Loksabha Election 2024 : INDIA गठबंधन नहीं बल्कि चांडाल चौकड़ी की गिरफ्त में आये अखिलेश यादव !
Published By Roshan Lal Saini
Loksabha Election 2024 : समाजवादी पार्टी का गठबंधन जब से रालोद से टूटा है तब से सपा प्रमुख अखिलेश यादव के मन में पश्चिम यूपी की क़रीब सवा सौ विधानसभा की सीटों को साधने की एक चुनौती खड़ी हो गई है। उनकी समझ में नहीं आ रहा है कि पश्चिम यूपी की जाट, गुर्जर जैसी किसान बिरादरियों को कैसे साधें। दरअसल पश्चिम यूपी के बिना लखनऊ की गद्दी हाथ में आना असंभव है।
यहां सपा का यादव वोट बैंक बहुत कम है और सपा का मुस्लिम-यादव समीकरण यहां नहीं बनता। यहां सपा अकेले मुस्लिम वोटरों के बलबूते पर भी कोई बड़ा कमाल नहीं कर सकती। इंडिया गठबंधन में पश्चिम यूपी में जाट वोट की ठेकेदारी जयंत चौधरी को दी गई थी जो अब भाजपा के साथ चले गए हैं। अखिलेश को इस बात का बड़ा मलाल है कि जयंत हमारे सहयोग और समर्थन से 9 विधायक जीतकर और खुद राज्यसभा लेकर धोखा दे गए। Loksabha Election 2024
ये भी पढ़िए … रालोद का NDA में शामिल होने के बाद कौन होगा पश्चिम का जाट चेहरा ?
जयंत के भरोसे सपा ने पश्चिम में अपने खुद के जाट नेतृत्व को खड़ा करने का काम भी नहीं किया। इसके पीछे एक बड़ा कारण अखिलेश के आसपास मंडराने वाली एक चांडाल चौकड़ी भी है जो अपनी जाति के नेताओं को अखिलेश से कभी भी मिलने नहीं देती। जाटों की कहें तो ले देकर सपा में जाट नेतृत्व को साधने के लिए एक बूढ़ा बैल बैठा हुआ है जो केवल अखिलेश के बगल की कुर्सी पर लंबे समय से कब्जा कर के बैठा है। उसका एक ही काम है कि कोई जाट अच्छा नेता अखिलेश के आसपास भी फटक न जाए। इनकी गाजियाबाद के अपने कुनबे की वोट भी सपा में शायद ही पड़ती हों। Loksabha Election 2024
ये भी देखिये ... धर्म सिंह सैनी को ED- CBI का डर, इसलिए बीजेपी में जाना मजबूरी
इनके अलावा हरियाणा से आया हुआ एक और राष्ट्रीय जाट नेता है जो अखिलेश की चांडाल चौकड़ी का लंबे समय से अभिन्न अंग है। उसकी सोच है कि पश्चिमी यूपी के वे जाट उसे नेता मान लेंगे, जिन्होंने कभी चौधरी देवीलाल के पांव भी पश्चिम यूपी में नहीं टिकने दिए। ये सभी जाट बाहुल्य सीटों पर ख़ुद चुनाव लड़ने को आतुर रहते हैं, चाहे उस सीट पर इन्हें दो आदमी भी न जानते हों। इनकी एक विशेषता यह भी है कि ये किसी भी मजबूत जाट चेहरे को कभी सपा में जोड़ने का प्रयास नहीं करते, जबकि जाटों के कोटे की मलाई सपा में लंबे समय से खाते आ रहे हैं। Loksabha Election 2024
सपा सरकार के समय तो इनके व्यारे के न्यारे होते ही हैं। उसके बाद भी इनकी विशेष सेवाएं नोएडा आदि क्षेत्रों में उपलब्ध रहती हैं। लेकिन मजाल है कि किसी अच्छे जाट को अखिलेश से मिलने दें। सपा में कुछ गुर्जर चेहरे भी अपनी जाति के नेताओं के साथ अमूमन इसी तरह पेश आते हैं। सपा को सत्ता तब मिली जब भाजपा और कांग्रेस दोनों कमजोर रहे। अब भाजपा पूरे उत्तर प्रदेश में काफ़ी मजबूत स्थिति में है। Loksabha Election 2024
ये भी पढ़िए … भगोड़ा घोषित की अभिनेत्री जयाप्रदा, 4 महीने 7 NBW होने पर कोर्ट में नहीं हुई पेश, बीपी-शुगर बढ़ने का बना रही बहाना
पश्चिम यूपी की 125 सीटों में से 75 जीते बिना यूपी की सत्ता का रास्ता साफ नहीं हो सकता। बाकी 278 सीटों पर कितना ही उछल कूद लें, परंतु सत्ताधारी भाजपा के सामने 200 का आंकड़ा छूना दूर की कौड़ी है। यदि अखिलेश चाहते हैं कि यूपी की गद्दी पर एक बार फिर काबिज़ हों तो उन्हें अपनी चांडाल चौकड़ी से बचकर नए जाट, गुर्जर, अन्य किसान बिरादरियों से नए तगड़े बैलों को पार्टी के जूए में जोतना होगा, वरना यूपी में सरकार बनाने का सपना छोड़ना होगा। Loksabha Election 2024