Sugarcane Price Not Declared In UP : गन्ना मूल्य घोषित ना होने से यूपी के किसानों में भारी रोष, फिर हो सकता है बड़ा आंदोलन
Published By Roshan Lal Saini
Sugarcane Price Not Declared In UP : चीनी का कटोरा कहे जाने वाले पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बकाया गन्ना भुगतान और गन्ना मूल्य ना बढ़ाए जाने के कारण अलग-अलग जगहों पर लगातार गन्ना किसानों की पंचायतें चल रही है। दरअसल प्रदेश के किसानों की पूरी आर्थिक व्यवस्था गन्ने पर निर्भर करती है। खासतौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान गन्ना उत्पादन से ही अपनी रोजी रोटी चलाते हैं। पिछले 7 वर्षों से प्रदेश में भाजपा की सरकार है। इन सात सालों में गन्ने का भाव केवल 35 रूपये प्रति कुंतल बढ़ा है। इस समय उत्तर प्रदेश के तमाम गन्ना किसान गन्ने का भाव बढ़ाने और बकाया भुगतान की मांग कर रहे हैं। प्रदेश में चीनी मिल अक्टूबर से चल रही हैं किन्तु जनवरी आने तक भी गन्ने का भाव तय नहीं हुआ है।
प्रदेश के किसान लगातार गन्ने का भाव घोषित होने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। प्रदेश में इस समय गन्ने का भाव 350 रूपए कुंतल है। यह भाव गन्ने की अगैती किस्म के लिए है। जबकि गन्ने की सामान्य किस्म का भाव 340 रूपए कुंतल है। गन्ना किसानों का कहना है कि गन्ना उत्पादन में एक कुंतल गन्ने पर कम से कम 400 रूपए का खर्च आता है। गन्ने के उत्पादन में होने वाली जीतोड़ मेहनत में लगने वाली श्रमशक्ति अलग है। यही कारण है कि उत्तर प्रदेश के गन्ना किसान इस समय कम से कम 70 से 80 रूपए प्रति कुंतल भाव बढ़ाए जाने की मांग कर रहे हैं। Sugarcane Price Not Declared In UP
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दैनिक भास्कर से बातचीत में भारतीय किसान यूनियन वर्मा व पश्चिम प्रदेश मुक्ति मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भगत सिंह वर्मा ने बताया कि इस वर्ष गन्ना उत्पादन वैसे ही काफ़ी कम हुआ है। जिसकी वजह से कई चीनी मिलों में गन्ना सीजन लगभग समाप्ति पर है। और भाजपा की योगी सरकार किसान विरोधी सरकार साबित हो रही है क्योंकि आज तक उसने गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाया है। जिससे गन्ना किसानों में भारी रोष व्याप्त है। गन्ना किसानों में सरकार के खिलाफ गुस्से का उबाल आ रहा है। जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान आंदोलन की तरफ इशारा कर रहा है। Sugarcane Price Not Declared In UP
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दरअसल क्षेत्रीय किसानों का मानना है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निजी क्रेशर और कोल्हू में गन्ने की कीमत 400 रुपए कुंतल से पार हो चुकी है। अगर कोल वाले अच्छा और शक्कर बनाकर लाभ कमा सकते हैं तो चीनी मिलें क्यों घाटे का रोना रोती रहती हैं। इस लिए हमारी मांग है कि योगी सरकार चीनी मिल मालिकों से बात करके प्रदेश के गन्ना किसानों को लाभकारी मूल्य 600 रुपए प्रति क्विंटल दिलाने का काम करें। क्योंकि चीनी मिलें चीनी के अलावा दर्जनों अन्य उत्पाद बनाकर लाभ कमा रहीं हैं। इसलिए गन्ने का लाभकारी मूल्य 600 रूपये प्रति कुंतल प्रदेश के गन्ना किसानों को आसानी से दिया जा सकता है। Sugarcane Price Not Declared In UP
केंद्र सरकार करेगी सहकारी चीनी मिलों का पुनरुत्थान, क्या किसानों समय पर मिल पायेगा भुगतान
बहरहाल गन्ना किसानों की परेशानी को देखते हुए केंद्र सरकार सहकारी चीनी मिलों को इथेनोल खरीद में वरीयता एवं कोजेन बिजली संयंत्रो की स्थापना पर जोर दे रही है। सरकार का कहना है कि इथेनोल ब्लेंडिंग कार्यक्रम के तहत पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा सहकारी चीनी मिलों को इथेनोल खरीद के लिए निजी कंपनियों के समतुल्य रखा जाएगा। गन्ने की खोई (बगास) से कोजन बिजली संयत्रों की स्थापना पर भी कार्य किया जा रहा है। इन कदमों से सहकारी चीनी मिलों के व्यवसाय का विस्तार होगा एवं लाभ में वृद्धि होगी। Sugarcane Price Not Declared In UP
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सहकारी चीनी मिलों की सहायता के लिए सरकार ने अक्टूबर, 2023 में शीरे पर जीएसटी मौजूदा 28 फ़ीसदी से घटा कर 5 फ़ीसदी करने का निर्णय लिया है। इससे डिस्टिलरीज की लिक्विडिटी में वृद्धि होगी। क्योंकि शीरा उनके संचालन के लिए कच्चा माल है। कम जीएसटी के कारण उन्हें कम कार्यशील पूंजी की आवश्यकता होगी। सहकारी चीनी मिल जिनके पास इथेनॉल अथवा डिस्टिलरी प्लांट नही है वह अपने शीरे को अधिक मार्जिन के साथ डिस्टलरीज को बेंच कर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं। जिससे गन्ना किसानों को लाभकारी गन्ना मूल्य देने में सहूलियत हो सकेगी। Sugarcane Price Not Declared In UP
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ज़ाहिर है कि गन्ना प्रदेश के आर्थिक रीढ़ है। जिससे प्रतिवर्ष प्रदेश सरकार को हजारों करोड रुपए टैक्स के रूप में प्राप्त होता है। इसी से किसान अपनी खरीदारी, इलाज, बच्चों की पढ़ाई और शादी विवाह आदि करता है जिससे व्यापारियों के घर भी चलते हैं। आज भी प्रदेश की चीनी मिलों पर चालू गन्ना सीजन का हजारों करोड रुपए से अधिक गन्ना भुगतान बकाया है। Sugarcane Price Not Declared In UP
सरकार के सारे दावे फ़ैल, गन्ना भुगतान और वाजिब दाम को तरस रहे किसान
पिछले वर्षों में देरी से किए गए गन्ना भुगतान पर लगा ब्याज उत्तर प्रदेश की 121 चीनी मिलों पर हजारों करोड रुपए अलग से ब्याज का बकाया है। जिसे दिलाने के लिए प्रदेश सरकार गंभीर नहीं है। अगर प्रदेश सरकार का यही रवैया रहा तो आगामी 2024 के लोकसभा चुनाव में इसका परिणाम भारतीय जनता पार्टी को भुगतना पड़ सकता है। प्रदेश के गन्ना किसान गन्ने का मूल्य ना बढ़ने से आक्रोशित हैं जो कभी भी रौद्र रूप धारण करके सड़को पर उतरने को अपनी मज़बूरी बता रहे हैं। Sugarcane Price Not Declared In UP
(लेखक ‘दैनिक भास्कर’ के राजनीतिक संपादक हैं)