पतंजलि : उत्तराखंड राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण ने पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड और दिव्य फार्मेसी के 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिए गए हैं। वहीं, शीर्ष अदालत ने भ्रामक विज्ञापनों के मामले में योग गुरु रामदेव, उनके सहयोगी बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड को जारी अवमानना नोटिस पर 14 मई को अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था।
मुख्य बातें:
- पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि उसने उन 14 उत्पादों की बिक्री पर रोक लगा दी है जिनके विनिर्माण लाइसेंस उत्तराखंड सरकार ने निलंबित कर दिए थे।
- कंपनी ने इन उत्पादों को अपने 5,606 स्टोरों से वापस लेने का भी निर्देश दिया है।
- पतंजलि ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों को इन 14 उत्पादों के विज्ञापनों को हटाने के लिए भी कहा है।
- सुप्रीम कोर्ट ने पतंजलि को दो सप्ताह के अंदर यह बताने का निर्देश दिया है कि क्या विज्ञापनों को हटाने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों से अनुरोध किया गया है और क्या इन उत्पादों के विज्ञापन वापस ले लिए गए हैं।
- यह मामला 30 जुलाई को फिर से सुप्रीम कोर्ट में सुना जाएगा।
पृष्ठभूमि:
- उत्तराखंड सरकार ने पतंजलि द्वारा बनाए गए 14 उत्पादों के विनिर्माण लाइसेंस को बार-बार भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए निलंबित कर दिया था।
- इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने पतंजलि पर कोविड टीकाकरण अभियान और आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ अभियान चलाने का आरोप लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।
आगे क्या होगा:
- यह देखना बाकी है कि सुप्रीम कोर्ट पतंजलि पर क्या कार्रवाई करती है।
- कंपनी को अपने विज्ञापनों में सुधार करना पड़ सकता है और यह सुनिश्चित करना होगा कि वे भ्रामक नहीं हैं।
यह मामला महत्वपूर्ण है क्योंकि:
- यह हाइलाइट करता है कि कंपनियों को विज्ञापन देते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
- यह उपभोक्ताओं को भ्रामक विज्ञापनों से बचाने में मदद करता है।
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