किसान आंदोलन : नोएडा के किसानों ने आज सुबह दिल्ली की ओर कूच किया किसानों का कहना है कि आबादी निस्तारण की मांग को लेकर वे तीनों प्राधिकरण (नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना अथॉरिटी) के खिलाफ लगातार प्रदर्शन करने को मजबूर हैं।
किसानों ने सबसे पहले महापंचायत के बाद 27 नवंबर को ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के बाहर बाहर प्रदर्शन किया। 28 नवंबर से 1 दिसंबर तक यमुना विकास प्राधिकरण के बाहर प्रदर्शन किया। इस दरम्यान उनकी अफसरों से बातचीत होने की ख़बर है लेकिन मांगों पर सहमति नहीं बनी, क्योंकि किसानों को अधिकारियों की नियत पर संशय है। अब आंदोलन के तीसरे और अंतिम चरण में आज संसद सत्र के दौरान दिल्ली कूच करने का ऐलान किया है।
दरअसल नए भूमि अधिग्रहण कानून के अनुसार 1 जनवरी 2014 के बाद अधिग्रहित भूमि का 4 गुना मुआवजा राशि देना नियमावली में है। गौतमबुद्ध नगर में 10 साल से सर्किल रेट भी नहीं बढ़ाया गया है। जबकि पिछले 8 साल से भाजपा की सरकार है।
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किसानों ने भाजपा को वोट देकर उनके नेताओं को जिताने का काम किया है अतः नए भूमि अधिग्रहण कानून के लाभ, जमीन अधिग्रहण के बदले 10 फीसदी विकसित भूखंड और 64.7 फीसदी की दर से मुआवजा सत्ताधारी दल के नेताओं को दिलाना चाहिए। भूमिहीन किसानों के बच्चों को रोजगार और पुनर्विकास के लाभ और हाई पावर कमेटी की सिफारिशें लागू की जाने चाहिए।
ऐसे में बड़ा सवाल खड़ा हो जाता है कि इन किसानों के द्वारा जिताए गए जनप्रतिनिधि कहां हैं? वें क्यों नहीं किसानों और अथॉरिटी बीच बैठ कर समाधान कर देते?
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