UP Loksabha Election : साल 2014 में जब पूरे देश में मोदी लहर चली थी, तब किसी ने नहीं सोचा होगा कि भाजपा में कोई नेता इस प्रकार भी आएगा, जो अपनी साफ-सुथरी छवि और भ्रष्टाचार जैसे अमूमन नेताओं पर लगने वाले आरोपों से दूर अपनी अलग पहचान बनाते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरह ही जनता में प्रसिद्धि पाएगा और इतनी प्रसिद्धि पाएगा कि उसे लोग अगले प्रधानमंत्री के रूप में भी देखने लगेंगे। लेकिन गोरखपुर संसदीय सीट से पांच बार के सांसद रहे गोरखनाथ धाम मठ के महंत और पूर्व सांसद जब साल 2017 में महज 45 साल की उम्र में देश के सबसे ज्यादा लोकसभा और विधानसभा सीटों वाले उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तो उनका कद बढ़ता ही चला गया। जिसकी वजह उनकी साफ-सुथरी छवि और संत मिजाज है। अमूमन कहा जाता है कि एक बड़े चेहरे के सामने दूसरा कोई चेहरा बड़ा नहीं हो पाता, लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अपने कामों सख्त कानून व्यवस्था और अपनी बेदाग छवि से अपने कद को इतना बड़ा कर लिया कि अब प्रदेश में पार्टी में उनके चेहरे के आगे कोई और चेहरा टिक ही नहीं सकता।
दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ न सिर्फ अपनी बेदाग छवि के लिए मशहूर हैं बल्कि गलत लोगों के खिलाफ एक्शन लेने और आम जनता के हितों से जुड़े काम करने के लिए भी मशहूर हैं। वो देश के पहले ऐसे मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री बनने के बावजूद अपना संत धर्म नहीं छोड़ा और न ही अपने संतों वाले सादे पहनावे और सादा भोजन का त्याग किया। वो आज भी गौसेवा करने में परम आनंद पाते हैं और हिंदू हृदय सम्राट के नाम से विख्यात होने के अलावा बुल्डोजर बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो चुके हैं। एक बार उन्हें देश के सबसे लोकप्रिय मुख्यमंत्री की ख्याति भी मिल चुकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में न सिर्फ केंद्र सरकार की जनहित योजनाएं लागू कर प्रदेश के लोगों को लाभ पहुंचाया है बल्कि उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से विकास की कई योजनाओं के तहत बेहतरीन काम किए हैं।
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आज न सिर्फ उत्तर प्रदेश में उनका जनाधार सबसे मजबूत है, बल्कि अपनी सरकार में सभी विधायकों और मंत्रियों के वो निर्विरोध चेहरा हैं, जिसके चलते वो निर्विरोध रूप से अपनी सरकार में फैसले ले पाते हैं। उन्होंने न सिर्फ उत्तर प्रदेश की गुंडाराज की छवि खत्म करने के लिए अपराधियों से निपटने के लिए पुलिस को खुली छूट दी, बल्कि अवैध रूप से संपत्ति हथियाने वालों के घरों को तोड़ने के लिए बुलडोजर चलाने का भी हुक्म देकर उन लोगों के मन में एक अच्छे मुख्यमंत्री की छवि बनाई, जो अपराधियों और माफियाओं से परेशान रहते थे।
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आज उत्तर प्रदेश गुंडाराज की छवि से निकलकर राम राज्य की छवि के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के तीर्थ स्थलों में बड़ा सुधार करने के साथ-साथ मुगलकाल में बदले गए जगहों के नाम को फिर से वो ऐतिहासिक नाम देने का काम किया है, जो कभी हुआ करते थे। मसलन, तीन पवित्र नदियों के संगम वाले इलाहाबाद का पुराना नाम प्रयागराज था, जिसे वापस से अपनी पहचान मिली है। देश का सबसे बड़ा कुंभ मेला प्रयागराज में सदियों से लगता रहा है, लेकिन उसके विकास और सुधार की ओर प्रदेश की अब तक बनी किसी भी सरकार ने ध्यान नहीं दिया, लेकिन योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री बनने के बाद सबसे पहले प्रयागराज का जीर्णद्धार कराया और आज प्रयागराज का नजारा देखते ही बनता है। इसी प्रकार से उन्होंने कई दूसरी जगहों का भी विकास कराया है।
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जो पूर्वी उत्तर प्रदेश एक समय में विकास के मामले में पिछड़ा हुआ था, अब वहां अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हाइवे और अच्छी सड़कें बन गई हैं। इसके अलावा गांव-गांव स्वच्छ पानी पहुंचाने के लिए प्रयास उनकी सरकार ने किए हैं। अब उत्तर प्रदेश में चाहे प्रधानी के चुनाव हों, चाहे विधानसभा के चुनाव हों या फिर चाहे लोकसभा के चुनाव हों, हर चुनाव में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का एक बड़ा और मजबूत जनाधार है, जिसके बलबूते पर भाजपा को अच्छी खासी सीटें हर चुनाव में जीत के रूप में हासिल होती हैं।
