नई दिल्ली : केंद्र सरकार ने एक देश-एक चुनाव से संबंधित 129वां संविधान संशोधन विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक लोकसभा में पेश कर दिया है। इस विधेयक को जेपीसी के पास भेजा जाएगा। अगर विधेयक 2026 में पारित होता है तो चुनाव आयोग को वर्ष 2029 तक तैयारी करनी होगी। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि एक देश-एक चुनाव को पूरी तरह लागू होने में 2034 तक का समय लग सकता है।
आपको बता दें कि ‘एक देश-एक चुनाव’ की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाते हुए केंद्र सरकार ने विपक्षी दलों के कड़े विरोध के बीच मंगलवार को संविधान के 129वें संशोधन विधेयक और इससे संबंधित एक अन्य विधेयक को लोकसभा में पेश किया। तब विपक्ष ने इस विधेयक को तानाशाही करार देते हुए संविधान संशोधन विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजने की मांग की थी। संविधान संशोधन के लिए दो तिहाई बहुमत जुटाने की चुनौती और विपक्ष की मांग को देखते हुए केंद्र सरकार ने दोनों विधेयकों को जेपीसी के पास भेजने पर सहमति जताई।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि जब यह विधेयक कैबिनेट में चर्चा के लिए आया था, तब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे जेपीसी के पास भेजने की बात कही थी। अब दोनों विधेयक- संविधान में 129वां संशोधन और केंद्र शासित प्रदेश कानून संशोधन विधेयक जेपीसी के पास भेजे जाएंगे। सवाल यह है कि संसद का मौजूदा सत्र 20 दिसंबर तक है। ऐसे में संसद के इस सत्र में विधेयक पारित नहीं हो पाएंगे। संयुक्त संसदीय समिति की मंजूरी मिलने के बाद अगर विधेयक बिना किसी बदलाव के संसद में पारित हो जाते हैं, तो कब तक लागू हो पाएंगे?
संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) में लोकसभा के 21 और राज्यसभा के 10 सदस्य शामिल होंगे। किस पार्टी के कितने सदस्य होंगे, यह संसद में पार्टियों की संख्या के हिसाब से तय होगा। ऐसे में सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते सबसे ज्यादा सदस्य और अध्यक्ष भाजपा के हो सकते हैं। ‘एक देश-एक चुनाव’ से जुड़े आठ पन्नों के इस विधेयक में जेपीसी को काफी होमवर्क करना होगा। संविधान के तीन अनुच्छेदों में बदलाव कर नया प्रावधान जोड़ने का प्रस्ताव किया गया है। दरअसल, अनुच्छेद 82 में नया प्रावधान जोड़कर राष्ट्रपति को तय तिथि पर फैसला लेने को कहा गया है।