्व करते हुए खेती किसानी के विषय में चैनलों पर सत्ताधारी भाजपा की वकालत करते नज़र आते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि रालोद में काबिल वक्ताओं की कोई कमी है, लेकिन उनको गिरोहबंदी के तहत आगे नहीं आने दिया जाता। सभी जानते हैं कि रालोद के वोटरों में 95 फ़ीसदी आज भी जाट वोटर ही हैं, परंतु भाजपा की तर्ज पर प्रवक्ता और हाई प्रोफाइल पदों पर व्यापारियों का ही कब्जा है। UP Political News
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यदि किसी चैनल पर किसी पत्रकार अथवा विश्लेषक द्वारा इन प्रवक्ताओं को खेती किसानी के मुद्दों पर आइना दिखाया जाए, तो ये भड़क जाते हैं और किसानों की समस्याओं की कोई बात सुनना पसंद नहीं करते। क्योंकि तमाम प्रवक्ता व्यापारिक मानसिकता और पूर्वी, मध्य यूपी से ताल्लुक रखते हैं। गन्ना किसान और पश्चिमी यूपी के विषय में शून्य जानकारी होने के बावजूद चैनलों पर किसानों के मुद्दों को भटकाने का काम करते हैं। तो क्या रालोद में कोई काबिल किसान प्रवक्ता बनने लायक नहीं है? हालाकि कुछ प्रवक्ता नामचरे और औपचारिकता भर के लिए हैं वो भी केवल कागजों तक ही सीमित हैं बड़े चैनलों पर कभी कभार भूले बिसरे दिखाई देते हैं। UP Political News
इसके अलावा पार्टी में जब मंत्री बनाने की बात आती है तो दशकों पुराने जाट नेताओं और विधायकों को दरकिनार करते हुए चंद महीने पहले आए एक दलित को बनाया जाता है। ज़ाहिर है कि पश्चिमी यूपी का दलित समाज रालोद को कभी भी वोट नहीं देता। ऊपर से पार्टी को मंत्रालय भी विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी वाला मिला है जिसका खेती किसानी से कोई लेना देना नहीं है। यानि किसानों का नंबर ना तो प्रवक्ताओं में होगा, ना मंत्री पद उन्हें मिलेगा, तो क्या इनका काम केवल दरी, कुर्सी बिछाने और वोट देने तक सीमित है? क्या पार्टी में जाटों की यही जगह बची है? UP Political News
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भाजपा के साथ जाने के बाद मुस्लिम समाज तो वैसे ही छिटक चुका है। जिस भाईचारे और सामाजिक सौहार्द को बनाने के लिए जयंत ने 10 साल कठोर प्रयास किये। हाथरस में लाठियां खाई। चौधरी अजित सिंह साज़िश के तहत हरा दिए गए। तो पार्टी को अब इन घटनाओं के सियासी लाभ की कोई आवश्यकता नहीं है? जिस प्रकार रालोद से मुस्लिम छिटक गया, अब जाटों और किसानों को भी भागने के लिए मजबूर किया जा रहा है? तो क्या माना जाए कि अब सर्व समाज के बलबूते और नए विचारों के आधार पर नए राष्ट्रीय लोकदल का निर्माण होगा, जिसमें किसानों विशेषकर जाटों और मुसलमानों के लिए कोई स्थान नहीं होगा? UP Political News
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