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दरअसल, ये सब मुझे इसलिए बताना पड़ रहा है, क्योंकि बहुत से लोगों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कद और उनकी बेदाग राजनीतिक छवि के बारे में ठीक से पता नहीं है या ये कहें कि वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हल्के में ले रहे हैं। बीते दिन दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ये कहा कि अगली बार पीएम बनते ही मोदी मुख्यमंत्री योगी आदित्याथ को खत्म कर देंगे। सीएम अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पीएम मोदी यह चुनाव देश के लिए या पार्टी के लिए नहीं, बल्कि सिर्फ एक व्यक्ति अमित शाह के लिए जीतना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि वो अगली बार योगी को हटाएंगे।
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सूत्र बताते हैं कि अरविंद केजरीवाल के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को हटाने के इस बयान के बाद न सिर्फ भाजपा में शह और मात का खेल शुरू हो गया, बल्कि प्रधानमंत्री पद की रेस में भाजपा में कौन-कौन है, ये पोल भी खुल गई। समर्थकों की संख्या और बेदाग छवि के हिसाब से नरेंद्र मोदी के बाद भाजपा में सबसे यंग नेता योगी आदित्यनाथ ही प्रधानमंत्री बनने की हैसियत रखते हैं। लेकिन पिछले अनुभवों और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के फैसलों को मंत्रिमंडल के गठन में दरकिनार करने के केंद्र सरकार के फैसलों से भी ऐसी बातें कई बार राजनीति के गरियारों में उठीं कि गुजरात लॉबी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पसंद नहीं करती।
लेकिन अब दिल्ली के मुख्यमंत्री के ऐसा कहने से उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के समर्थकों में खासी नाराजगी है और इससे पहले गुजरात लॉबी कोई चाल चलें और मुख्यमंत्री योगी को निपटाएं, योगी ने अपनी लक्ष्मण रेखा खींचते हुए अपनी रणनीति तेज कर दी है। और ऐसा राजनीतिक जानकार कह रहे हैं कि अगर गुजरात लॉबी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मदद नहीं लेंगी, तो उत्तर प्रदेश में भाजपा की 30-40 सीटों के आसपास ही आ सकेंगी। ये योगी आदित्यनाथ ही हैं, जो भाजपा को सीटों के लिहाज से इस सबसे बड़े प्रदेश में बहुमत दिला सकते हैं।
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बहरहाल, मेरा मानना ये है कि भाजपा में अभी तक ऐसा कुछ नहीं दिख रहा है कि गुजरात लॉबी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निपटाने की सोच रही हैं। हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, योगी आदित्यनाथ के साथ कई रैलियों में दिखे और उन्हें भी ये भलि-भांति मालूम है कि उत्तर प्रदेश में ही नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में और बिहार, मध्य प्रदेश में योगी आदित्यनाथ के समर्थकों की बड़ी तादाद है। दूसरी बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ये बात अच्छी तरह जानते हैं कि सत्ता में आने के बाद एक दिन सबको रिटायर होना होता है और इसमें उम्र का भी एक तकाजा होता है।
इस लिहाज से वो ये भी जानते हैं कि इस बार के बाद उन्हें भी अपनी विरासत किसी न किसी को सौंपनी होगी, हालांकि आजकल उनके समर्थकों ने कहना भी शुरू कर दिया है कि अगर 26 लोकसभा सीटों के राज्य वाले मोदी जी देश के प्रधानमंत्री बन सकते हैं तो 80 सीटों वाले राज्य योगी प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन सकते? बात तो सही है इस लिहाज से भाजपा में अगर कोई योग्य नेता हैं, तो वो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, जो न सिर्फ भावी प्रधानमंत्री के योग्य हैं, बल्कि जनता में भी उनकी डिमांड है। फिलहाल यह भी कहना गलत नहीं होगा कि यूपी में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बिना भाजपा को बड़ी जीत नहीं मिलेगी।
(लेखक राजनीतिक संपादक एवं सामाजिक विश्लेषक हैं)