सहारनपुर : सहारनपुर के एक ऑटो पार्ट्स व्यापारी, उनके बेटे और दो भाइयों को तमिलनाडु की एक अदालत के नाम से फर्जी गैर-जमानती वारंट स्पीड पोस्ट से भेजे गए थे। इन वारंटों में 6.40 करोड़ रुपये की जीएसटी वसूली के आदेश भी शामिल थे। जांच में पता चला है कि जिस न्यायाधीश के नाम से ये वारंट जारी किए गए थे, उस नाम का कोई न्यायाधीश तमिलनाडु की उस अदालत में कार्यरत ही नहीं है। इस गंभीर मामले को देखते हुए, एसएसपी ने पूरी जांच साइबर क्राइम टीम को सौंप दी है। यह घटना ऑनलाइन धोखाधड़ी और फर्जी वारंट जारी करने के बढ़ते मामलों की ओर इशारा करती है।
आफताब, सुहैल, मुश्ताक और मेहताब देहरादून रोड पर ऑटो पार्ट्स की दुकान चलाते हैं। 28 जून को अमीन नाम का व्यक्ति उनके घर आया और 6.40 करोड़ रुपये की जीएसटी रिकवरी का नोटिस दिया। नोटिस में कहा गया था कि यह आदेश तमिलनाडु के कोयम्बटूर की अदालत से आया है। उसी दिन, जनकपुरी थाने से भी फोन आया जिसमें बताया गया कि उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है। आफताब ने ई-कोर्ट एप्लीकेशन और अन्य वेबसाइटों की जांच की और पाया कि कोयम्बटूर में जिस अदालत का नाम दिया गया था, उसमें उस नाम का कोई न्यायाधीश ही नहीं है। आफताब ने स्थानीय पुलिस को बताया कि वह कभी तमिलनाडु नहीं गए और उनके खिलाफ कोई आपराधिक मामला नहीं है।
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यहां कुछ सावधानियां दी गई हैं जिनसे आप खुद को इस तरह के धोखाधड़ी से बचा सकते हैं:
- अज्ञात स्रोतों से मिलने वाले संदेशों या ईमेल पर क्लिक न करें।
- किसी भी वित्तीय जानकारी को साझा करने से पहले स्रोत की पुष्टि करें।
- यदि आपको कोई संदेहास्पद वारंट या नोटिस मिलता है, तो तुरंत पुलिस या संबंधित अधिकारियों से संपर्क करें।
- अपने कंप्यूटर और मोबाइल डिवाइस पर एंटी-वायरस और एंटी-मैलवेयर सॉफ़्टवेयर अपडेट रखें।
यह भी महत्वपूर्ण है कि आप इस घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस या साइबर अपराध शाखा को दें ताकि वे इस मामले की जांच कर सकें और जालसाजों को पकड़ सकें।
अनुमान:
- ऐसा लगता है कि किसी ने आफताब की पहचान का इस्तेमाल करके धोखाधड़ी की है।
- जीएसटी रिकवरी नोटिस और गैर जमानती वारंट जाली हो सकते हैं।
- आफताब को पुलिस में शिकायत दर्ज करनी चाहिए और मामले की जांच करानी चाहिए।
आगे की कार्रवाई:
- आफताब को तुरंत एक वकील से सलाह लेनी चाहिए।
- उन्हें जाली दस्तावेजों की प्रतियां और पुलिस द्वारा की गई बातचीत का रिकॉर्ड रखना चाहिए।
- उन्हें जल्द से जल्द पुलिस में शिकायत दर्ज करनी चाहिए और मामले की जांच की मांग करनी चाहिए।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि यह केवल एक अनुमान है और वास्तविक स्थिति भिन्न हो सकती है।
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