देवबंद : विश्व प्रसिद्ध इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम प्रबंधन ने छह माह बाद सशर्त महिलाओं को संस्था में प्रवेश की अनुमति दे दी है। लेकिन इसके लिए कड़े नियम बनाए गए हैं। दरअसल 17 मई को दारुल उलूम प्रबंधन ने संस्था परिसर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगा दी थी। तर्क दिया गया था कि महिलाएं यहां आकर रील बनाती हैं, जिसे सोशल मीडिया पर अपलोड किया जा रहा है। इससे संस्था की बदनामी हो रही है। साथ ही छात्राओं की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।
आपको बता दें कि दारुल उलूम देवबंद में रोक के बाद से देश के कोने-कोने से दारुल उलूम देखने की हसरत लेकर आने वाली महिलाओं को निराशा का सामना करना पड़ रहा था। वे दूर से ही दारुल उलूम की इमारत, मस्जिद राशिद और लाइब्रेरी को निहार रही थीं। दारुल उलूम के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने बताया कि शुक्रवार को महिलाओं के प्रवेश पर लगी रोक हटा दी गई है। विजिटर पास समेत अन्य शर्तों के साथ संस्था में घूमने की अनुमति दी गई है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए नियम लंबी चर्चा के बाद बनाए गए हैं। इनका पालन करना जरूरी होगा।
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आगंतुक पास के लिए नियुक्त अधिकारी के पास पैन कार्ड, आधार कार्ड या वोटर आईडी जमा करानी होगी। इसमें बनाए गए कॉलम में आगन्तुक का नाम, मोबाइल नंबर, पता, आने वाले सदस्यों (पुरुष, महिला) की संख्या आदि का विवरण दर्ज करना होगा। महिलाओं को पर्दे में महरम (पति, अभिभावक या कोई ऐसा पारिवारिक सदस्य जिससे पर्दा न हो) के साथ ही प्रवेश मिलेगा। संस्था परिसर में बैठकर भोजन करना प्रतिबंधित रहेगा। पास की वैधता दो घंटे की होगी।
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जब से दारुल उलूम ने महिलाओं के प्रवेश पर रोक लगाई है, तब से इसके आसपास दुकानें चलाने वाले दुकानदार भी निराश हैं। दरअसल, यहां बाहर से आने वाले लोग खूब खरीदारी करते थे, लेकिन प्रतिबंध के बाद उन्हें भी घाटा हो रहा है। टोपी और माला जैसी वस्तुएं बेचने वाले मोहम्मद उवैस और तैय्यब कहते हैं कि प्रतिबंध हटाकर अच्छा काम किया गया है।
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