INDIA Alliance Full of Challenges : चुनौतियों से भरा INDIA गठबंधन, 2024 में टूट सकता है भाजपा मुक्त भारत का सपना
Published By Roshan Lal Saini
INDIA Alliance Full of Challenges : सत्ताधारी गठबंधन एनडीए के खिलाफ बने विपक्षी महागठबंधन ‘इंडिया’ में दरार के चर्चे मध्य प्रदेश से यूपी तक खूब सुनाई दिए। मुझे लगता है कि ये अपने-अपने वर्चस्व को बचाए रखने की लड़ाई है, जो हर राज्य में सामने आनी ही है और ये लड़ाई यूपीए से लेकर इंडिया गठबंधन तक ही नहीं, बल्कि एनडीए में भी शुरू से ही रही है। इसलिए मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों के बंटवारे के लेकर बात नहीं बनना कोई नई बात नहीं है और न ही इस पर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को बहुत खुश होने की जरूरत है।
हालांकि जिस प्रकार से मध्य प्रदेश में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के बीच सीटों को लेकर नोकझोंक हुई और दोनों तरफ से बयानबाजी सामने आई, और जिस प्रकार से दोनों पार्टियों ने अपने-अपने उम्मीदवारों को अपनी मर्जी से मैदान में उतारते हुए चुनाव लड़ने का निर्णय लिया, उससे आगामी चुनावों में इंडिया गठबंधन की फूट के संकेत मिलते हैं। राजनीति के जानकारों का मानना है कि गठबंधन में मध्य प्रदेश के अंदर पड़ी दरार ये साबित करती है कि गठबंधन में शामिल सभी 26 पार्टियों के बीच इस तरह की चुनौतियां आगे भी आड़े आएंगी ही आएंगी। इसकी वजह ये है कि जहां जिस पार्टी का वर्चस्व होगा, वो वहां की सीटों पर समझौता करने को राजी नहीं होगी और जहां जिस पार्टी का कोई वर्चस्व नहीं होगा, वो वहां पर सीटों की मांग करेगी। INDIA Alliance Full of Challenges
इस प्रकार से सभी पार्टियों का हर चुनाव में अपनी-अपनी ढपली, अपना-अपना राग वाला मामला होगा और इससे नुकसान भी इंडिया गठबंधन को ही होगी, जो कि भारतीय जनता पार्टी के नेता भी चाहते हैं। इसलिए कांग्रेस को अभी से ये मान लेने की बजाय कि उसकी जीत के रास्ते खुल चुके हैं और उसे अब किसी के सहारे की जरूरत नहीं है, ये समझना चाहिए कि उसे अपने साथ इंडिया गठबंधन में आए सभी दलों को एकजुटता के धागे में बांधे रखना है और किसी भी तरह से केंद्र की सत्ता में वापसी करना है। INDIA Alliance Full of Challenges
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दरअसल, कांग्रेस देश की दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में उसे लगता है कि उसके पीछे कोई भी पार्टी मजबूरन लगी रहेगी, चाहे वो जिस प्रकार भी सीटों का बंटवारा करे। मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और कहीं न कहीं मिजोरम में भी सर्वे के आंकड़े सामने आने के बाद कांग्रेस में इस प्रकार का विश्वास, जिसे मैं खुशफहमी कहना ज्यादा बेहतर समझूंगा, बढ़ा है। लेकिन उसे समझना होगा कि क्षेत्रीय पार्टियां, जहां उनका वर्चस्व होगा, वो भी फिर कांग्रेस के साथ अपने-अपने राज्यों में यही बर्ताव करेंगी। और अगर इसी प्रकार से मध्य प्रदेश की तरह सब कुछ चलता रहा, तो हर राज्य के चुनावों में तो ये दिक्कत आने ही वाली है, साथ ही 2024 के लोकसभा चुनाव में भी सीटों के बंटवारे को लेकर ये दिक्कत इंडिया गठबंधन के सामने आएगी। INDIA Alliance Full of Challenges
क्योंकि जिस राज्य में कोई राज्य स्तरीय पार्टी मजबूत होगी, वो वहां विधानसभा सीटों को लेकर तो कांग्रेस पर अपनी मर्जी थोपेगी ही, साथ ही लोकसभा की सीटें भी अपनी मर्जी से ही देने पर राजी होगी। जाहिर है कि कांग्रेस को इससे अपने कद को घटाने का एहसास होगा और वो फिर वहां अपनी मर्जी चलाने के लिए मैदान में अपनी मनचाही सीटों पर अलग से टिकट देने की कोशिश करेगी। क्योंकि उसे हर जगह अपने बड़े होने का रुतबा भी कायम रखना है। जाहिर सी बात है कि जब कांग्रेस अपने वर्चस्व वाले राज्य में किसी क्षेत्रीय पार्टी के लिए सीटें नहीं छोड़ेगी, तो जहां क्षेत्रीय पार्टी का वर्चस्व होगा, वहां वो कांग्रेस के लिए सीटें छोड़ने की स्थिति में नहीं दिखेंगी। INDIA Alliance Full of Challenges
