हरियाणा चुनाव : हरियाणा की 90 सीटों पर मतदान समाप्त होने के बाद राज्य में नई सरकार के गठन के लिए उल्टी गिनती शुरू हो गई है। ज्यादातर एग्जिट पोल में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत मिलने का अनुमान लगाया गया है। दस साल बाद हरियाणा की सत्ता में वापसी के इस संकेत के बाद जहां कांग्रेस उत्साहित है, वहीं मुख्यमंत्री पद के लिए खींचतान भी शुरू हो गई है। दूसरी ओर, एग्जिट पोल को निराधार बताते हुए भाजपा खुद को तीसरी बार सत्ता की दौड़ में मजबूती से शामिल बता रही है। भाजपा का कहना है कि 8 अक्टूबर को आने वाले नतीजे चौंकाने वाले होंगे। राज्य की प्रमुख क्षेत्रीय पार्टी इनेलो भी पिछले चुनाव के मुकाबले सुधार की उम्मीद कर रही है।
2019 के विधानसभा चुनाव में सिर्फ एक सीट पर सिमट गई इनेलो को इस बार अपने पुराने वोट बैंक के साथ तीन से पांच सीटें मिलने की उम्मीद है। वहीं, पिछले चुनाव में किंगमेकर बनी जनता जननायक पार्टी (जेजेपी) के सामने अस्तित्व का संकट खड़ा हो गया है। दिल्ली और पंजाब में सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी भी दौड़ में कहीं नजर नहीं आ रही है। कांग्रेस की जीत में जाटों और दलितों की गुटबाजी अहम भूमिका निभाएगी एग्जिट पोल के रुझानों पर यकीन करें तो कांग्रेस की सत्ता में वापसी में जाट, सिख, मुस्लिम और दलित वोटों की गुटबाजी अहम भूमिका निभाएगी। कांग्रेस के हिस्से में ओबीसी और सामान्य वर्ग के कुछ वोट भी आ सकते हैं। Haryana Election
पिछले चुनावों की गलतियों से सीख लेते हुए कांग्रेस ने शुरू से ही पार्टी को 36 बिरादरियों (हरियाणा की सभी जातियों) की पार्टी के तौर पर पेश किया। कांग्रेस की सबसे बड़ी ताकत जाट वोटों की गोलबंदी है। पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खुद को मजबूत जाट नेता के तौर पर दिखाकर इस वोट बैंक को क्षेत्रीय दलों में बंटने नहीं दिया। चुनाव से 48 घंटे पहले भाजपा के दलित नेता अशोक तंवर को शामिल करके कांग्रेस ने भाजपा की दलित कार्ड की रणनीति को भी मात देने की कोशिश की। Haryana Election
एग्जिट पोल कितने सटीक हैं? हरियाणा और जम्मू-कश्मीर के पिछले नतीजों के अनुमान कितने करीब हैं?
किसान और पहलवान आंदोलन और अग्निवीर की योजना को लेकर भाजपा के खिलाफ नाराजगी का भी कांग्रेस को फायदा मिल रहा है। एग्जिट पोल से उत्साहित भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि लोगों ने उनकी सरकार की उपलब्धियों और भाजपा की विफलताओं को देखते हुए कांग्रेस के पक्ष में वोट किया है। सैनी के तीसरी बार सरकार बनाने के दावे पर उन्होंने कहा- उनकी झूठ की दुकान है। जेजेपी नेता दुष्यंत चौटाला के सत्ता की चाबी उनके पास रहने के दावे पर हुड्डा ने कहा- 8 अक्टूबर को पता चल जाएगा कि उन्होंने चाबी खो दी है।
भाजपा को अभी भी उम्मीद….
एग्जिट पोल को दरकिनार करते हुए भाजपा को अभी भी उम्मीद है। उसकी उम्मीद का आधार ओबीसी, सामान्य वर्ग और सरकार का लाभार्थी वोट बैंक है। पार्टी का कहना है कि अगर सरकार के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर होती तो वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी होती, लेकिन इस बार वोटिंग प्रतिशत में करीब एक फीसदी की गिरावट है।
भाजपा के कैडर वोट के घर से बाहर न निकलने के दावे पर पार्टी का कहना है कि इस बार पार्टी कार्यकर्ताओं ने 2019 के चुनाव से भी ज्यादा मेहनत की है। पार्टी का बूथ मैनेजमेंट सफल रहा है। पार्टी का दावा है कि 30 से ज्यादा ऐसी सीटें हैं जहां भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। इन सीटों पर जीत-हार का अंतर बहुत कम होगा और कुछ भी पलट सकता है। Haryana Election
हरियाणा चुनाव से पहले राम रहीम को मिल सकती है पैरोल, चुनाव पर पडेगा असर !
वहीं, भाजपा की नजर निर्दलीय उम्मीदवारों पर भी है। छह ऐसे निर्दलीय उम्मीदवार हैं, जो चुनाव में मजबूत स्थिति में दिख रहे हैं। वहीं, सीएम नायब सिंह ने कहा- मतदान समाप्त होने के बाद से जो रिपोर्ट उनके पास आ रही हैं, उसके आधार पर मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि हम तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं। वहीं, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली ने कहा- हमारे कार्यकर्ताओं ने बहुत मेहनत की है। जो रिपोर्ट उनके पास आई है, उसके आधार पर किसी तरह की शंका या आशंका नहीं है। हम 100 फीसदी तीसरी बार सरकार बनाने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हम जमीन पर काम करते हैं और हमें अपनी रिपोर्ट पर पूरा भरोसा है। जेजेपी का वोट बैंक कांग्रेस और इनेलो की ओर खिसका पिछले चुनाव की किंगमेकर जेजेपी एग्जिट पोल में साफ दिखाई दे रही है। 2019 के चुनाव में जेजेपी को करीब 14.9 फीसदी वोट मिले थे। इसने प्रदेश में लगातार दूसरी बार भाजपा की सरकार बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। जानकारों का कहना है कि पिछली बार जाटों ने तीसरे विकल्प के तौर पर जेजेपी को चुना था। जेजेपी को मिले 14.9 फीसदी वोट कांग्रेस और इनेलो में चले गए हैं। चंद्रशेखर आजाद की आजाद समाज पार्टी के साथ गठबंधन का कोई खास असर नहीं हुआ। Haryana Election
इनेलो को पिछले चुनाव से ज्यादा सीटें मिलेंगी
लगभग सभी एग्जिट पोल में इनेलो-बसपा गठबंधन को तीन से पांच सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। 2019 के चुनाव में इनेलो को 2.5 और बसपा को 4.2 फीसदी वोट मिले थे। इनेलो को सिर्फ एक सीट मिली थी। इस बार इनेलो को बसपा और जेजेपी के कुछ वोट बैंक की वजह से आठ से दस फीसदी वोट मिल रहे हैं। इसकी वजह से उसे तीन से पांच सीटें मिल सकती हैं। इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने कहा- इनके आंकड़े हमेशा गलत रहे हैं। इस बार फिर गलत साबित होंगे। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के भी एग्जिट पोल आए थे, जिसमें कांग्रेस को जीतते दिखाया गया था, लेकिन भाजपा ने सरकार बना ली। Haryana Election
हरियाणा चुनाव के लिए चल रहा खाप पंचायतों में सेंध लगाने का षड्यंत्र?