Supreme Court Allowing Abortion of 26 Week Old : एम्स की रिपोर्ट से बीच मजदार में फंसा सुप्रीम कोर्ट, गर्भपात की अनुमति बना चिंता का विषय
Published By Anil Katariya
Supreme Court Allowing Abortion of 26 Week Old : गर्भपात के मामले को लेकर देश की सर्वोच्च अदालत ने न सिर्फ नाराजगी जताई है बल्कि 26 सप्ताह की गर्भावस्था में एबॉर्शन कराने को कानून अपराध करार दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एम्स को एक विवाहित महिला की 26 सप्ताह की गर्भावस्था के एबॉर्शन को स्थगित करने का निर्देश दिया है। जबकि एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने भ्रूण का गर्भपात करने की अनुमति दे दी थी। केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस बी वी नागरत्ना की पीठ द्वारा सोमवार को पारित आदेश को वापस लेने की मांग की है। हालांकि एक अन्य सुनवाई के दौरान जस्टिस नागरत्ना केंद्र की इस अपील पर नाराजगी जता चुकी हैं। जस्टिस नागरत्ना के मुताबिक़ एम्स की ओर से पेश की गई रिपोर्ट में एबॉर्शन की स्पष्टता का अभाव रहा है। मौखिक तौर पर मामले को चीफ जस्टिस की बेंच में ले जानने से समाज में गलत मैसेज जाएगा।
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विधि अधिकारी ने कहा कि “चिकित्सा बोर्ड के यह कहने के बावजूद कि भ्रूण के जन्म लेने की संभावना है और ‘उन्हें भ्रूणहत्या करनी होगी’। चीफ जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़, जस्टिस जे. बी. पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘क्या आप (आदेश को वापस लेने के लिए) औपचारिक आवेदन के साथ आ सकते हैं। हम उस पीठ के समक्ष रखेंगे जिसने आदेश पारित किया। एम्स के चिकित्सक बेहद गंभीर दुविधा में हैं… मैं कल सुबह एक पीठ का गठन करूंगा। कृपया एम्स को अभी रुकने के लिए कहें।” Supreme Court Allowing Abortion of 26 Week Old
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आपको बता दें कि सोमवार को जस्टिस कोहली की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात को ध्यान में रखते हुए याचिकाकर्ता को गर्भावस्था की एबॉर्शन के लिए आगे बढ़ने की अनुमति दी थी। कोर्ट ने कहा था कि महिला डिप्रेशन से पीड़ित है और भावनात्मक, आर्थिक एवं मानसिक रूप से तीसरे बच्चे को पालने की स्थिति में नहीं है। जबकि महिला के दो बच्चे पहले से ही हैं यही वजह है कि उनको एबॉर्शन की अनुमति दी गई। Supreme Court Allowing Abortion of 26 Week Old
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गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना की अदालत में एबॉर्शन की अनुमति का अनोखा मामला आया था। एक विवाहिता ने खुद को डिप्रेशन का मरीज बताते हुए पेट में पल रहे 26 हफ्ते के भ्रूण का गर्भपात कराने की अनुमति मांगी थी। सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना की बेंच में जब प्रिगनेंसी टर्मिनेशन का मामला आया तो उन्होंने न सिर्फ जीवित भ्रूण के गर्भपात पर नाराजगी जताई बल्कि उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत की प्रत्येक बेंच सुप्रीम कोर्ट है। लेकिन वे इस बात को लेकर चिंतित एवं परेशान हैं कि केंद्र सरकार ने जिस तरह से उनकी बेंच के आदेश को वापस लेने के लिए इस मामले को चीफ जस्टिस की बेंच में बिना आवेदन दाखिल किया है। यानि मौखिक तौर पर इस मामले की सुनवाई के लिए कहा इससे सही नजीर पेश नहीं करेगा। Supreme Court Allowing Abortion of 26 Week Old
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जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि केंद्र सरकार ने बिना आवेदन मौखिक रूप से चीफ जस्टिस के सामने दाखिल कर मामले को उठाया गया है। जिसके बाद इस बात की चिंता खड़ी होनी लाज़मी है कि अगर उक्त मामले की सुनवाई के बाद आया फैसला नजीर बना तो सिस्टम का ब्रेकडाउन हो सकता है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि “क्या किसी कोर्ट ने जीवित भ्रूण को पैदा होने से रोका था? क्या कोई कोर्ट यह कह सकता है कि जीवित भ्रूण को पैदा न होने दिया जाए? क्या कोर्ट यह कह सकता है कि किसी के दिल के धड़कन को रोक दें? एम्स की ओर से जो रिपोर्ट पेश की गई वह दो दिन पहले विस्तार से यह बात क्यों नहीं बताई?” Supreme Court Allowing Abortion of 26 Week Old