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बहरहाल, अगर हम इस साल विधानसभा चुनाव वाले पांच राज्यों की बात करें तो मध्य प्रदेश में हम देख ही चुके हैं कि किस प्रकार से सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद उभरकर सामने आए हैं। इसी प्रकार से मुझे लगता है कि राजस्थान में भी कांग्रेस राज्य में चुनाव लड़ने की इच्छुक दूसरी दावेदार पार्टियों को उनके मन मुताबिक सीटें नहीं देगी। क्योंकि कांग्रेस की दावेदारी मध्य प्रदेश से भी ज्यादा राजस्थान में है। INDIA Alliance Full of Challenges
राजस्थान में कांग्रेस को वापसी की पूरी उम्मीद है, क्योंकि वहां मौजूदा मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मजबूती और वसुंधरा राजे की शीर्ष नेतृत्व से नाराजगी, पार्टी में स्थानीय उम्मीदवारों के टिकट काटकर नए चेहरों और सांसदों को मैदान में उतारना उसे भारी पड़ सकता है। मध्य प्रदेश में भी यही स्थिति बनी हुई है। रही बात छत्तीसगढ़ की, तो वहां भी कांग्रेस को जीत का पक्का भरोसा है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एक मजबूत नेता हैं और सरकार को वहां भी वापसी का विश्वास है, जिसकी पुष्टि सर्वे ने भी कर दी है। जाहिर है कि कांग्रेस वहां भी अपने किसी सहयोगी दल को ज्यादा सीटें देने से बचेगी। INDIA Alliance Full of Challenges
इसी प्रकार से मिजोरम में भी कांग्रेस को जीत का पक्का भरोसा है, क्योंकि उसके पड़ोसी राज्य मणिपुर में जिस प्रकार से हिंसा का माहौल है, उससे पूर्वोत्तर राज्यों में भारतीय जनता पार्टी के लिए मुसीबत खड़ी हुई है और लोगों में उसके प्रति जिस प्रकार से गुस्सा देखने को मिल रहा है, उससे लगता है कि मिजोरम में कांग्रेस मजबूत हो सकती है। सर्वे के आंकड़े भी कुछ इसी प्रकार का इशारा कर रहे हैं। रही तेलंगाना की बात, तो वहां की सबसे मजबूत पार्टी भारत राष्ट्र समिति है, जिसके मुखिया के. चंद्रशेखर राव हैं, जो वर्तमान में तेलंगाना के मुख्यमंत्री भी हैं। के. चंद्रशेखर राव की ग्रामीण क्षेत्रों में तो इतनी पकड़ है कि उन्हें कोई भी पार्टी वहां मात नहीं दे सकती। क्योंकि तेलंगाना को बनाने में के. चंद्रशेखर राव का जो योगदान है, वो किसी का नहीं है। शहरों में कांग्रेस को थोड़ा समर्थन मिल सकता है, जिसके बूते वो कुछ सीटें वहां जीत सकती है, लेकिन अगली सरकार भी के. चंद्रशेखर राव की ही बनने की उम्मीद ज्यादा है। INDIA Alliance Full of Challenges
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हालांकि के. चंद्रशेखर राव की पार्टी इंडिया गठबंधन का हिस्सा नहीं है, लेकिन तेलंगाना में कांग्रेस पहले से मजबूत बताई जा रही है, जिससे उसे लगता है कि वो वहां भी बहुमत से अगर नहीं भी जीती, तो भी मजबूत विपक्ष के रूप में उभरेगी। लेकिन वहां दिक्कत ये हो सकती है कि अगर कांग्रेस दूसरे नंबर पर रही, जिसकी संभावनाएं काफी हैं, तो उसके विधायक टूटकर के. चंद्रशेखर की पार्टी में जाने का डर रहेगा, जैसा कि पहले भी हो चुका है। ऐसे में वहां इंडिया गठबंधन में सीटों का बंटवारे को लेकर शायद ही किसी दूसरी सहयोगी पार्टी को वह सीटें दे। INDIA Alliance Full of Challenges
बहरहाल, ये तो रही उन राज्यों की बात, जिनके चुनाव इसी नवंबर के महीने में ही होने हैं। इसके अलावा अगर हम 2024 के लोकसभा चुनाव के बाद होने वाले विधानसभा चुनावों की बात करें, तो देखेंगे कि कई राज्य ऐसे हैं, जहां क्षेत्रीय पार्टियां बहुत मजबूत हैं। मसलन, यूपी में सपा, बसपा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रालोद है। ऐसे में अगर गठबंधन की बात करें, तो वहां कांग्रेस को सीटें देने में अखिलेश और जयंत मुसीबत खड़ी करेंगे, क्योंकि वो फिर उसी राह पर चलेंगे, जिस राह पर मध्य प्रदेश और राजस्थान में कांग्रेस चल रही है। इसी प्रकार से दिल्ली और पंजाब में आम आदमी पार्टी किसी भी हाल में किसी भी पार्टी को सीटें देने से बचना चाहेगी। पश्चिम बंगाल में भी तृणमूल कांग्रेस सबसे मजबूत पार्टी है। INDIA Alliance Full of Challenges
