सहारनपुर : बरसात के चलते एनजीटी के निर्देशों के बाद एक जुलाई से 30 अक्टूबर तक खनन पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा हुआ है बावजूद इसके खनन माफिया यमुना नदी में अवैध खनन करने से बाज़ नहीं आ रहे हैं। एनजीटी की रोक के बाद भी जनपद सहारनपुर में अवैध खनन का खेल लगातार बदस्तूर जारी है। खनन माफिया रात के अंधेरे में यमुना नदी का सीना चीर कर न सिर्फ राजस्व विभाग को करोड़ों का नुकसान पहुंचा रहे हैं बल्कि एनजीटी के निर्देशों को खुलेआम ठेंगा दिखा रहे हैं।
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ये तस्वीरें तहसील बेहट इलाके के गांव रसूलपुर रसूली के जंगल की हैं। जहां खनन माफिया रात के अंधेरे में प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर पॉकलेन मशीनों से खुदाई कर रहे हैं और दिल निकलते ही सभी मशीने और डंपर ठिकानों पर पहुंचा दिए जाते हैं। सूत्रों के मुताबिक खनन माफियाओं ने 30 से 50 फ़ीट तक गहरे गड्ढे खोद दिए है। चौकाने वाली बात तो ये है कि खनन माफिया बिना अनुमति, बिना खनन पट्टे के खनन को अंजाम दे रहे हैं। Illegle Mining
आपको बता दें कि बरसात के मौसम में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यून के आदेश पर खनन की खुदाई पर 1 जुलाई से तीन महीने के लिए पाबंधी लगाईं जाती है। लेकिन सहारनपुर के खनन माफिया एनजीटी के निर्देशों को ताक पर रख कर यमुना नदी में अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं। जिला प्रशासन आजादी के अमृतोत्स्व के लिए चलाये जा रहे “हर घर तिरंगा” अभियान में व्यस्त चल रहा है। वहीं खनन माफिया प्रशासन की आंखों में धूल झोंक कर अवैध खनन करने में मस्त है। जिसकी तस्वीरें NEWS 14 TODAY के पास उपलब्ध हैं। ये तस्वीरें 14 अगस्त की सुबह की हैं। तस्वीरों में साफ़ देखा जा सकता है कि इस जगह पर रात भर खनन माफ़िया का कब्जा रहा है। रात के अंधेरे में खनन माफिया ने पॉकलाइन मशीन और जेसीबी से कई बीघा जमीन को 30 फ़ीट से गहरे गड्ढे बना दिए हैं। Illegle Mining
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दिन में इस जगह पर केवल डम्परों, जेसीबी के पहियों और पॉकलेन मशीनों के निशान मिलते हैं। दिन छिपते ही खनन माफिया डम्परों और मशीनों को लेकर खनन जॉन में निकल पड़ते हैं। जहां रोजाना की तरह पॉकलेन और जेसीबी से अवैध खनन में जुट जाते हैं। रात भर अवैध खनन करने के बाद दिन निकलने से पहले ही अपने वाहनों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा देते हैं। सूत्रों के मुताबिक़ रसूलपुर-रसूली में बड़े खनन कारोबारी अवैध खनन को अंजाम दे रहे हैं। जिन्हे सत्ताधारी विधायक का संरक्षण मिला हुआ है। यही वजह है कि खनन कारोबारी को न तो एनजीटी के निर्देशों की कोई परवाह है और ना ही इस इलाके के दर्जनों गांव के लिए बाढ़ के खतरे की टेंशन। इनको सिर्फ काले कारनामो के जरिये पैसा कमाने से मतलब है। Illegle Mining
सूत्रों की माने तो अगर कोई ग्रामीण अवैध खनन की शिकायत करता है तो खनन माफिया और सत्ताधारी नेता उसकी आवाज को दबा देते हैं चाहे उसके खिलाफ फर्जी मुकदमे ही क्यों ना कराने पड़ते हों। फर्जी मुकदमों और धमकियों के डर से कोई ग्रामीण इनकी शिकायत भी नहीं करता। जिसके चलते खनन माफिया यमुना नदी के सफेद रेत से पत्थर उठा कर काली कमाई करने में जुटे हैं। रात के अंधेरे में जितने डम्पर अवैध खनन की ढुलाई करते हैं उससे कहीं ज्यादा लोग प्रशासन के आने पर निगरानी रखते हैं। यानी अगर खनन जॉन में कोई गाडी घुसती है तो उसका नंबर और गतिविधि खनन माफिया के पास पहुँच जाती है। जिसके चलते अवैध खनन कर रहे खनन माफियाओं को भागने का समय मिल जाता है। Illegle Mining
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