सहारनपुर : एक ओर जहां उत्तर प्रदेश की योगी सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे कर रही है वहीं सरकारी अस्पतालों में इलाज के नाम पर वसूली कर रहे डॉक्टर न सिर्फ योगी सरकार के दावों को पलीता लगा रहे हैं बल्कि मरीजों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं। सहारनपुर के जिला अस्पताल इन दिनों बदहाली से जूझ रहा है। स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली एक बार फिर उस समय सामने आई जब मंगलवार को जिलाधिकारी मनीष बंसल जिला अस्पताल में निरिक्षण करने पहुँच गए। इस दौरान मिली खामियों ने अस्पताल प्रशासन की लापरवाही की पोल खोल दी। डीएम ने अस्पताल की व्यवस्था को ‘शून्य’ बताते हुए कड़ी नाराजगी जताई।

आपको बता दें कि जिलाधिकारी मनीष बंसल बिना किसी सूचना के सबसे पहले अस्पताल डिस्पेंसरी पहुंचे और वहां मौजूद मरीजों व तीमारदारों से दवाओं के बारे में जानकारी ली। एक मरीज ने पहले तो बाहर से दवा लेने से मना कर दिया, लेकिन जब वह सर्जन वार्ड व ओटी में पहुंचे तो स्थिति कुछ और ही निकली। डॉक्टर कमीशन के लिए बाहरी स्टोरों से दवाइयां लाने को लिख रहे हैं। जबकि सरकारी अस्पताल में सभी दवाइयां फ्री दी जाती हैं। लेकिन डॉक्टरों मनमानी से मरीजों और तीमारदारों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
डीएम ने सर्जन डॉ. रमेश चंद्रा से ऑपरेशन की संख्या व अभिलेखों के बारे में पूछा तो डॉक्टर साहब बगले झाँकने लगे और संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए । बताया गया कि प्रतिदिन 5 से 10 ऑपरेशन किए जाते हैं, लेकिन उनका भी कोई ठोस अभिलेख नहीं दिखाए गए। पूछताछ में पता चला कि अस्पताल में तीन सर्जन डॉक्टर हैं, लेकिन ओटी में किस समय क्या चल रहा है, यह किसी को नहीं पता।
डीएम को बताया गया कि ओटी में दो ऑपरेशन चल रहे हैं, लेकिन जब वह खुद अंदर गए तो तीन ओटी में कुल चार ऑपरेशन चलते मिले। स्टाफ से पूछा गया तो किसी के पास स्पष्ट जवाब नहीं था। वे रजिस्टर और स्टाफ का विवरण भी नहीं दिखा सके। इस दौरान एक महिला ने बताया कि उन्हें बाहर से दवाएं और जांचें लिखी गई हैं। एक अन्य महिला ने शिकायत की कि वह सुबह नौ बजे से खड़ी हैं, लेकिन ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं। Saharanpur News
डीएम ने नाराजगी जताते हुए प्रमुख अधीक्षक डॉ. सुधा सुमन से पूछा कि इन मरीजों की देखभाल कौन कर रहा है। जवाब में सीएमएस की खामोशी थी। सर्जिकल वार्ड में मोहम्मद सलमान नामक मरीज से पूछताछ में पता चला कि दो दर्द निवारक इंजेक्शन बाहर से मंगवाए गए थे। डीएम ने ड्यूटी पर मौजूद नर्स अजरा से कारण पूछा तो वह जवाब नहीं दे सकीं। डीएम ने नर्स को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने और बिना अनुमति अवकाश पर गए जिम्मेदार सर्जन डॉ. शिवेंद्र का वेतन काटने के आदेश दिए।
डीएम ने यह भी सवाल उठाया कि पिछली जांच में मिली खामियों को लेकर दिए गए कार्रवाई के आदेशों का पालन क्यों नहीं किया गया। प्रमुख अधीक्षक के जवाब से असंतुष्ट होकर उन्होंने कहा कि अगर आप कार्रवाई नहीं करेंगे तो मुझे खुद ही करनी पड़ेगी। जिला अस्पताल की इस बदइंतजामी ने न सिर्फ प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं बल्कि मरीजों की सुरक्षा और इलाज को लेकर भी गंभीर चिंताएं खड़ी कर दी हैं। डीएम की सख्ती के बाद उम्मीद है कि अब लापरवाह कर्मचारियों और अफसरों पर सख्त कार्रवाई होगी। Saharanpur News
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