जाहिर है कि वहां तृणमूल की मुखिया और प्रदेश की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जो एक राष्ट्रीय छवि की मजबूत नेता हैं, अपनी वर्चस्व वाली सीटें छोड़ने पर शायद ही राजी हों। इसी प्रकार से बिहार में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल सबसे मजबूत पार्टी है और उसके बाद नीतीश की जनता दल (यूनाइटेड) दूसरी सबसे मजबूत पार्टी बिहार की है। इसके अलावा वहां क्षेत्रीय पार्टियां बहुत बड़ी संख्या में हैं, जिनका अपने-अपने क्षेत्रों में भरपूर वर्चस्व है। कांग्रेस को वहां भी थोड़े में सब्र करना पड़ेगा। झारखंड में भी शिबू सोरेने की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा के आगे कांग्रेस वहां उतनी मजबूत नहीं है। इसी प्रकार से महाराष्ट्र में शिवसेना और नेशनल कांग्रेस पार्टी ज्यादा मजबूत हैं, और वो वहां कांग्रेस को अपनी मर्जी से ही सीटें देंगी। लेकिन पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद अगर तीन से चार राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनती है तो कांग्रेस का हौसला बढ़ेगा और कांग्रेस इन प्रदेशों में बहुत ज्यादा समझौता न करते हुए, अकेले चुनाव के मैदान में जाने का फैसला भी ले सकती है। जैसे कि यूपी की बात करें तो यूपी में मुस्लिम और दलित समाज कहीं ना कहीं कांग्रेस की तरफ आकर्षित होता नजर आ रहा है। INDIA Alliance Full of Challenges
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इसका कारण है पिछले दिनों आज़म खान की गिरफ्तारी पर अखिलेश यादव का घर से ना निकालना कहीं न कहीं मुस्लिम समाज में नाराजगी जाहिर करता है। जिससे मुस्लिम समाज को लगता है कि कांग्रेस ही उसके लिए बेहतर विकल्प है। दूसरी ओर मायावती का अभी तक कोई स्टैंड में लेना भी दलितों के लिए कांग्रेस की राह खोलना नजर आ रहा है। तो इससे लगता है कि आने वाले समय में उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का जनाधार तेजी से बढ़ सकता है। सूत्र बताते हैं प्रधानमंत्री मोदी के अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दिन ही राहुल गांधी की पैदल यात्रा भी अयोध्या पहुंचेगी, क्योंकि अब कांग्रेस भी अयोध्या मंदिर की बात कर रही है उसका कहना है कि इसकी शुरुआत राजीव गांधी ने राम जन्मभूमि मंदिर का ताला खोलकर की थी जिसका लाभ उसको भी मिलना चाहिए। अब कांग्रेस को इसका कितना लाभ मिलता है यह तो समय ही तय करेगा। INDIA Alliance Full of Challenges
दरअसल कांग्रेस अपने मजबूती वाले राज्यों में अपने सहयोगी दलों को सीटें देने से कतराएगी, उसी प्रकार से राज्यों में अन्य पार्टियां भी कांग्रेस को सीटें देने से कतराएंगी, वर्तमान में इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी, राष्ट्रीय जनता पार्टी, जनता दल (यूनाइटेड), आम आदमी पार्टी, राष्ट्रीय लोकदल, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट), एनसीपी (शरद पवार गुट), सीपीआई, सीपीआईएम और डीएमके के अलावा छोटे क्षेत्रीय दल शामिल हैं। जाहिर है, जो पार्टियां क्षेत्रों में सिमटी हैं, वो अपने वर्चस्व वाले राज्यों में सीटें देने के बदले राष्ट्रीय स्तर पर उभरने की कोशिश करेंगी, जिससे उन्हें राष्ट्रीय पार्टी के रूप में पहचान मिले। कांग्रेस इसमें रोड़ा बनेगी, क्योंकि उसे पता है कि राष्ट्रीय स्तर पर सबसे ज्यादा उसी का वर्चस्व है, जिसे वो किसी भी हाल में कम नहीं करना चाहेगी। इससे इंडिया गठबंधन में दरार तय है। INDIA Alliance Full of Challenges
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं)